क्या भाजपा में नया अध्याय जोड़ेंगे पूर्व मुख्यमंत्री चम्पाई सोरेन? सरायकेला विधानसभा में किया नामांकन, राजनीतिक सरगर्मी बढ़ी
झारखंड की राजनीति में अनुभवी नेता चम्पाई सोरेन ने भाजपा के प्रत्याशी के रूप में सरायकेला विधानसभा से नामांकन किया। जानें कैसे उनके अनुभव और नई भूमिका से क्षेत्र में चुनावी समीकरण बदल सकते हैं।
झारखंड की राजनीति में गहरी छाप छोड़ चुके पूर्व मुख्यमंत्री चम्पाई सोरेन ने सरायकेला विधानसभा से भाजपा प्रत्याशी के रूप में चुनावी मैदान में कदम रखा है। हाल ही में झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) छोड़कर भाजपा में शामिल हुए सोरेन, झारखंड आंदोलन के समय से ही एक चर्चित नेता रहे हैं। वह शिबू सोरेन के साथ मिलकर झारखंड के विकास और आदिवासी समुदाय के अधिकारों के लिए संघर्ष करते आए हैं। उनकी भाजपा में एंट्री और नामांकन से सरायकेला में चुनावी माहौल गर्म हो गया है, और राजनीति का समीकरण बदलने के कयास लगाए जा रहे हैं।
नामांकन के इस खास मौके पर, चम्पाई सोरेन ने अपने माता-पिता की तस्वीर को नमन कर उनके आशीर्वाद लिए। इसके बाद वे जिलिंगगोड़ा गांव के प्रसिद्ध जाहेरथान एवं गोंसाडे (ग्राम देवता) मंदिर पहुंचे और पूजा-अर्चना कर अपने विजय की कामना की। सोरेन ने पूरे आदिवासी रीति-रिवाज के अनुसार ग्राम देवताओं का आशीर्वाद प्राप्त किया, जो उनकी जड़ों और संस्कृति से जुड़े होने का प्रतीक है।
भाजपा में चम्पाई सोरेन की एंट्री का क्या होगा प्रभाव?
झारखंड मुक्ति मोर्चा से भाजपा में शामिल होना चम्पाई सोरेन के समर्थकों और सरायकेला क्षेत्र के लिए एक बड़ा राजनीतिक बदलाव है। सोरेन का कहना है कि भाजपा में आकर वे झारखंड के लोगों के विकास और अधिकारों के लिए कार्य करना जारी रखेंगे। उनके मुताबिक, भाजपा के संगठित नेटवर्क और संसाधनों से वे अपने क्षेत्र को अधिक लाभान्वित कर सकेंगे।
चम्पाई सोरेन की मजबूत पकड़ विशेषकर कोल्हान क्षेत्र में है, जहां उनकी उपस्थिति राजनीतिक और सामाजिक दृष्टि से महत्वपूर्ण मानी जाती है। भाजपा के नेतृत्व में उनकी भूमिका से न केवल सरायकेला, बल्कि पूरे झारखंड में भाजपा का जनाधार बढ़ने की संभावना है। उनका यह कदम झामुमो को चुनौती दे सकता है और आगामी चुनावों में भाजपा को नई मजबूती दे सकता है।
झारखंड की राजनीति में चम्पाई सोरेन का योगदान
झारखंड आंदोलन के समय से ही चम्पाई सोरेन अपने विचारों और कार्यों के लिए पहचाने जाते रहे हैं। अपने अनुभव और संघर्षशीलता के बल पर उन्होंने हमेशा आदिवासी समुदाय और अन्य हाशिए पर खड़े लोगों के अधिकारों की वकालत की है। शिबू सोरेन के साथ उनकी जोड़ी ने झारखंड आंदोलन को नई दिशा दी थी।
वर्तमान में चम्पाई सोरेन भाजपा के साथ खड़े हैं, और वे सरायकेला के विकास को लेकर गंभीर नजर आ रहे हैं। उनकी प्राथमिकता क्षेत्र की शिक्षा, स्वास्थ्य, और बुनियादी सुविधाओं में सुधार करना है। उनके भाजपा में शामिल होने से क्या सरायकेला की तस्वीर बदल पाएगी? क्या उनके अनुभव और नई सोच से भाजपा को झारखंड में मजबूत उपस्थिति मिलेगी? यह देखने वाली बात होगी कि जनता उनके इस नए राजनीतिक सफर को कैसे अपनाती है।
चम्पाई सोरेन के इस कदम से निश्चित ही सरायकेला विधानसभा क्षेत्र में चुनावी जोश और राजनीतिक खींचतान बढ़ेगी।
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