Chakulia Mining: जंगल में अवैध खनन से बर्बादी का मंजर, वन विभाग मूकदर्शक

चाकुलिया के हवाई पट्टी क्षेत्र के पास जंगल में हो रहा अवैध मोरम खनन। सैकड़ों पेड़ नष्ट, वन विभाग मूकदर्शक। जानें पूरी खबर।

Nov 18, 2024 - 13:56
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Chakulia Mining: जंगल में अवैध खनन से बर्बादी का मंजर, वन विभाग मूकदर्शक
Chakulia Mining: जंगल में अवैध खनन से बर्बादी का मंजर, वन विभाग मूकदर्शक

18 नवम्बर, 2024 : झारखंड के चाकुलिया के हवाई पट्टी क्षेत्र से सटे जंगल में मोरम का अवैध खनन बेकाबू हो चुका है। इस खनन से सैकड़ों पेड़ नष्ट हो गए हैं, जबकि कई पेड़ गिरने की कगार पर हैं। जंगल में बड़े पैमाने पर हुए खनन ने पर्यावरणीय संतुलन को गंभीर खतरे में डाल दिया है।

अवैध खनन के कारण साल, काजू, यूकेलिप्टस जैसी कई प्रजातियों के पेड़ बर्बाद हो गए हैं। इसके बावजूद वन विभाग की चुप्पी पर सवाल उठ रहे हैं।

जंगल की बर्बादी का मंजर

सूत्रों के मुताबिक, रोजाना करीब 15 से 20 ट्रैक्टर मोरम का अवैध खनन कर रहे हैं। खनन की गई मोरम को सड़क निर्माण योजनाओं में इस्तेमाल किया जा रहा है।

खनन के दौरान पेड़ों की जड़ें उजड़ चुकी हैं, जिससे वे गिरकर सूख सकते हैं। विडंबना यह है कि हाल ही में इस क्षेत्र में विश्व हाथी दिवस पर हाथियों के भोजन के लिए बांस के पौधे लगाए गए थे, लेकिन अब इन्हीं क्षेत्रों में खनन चल रहा है।

वन विभाग की भूमिका पर सवाल

हालांकि, इतनी बर्बादी के बावजूद वन विभाग की ओर से कोई ठोस कार्रवाई नहीं की जा रही है। यह सवाल खड़ा करता है कि क्या वन विभाग अवैध खनन को अनदेखा कर रहा है या किसी दबाव में चुप्पी साधे हुए है?

खनन और पर्यावरणीय खतरा

जंगलों में इस तरह का अवैध खनन न केवल पेड़-पौधों को बर्बाद करता है, बल्कि वन्यजीवों के लिए भी गंभीर खतरा बनता है। चाकुलिया का यह क्षेत्र हाथियों और अन्य वन्यजीवों के लिए महत्वपूर्ण है।

खनन स्थल के पास हाल ही में बांस के पौधे लगाए गए थे ताकि हाथियों को पर्याप्त भोजन मिल सके। लेकिन अवैध खनन ने इस प्रयास को भी नष्ट कर दिया है।

क्या कहता है कानून?

भारतीय कानून के अनुसार, किसी भी प्रकार का खनन वन क्षेत्र में बिना अनुमति के नहीं किया जा सकता। लेकिन चाकुलिया के इस जंगल में अवैध खनन खुलेआम हो रहा है।

अगर वन विभाग जल्द कार्रवाई नहीं करता, तो यह क्षेत्र जल्द ही पेड़-पौधों और वन्यजीवों से विहीन हो सकता है।

स्थानीय प्रशासन और जनता की चिंता

स्थानीय लोगों का कहना है कि अवैध खनन से उनका पर्यावरणीय संतुलन बिगड़ रहा है। अगर यह स्थिति बनी रही, तो आने वाले समय में पानी, हवा और मिट्टी का संकट बढ़ सकता है।

आगे क्या हो सकता है?

विशेषज्ञों का मानना है कि जंगलों की रक्षा के लिए तुरंत कदम उठाने की जरूरत है।

  1. वन विभाग को अवैध खनन रोकने के लिए सख्त कार्रवाई करनी होगी।
  2. स्थानीय प्रशासन को क्षेत्रीय लोगों के साथ मिलकर जागरूकता अभियान चलाना चाहिए।
  3. जंगलों को पुनर्जीवित करने के लिए वृक्षारोपण अभियान चलाना होगा।

चाकुलिया का यह मामला पर्यावरणीय असंतुलन और सरकारी लापरवाही का उदाहरण है। वन विभाग और प्रशासन को जल्द ही इस ओर ध्यान देना होगा, वरना जंगल का यह इलाका इतिहास बन सकता है।

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Nihal Ravidas निहाल रविदास, जिन्होंने बी.कॉम की पढ़ाई की है, तकनीकी विशेषज्ञता, समसामयिक मुद्दों और रचनात्मक लेखन में माहिर हैं।