Jharkhand Reality: लाखों की कमाई, गैस सिलेंडर फ्री, फिर भी कोयले पर क्यों निर्भर लोग?

झारखंड के कोयला कर्मचारी लाखों में कमाते हैं, हर महीने गैस सब्सिडी भी मिलती है, फिर भी खाना बनाने के लिए कोयले का इस्तेमाल क्यों कर रहे हैं? जानिए इस चौंकाने वाली रिपोर्ट में!

Feb 13, 2025 - 09:53
 0
Jharkhand Reality: लाखों की कमाई, गैस सिलेंडर फ्री, फिर भी कोयले पर क्यों निर्भर लोग?
Jharkhand Reality: लाखों की कमाई, गैस सिलेंडर फ्री, फिर भी कोयले पर क्यों निर्भर लोग?

झारखंड के कोयला खदानों में काम करने वाले लोग भले ही लाखों कमाते हों, हर महीने सरकार से गैस सब्सिडी भी मिलती हो, लेकिन फिर भी वे खाना बनाने के लिए कोयले का ही इस्तेमाल करते हैं। आखिर इसकी वजह क्या है? जानिए इस चौंकाने वाली रिपोर्ट में!

कोयला प्रदेश की असली सच्चाई

झारखंड के रामगढ़ और बोकारो जिले कोयला उत्पादन के बड़े केंद्र हैं। यहां की खदानें देश को ऊर्जा देने में अहम भूमिका निभाती हैं, लेकिन इन्हीं खदानों के पास रहने वाले लोग आज भी कोयले पर निर्भर हैं। एक हालिया सर्वे में यह खुलासा हुआ कि 10 में से 9 परिवार कोयले पर ही खाना बनाते हैं, जबकि इन परिवारों की सालाना आमदनी 15 लाख रुपये से ज्यादा है और हर महीने गैस सिलेंडर का पैसा भी सरकार से मिलता है।

यह अध्ययन अमेरिकी संस्था स्वनीति इनिशिएटिव ने किया, जिसमें यह भी सामने आया कि बोकारो जिले में यह निर्भरता थोड़ी कम है, लेकिन रामगढ़ के खदानों से सटे इलाकों में कोयला ही प्राथमिक ईंधन बना हुआ है। आखिर क्यों?

रामगढ़: कोयले की नगरी, पर गैस से दूरी!

रामगढ़ जिला झारखंड की GDP में 3.4% का योगदान देता है। यहां 15 से ज्यादा कोल माइंस और कई बड़ी कंपनियां काम कर रही हैं। बावजूद इसके, यहां के लोग आधुनिक ईंधन की जगह पारंपरिक कोयले को ही प्राथमिकता देते हैं।

  • यहां हर साल 11.23 मिलियन टन कोयले का उत्पादन होता है।
  • पतरातू में NTPC का पावर प्लांट भी है, जहां से 4 गीगावॉट बिजली उत्पादन होता है।
  • कोयला खदानों से होने वाली आमदनी करोड़ों में है, लेकिन लोग आज भी कोयले पर निर्भर हैं।

कैसे हुआ खुलासा?

संस्था ने इस जिले के खदानों के आसपास रहने वाले लोगों का सर्वे किया। इसमें पाया गया कि –

कोयला खदान से 5 किमी के दायरे में रहने वाले 10 में से 9 लोग कोयले पर ही खाना बनाते हैं।
बोकारो में 10 में से 5 लोग अभी भी कोयले पर निर्भर हैं।
कोयला कंपनियों में काम करने वाले कर्मचारियों की सालाना आय औसतन 15 लाख रुपये है।
हर महीने कोल इंडिया गैस सिलेंडर के पैसे देती है, लेकिन लोग उसे इस्तेमाल नहीं करते।

लाखों की कमाई, फिर भी कोयला क्यों?

रामगढ़ और बोकारो के लोग कोयले पर इतने निर्भर क्यों हैं? इसके पीछे कई वजहें बताई जा रही हैं –

आदत और सुविधा: दशकों से लोग कोयले पर खाना बना रहे हैं, गैस सिलेंडर का इस्तेमाल करने की आदत ही नहीं बनी।
कोयला आसानी से उपलब्ध: यहां कोयला बहुत सस्ता और आसानी से मिल जाता है, जबकि सिलेंडर भरवाने के लिए मशक्कत करनी पड़ती है।
संरचनात्मक दिक्कतें: कई इलाकों में पाइपलाइन गैस कनेक्शन नहीं है, जिससे लोगों को गैस सिलेंडर का विकल्प कठिन लगता है।
सरकारी योजनाओं की अनदेखी: सरकार की उज्ज्वला योजना जैसी योजनाएं होने के बावजूद, इन इलाकों में जागरूकता की कमी है।

क्या कोयले से दूरी बनाना संभव है?

संस्थान के निदेशक संदीप पई का कहना है कि पूरे देश में कोयले की निर्भरता कम करने की कोशिशें हो रही हैं। झारखंड जैसे राज्यों में कार्बन उत्सर्जन घटाने और क्लीन एनर्जी अपनाने की जरूरत है।

इस अध्ययन के आधार पर सरकार को गैस सिलेंडर के उपयोग को बढ़ावा देने के लिए नई रणनीतियां अपनानी होंगी। यदि कोयला उत्पादन वाले जिलों में ही लोग गैस का इस्तेमाल नहीं कर रहे, तो फिर बाकी राज्यों में इस बदलाव की उम्मीद कैसे की जा सकती है?

झारखंड में कोयले पर निर्भरता सिर्फ एक आदत नहीं, बल्कि यह सामाजिक और आर्थिक ढांचे का हिस्सा बन चुका है। लाखों की कमाई के बावजूद, कोयले से रिश्ता खत्म नहीं हो रहा। सरकार और प्रशासन को इस दिशा में ठोस कदम उठाने होंगे, ताकि लोग कोयले से गैस की ओर शिफ्ट हो सकें और झारखंड को क्लीन एनर्जी की ओर बढ़ाया जा सके।

What's Your Reaction?

like

dislike

love

funny

angry

sad

wow

Manish Tamsoy मनीष तामसोय कॉमर्स में मास्टर डिग्री कर रहे हैं और खेलों के प्रति गहरी रुचि रखते हैं। क्रिकेट, फुटबॉल और शतरंज जैसे खेलों में उनकी गहरी समझ और विश्लेषणात्मक क्षमता उन्हें एक कुशल खेल विश्लेषक बनाती है। इसके अलावा, मनीष वीडियो एडिटिंग में भी एक्सपर्ट हैं। उनका क्रिएटिव अप्रोच और टेक्निकल नॉलेज उन्हें खेल विश्लेषण से जुड़े वीडियो कंटेंट को आकर्षक और प्रभावी बनाने में मदद करता है। खेलों की दुनिया में हो रहे नए बदलावों और रोमांचक मुकाबलों पर उनकी गहरी पकड़ उन्हें एक बेहतरीन कंटेंट क्रिएटर और पत्रकार के रूप में स्थापित करती है।