Dalma Jungle में बाघ की मौजूदगी की पुष्टि, ग्रामीणों को किया गया सतर्क – जानिए क्या है पूरा मामला
दलमा जंगल में बाघ की पुष्टि के बाद, प्रशासन ने आसपास के ग्रामीणों को सतर्क किया है। जानिए, बाघ के मूवमेंट पर कैसे नजर रखी जा रही है।
Jamshedpur News: दलमा जंगल में बाघ की मौजूदगी की पुष्टि हो गई है, जिसके बाद स्थानीय प्रशासन ने आसपास के गांवों के लोगों को सतर्क कर दिया है। यह जानकारी मिलने के बाद, विभाग ने सभी ग्रामीणों को सलाह दी है कि वे अकेले बाहर न निकलें, विशेष रूप से रात के वक्त। दिन में भी अकेले बाहर जाने से बचने की अपील की गई है।
दलमा जंगल, जो झारखंड के एक महत्वपूर्ण प्राकृतिक स्थल के रूप में जाना जाता है, में करीब 81 गांव स्थित हैं, जहां हजारों लोग रहते हैं। इन गांवों के निवासियों को इस चेतावनी के साथ सतर्क किया गया है, ताकि किसी प्रकार के जान-माल के नुकसान से बचा जा सके।
बाघ की सक्रियता पर नजर रखने के लिए प्रशासन जुटा
इस जानकारी के सामने आते ही, झारखंड के पीसीसीएफ वाइल्ड लाइफ शशिकर सामंता दलमा जंगल पहुंचे। उनके साथ आरसीसीएफ स्मिता पंकज, डीएफओ सबा आलम अंसारी और स्थानीय रेंजर समेत अन्य वन विभाग के अधिकारी भी थे। इन अधिकारियों ने बाघ के पैरों के निशान का निरीक्षण किया और उनकी स्थिति की पूरी जानकारी ली।
पीसीसीएफ वाइल्ड लाइफ ने बाघ के मूवमेंट पर नजर रखने के लिए निर्देश दिए हैं। अधिकारियों ने यह सुनिश्चित करने के लिए कदम उठाए हैं कि बाघ का रुख लगातार ट्रैक किया जाए और ग्रामीणों के जान-माल की सुरक्षा के लिए प्रभावी कदम उठाए जाएं। बाघ के शिकार से लेकर पर्यटकों की सुरक्षा तक, हर पहलू को ध्यान में रखते हुए काम किया जा रहा है।
फॉरेस्ट विभाग की कड़ी निगरानी और ट्रैप कैमरा लगाने की योजना
बाघ की मूवमेंट पर पूरी निगरानी रखने के लिए फॉरेस्ट विभाग ने ट्रैप कैमरा लगाने की योजना बनाई है। इन कैमरों के जरिए बाघ की गतिविधियों पर करीबी से नजर रखी जाएगी। इसके अलावा, बाघ के शिकार के साथ-साथ उसके शौच के नमूने भी इकट्ठा किए जाएंगे, ताकि बाघ की स्थिति का और अधिक स्पष्ट आकलन किया जा सके। विभाग ने अपने कर्मचारियों को पूरी सतर्कता के साथ काम करने की सलाह दी है, ताकि इस स्थिति से निपटने में कोई भी चूक न हो।
दलमा जंगल का ऐतिहासिक महत्व और पर्यावरणीय संरक्षण
दलमा जंगल का ऐतिहासिक और पर्यावरणीय महत्व बहुत अधिक है। यह जंगल ना केवल जैविक विविधता से समृद्ध है, बल्कि यह क्षेत्र स्थानीय लोगों के लिए भी आर्थिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है। जंगल के भीतर आदिवासी समुदायों की बसी बस्तियां हैं, जो पारंपरिक रूप से यहां रहते हैं। इस जंगल में कई दुर्लभ वन्य जीवों की प्रजातियां भी पाई जाती हैं।
यह बाघ की उपस्थिति एक नई चुनौती है, जिससे ना केवल जंगल के पारिस्थितिकी तंत्र को प्रभावित हो सकता है, बल्कि आसपास के गांवों की सुरक्षा भी सवालों के घेरे में आ सकती है। इसलिए प्रशासन ने इस दिशा में सक्रिय रूप से कदम उठाए हैं, ताकि किसी भी प्रकार की अप्रिय घटना से बचा जा सके।
ग्रामीणों की सुरक्षा के लिए जिला प्रशासन का सक्रिय प्रयास
पीसीसीएफ वाइल्ड लाइफ शशिकर सामंता ने यह सुनिश्चित किया कि बाघ की हरकतों पर कड़ी नजर रखी जाए और उसकी निगरानी के लिए ट्रैप कैमरा, पैरों के निशान और अन्य मॉनिटरिंग उपायों का इस्तेमाल किया जाए। इसके अलावा, प्रशासन ने जंगल में रहने वाले ग्रामीणों को भी सतर्क कर दिया है कि वे जंगल के पास या आसपास अकेले न जाएं, खासकर रात के समय।
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