चक्रधरपुर: Dance में बनाया वर्ल्ड रिकॉर्ड, छंदा भट्टाचार्य का भव्य स्वागत
चक्रधरपुर की नृत्यांगना छंदा भट्टाचार्य ने नेपाल में आयोजित अंतरराष्ट्रीय नृत्य प्रतियोगिता में "वर्ल्ड रिकॉर्ड अचीवर अवॉर्ड" जीता। जलते मटके और राष्ट्रध्वज के साथ उनकी प्रस्तुति ने भारत का नाम रोशन किया।
20 नवम्बर 2024: रेल नगरी चक्रधरपुर की उभरती नृत्यांगना छंदा भट्टाचार्य ने अंतरराष्ट्रीय मंच पर भारत का परचम लहराते हुए "वर्ल्ड रिकॉर्ड अचीवर अवॉर्ड" अपने नाम किया है। नेपाल के काठमांडू में आयोजित "इंडो-नेपाल इंटरनेशनल कल्चरल फेस्टिवल" के तहत हुई इस प्रतियोगिता में उन्होंने जलते हुए मटके और हाथ में भारत का राष्ट्रध्वज लेकर अपनी अद्वितीय नृत्य कला का प्रदर्शन किया। गीतांजलि एक्सप्रेस से चक्रधरपुर लौटने पर उनका बाजे-गाजे के साथ भव्य स्वागत किया गया।
छंदा भट्टाचार्य का ऐतिहासिक सफर
छंदा भट्टाचार्य न केवल चक्रधरपुर, बल्कि पूरे भारत की शान बन चुकी हैं। नृत्य की दुनिया में कदम रखने वाली इस प्रतिभावान कलाकार ने कई राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में भाग लिया है। उनकी नृत्य कला में भारतीय संस्कृति की गहरी छाप और आधुनिक तकनीक का मेल देखने को मिलता है। जलते हुए मटके के साथ प्रस्तुति देने का विचार दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर देता है, और इस बार नेपाल में उनकी यह प्रस्तुति इतिहास में दर्ज हो गई।
नेपाल में कैसा रहा प्रदर्शन?
17 नवंबर को काठमांडू में आयोजित इस प्रतिष्ठित प्रतियोगिता में कई देशों के प्रतिभागियों ने भाग लिया। छंदा ने अपनी प्रस्तुति में न केवल भारत की सांस्कृतिक धरोहर को दिखाया, बल्कि अपनी अनोखी शैली से जजों और दर्शकों का दिल जीत लिया। उनकी प्रस्तुति में जलते मटके और राष्ट्रध्वज का समायोजन भारतीय गौरव को समर्पित था। आयोजन समिति ने इस उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिए उन्हें "वर्ल्ड रिकॉर्ड अचीवर अवॉर्ड" से सम्मानित किया।
चक्रधरपुर स्टेशन पर भव्य स्वागत
हावड़ा से मुंबई जाने वाली गीतांजलि एक्सप्रेस से जब छंदा चक्रधरपुर पहुंचीं, तो उनके स्वागत में पूरा स्टेशन गूंज उठा। स्थानीय कला प्रेमी, परिवार और शुभचिंतक ढोल-नगाड़ों के साथ वहां मौजूद थे। स्टेशन को फूलों और पोस्टरों से सजाया गया था, और सभी ने गर्व के साथ उनका अभिनंदन किया।
कला और संस्कृति की प्रेरणा
छंदा भट्टाचार्य ने चक्रधरपुर के युवाओं और कलाकारों के लिए एक मिसाल पेश की है। वह न केवल अपनी व्यक्तिगत उपलब्धियों पर ध्यान देती हैं, बल्कि स्थानीय स्तर पर भी सांस्कृतिक कार्यक्रमों में भागीदारी करती हैं। हाल ही में चक्रधरपुर के सेरसा स्टेडियम में आयोजित अंतर जिला सीनियर फुटबॉल प्रतियोगिता के दौरान उनके नृत्य मंडल ने संबलपुरी नृत्य प्रस्तुत किया था, जिसे काफी सराहना मिली।
अंतरराष्ट्रीय पहचान के साथ स्थानीय योगदान
छंदा का मानना है कि कला को सीमाओं में बांधा नहीं जा सकता। उन्होंने यह साबित कर दिया कि छोटे शहरों से भी विश्व स्तर पर पहचान बनाई जा सकती है। उनकी उपलब्धियां चक्रधरपुर के अन्य कलाकारों के लिए प्रेरणा स्रोत बन रही हैं।
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