Chaibasa Shift: मजदूर नेता रामा पांडे का झामुमो से जुड़ने का संकेत, राजनीति में हलचल तेज

पश्चिमी सिंहभूम के दबंग मजदूर नेता रामा शंकर पांडे झारखंड मुक्ति मोर्चा से जुड़ सकते हैं। जानें कैसे यह कदम झामुमो को लोहांचल क्षेत्र में मजबूती देगा और मजदूरों की लड़ाई को नई दिशा मिल सकती है।

Dec 11, 2024 - 11:03
 0
Chaibasa Shift: मजदूर नेता रामा पांडे का झामुमो से जुड़ने का संकेत, राजनीति में हलचल तेज
Chaibasa Shift: मजदूर नेता रामा पांडे का झामुमो से जुड़ने का संकेत, राजनीति में हलचल तेज

चाईबासा। पश्चिमी सिंहभूम के चर्चित मजदूर नेता रामा शंकर पांडे झारखंड की राजनीति में नए समीकरण बनाने की तैयारी में हैं। सूत्रों की मानें तो झारखंड मजदूर संघर्ष संघ (JMSS) के केंद्रीय अध्यक्ष रामा पांडे जल्द ही झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) का दामन थाम सकते हैं। इससे लोहांचल और सारंडा क्षेत्र की राजनीति में बड़ी हलचल होने की संभावना है।

झामुमो से जारी है बातचीत

रामा पांडे की झामुमो के वरिष्ठ नेताओं से बातचीत चल रही है। हालांकि, इस पर अभी आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है। चर्चा है कि झामुमो उन्हें संगठन में बड़ा पद देकर जोड़ने की योजना बना रही है। रामा पांडे का झामुमो में शामिल होना न सिर्फ उनकी यूनियन के लिए फायदेमंद होगा, बल्कि इससे झामुमो को पश्चिमी सिंहभूम के मजदूर क्षेत्रों में मजबूत आधार भी मिलेगा।

दबंग नेता की छवि

रामा पांडे की पहचान एक दबंग मजदूर नेता के रूप में है। उनकी यूनियन गुवा, किरीबुरू, चिड़िया और मनोहरपुर जैसी खदानों में सक्रिय है। मजदूरों के हक की लड़ाई में उनकी आवाज को हमेशा प्रभावशाली माना गया है। बीते लोकसभा और विधानसभा चुनावों में उन्होंने भाजपा नेता गीता कोड़ा का खुलकर समर्थन किया था। हालांकि, गीता कोड़ा दोनों चुनाव हार गईं, लेकिन रामा पांडे की मेहनत चर्चा का विषय बनी रही।

भाजपा से नाता और निलंबन का इतिहास

रामा पांडे इससे पहले भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के अनुसूचित जाति मोर्चा के जिलाध्यक्ष रह चुके हैं। पार्टी ने उन्हें छह साल के लिए निलंबित कर दिया था, जिसके बाद से वह किसी राजनीतिक दल से सीधे तौर पर नहीं जुड़े। हालांकि, चुनावों में निर्दलीय या विशेष प्रत्याशियों के लिए उनका सक्रिय योगदान हमेशा देखने को मिला है।

मजदूरों की आवाज और झामुमो की ताकत

अगर रामा पांडे झामुमो में शामिल होते हैं, तो इसका सबसे बड़ा असर मजदूर वर्ग पर पड़ सकता है। सारंडा और लोहांचल क्षेत्र में मजदूरों का शोषण एक बड़ी समस्या है। झामुमो के मंच से रामा पांडे को न सिर्फ अतिरिक्त ताकत मिलेगी, बल्कि मजदूरों के हक और अधिकार की लड़ाई को एक नई दिशा मिल सकती है।

जगन्नाथपुर विधानसभा में प्रभाव

झामुमो को उम्मीद है कि रामा पांडे के जुड़ने से जगन्नाथपुर विधानसभा क्षेत्र में पार्टी का आधार मजबूत होगा। सारंडा के खनन क्षेत्रों में मजदूरों की बड़ी संख्या उनके साथ है। झामुमो की ओर से इस क्षेत्र में पिछली बार कमजोर प्रदर्शन देखने को मिला था। अब रामा पांडे की एंट्री से समीकरण बदल सकते हैं।

इतिहास में मजदूर राजनीति का प्रभाव

झारखंड की राजनीति में मजदूर नेताओं का प्रभाव हमेशा अहम रहा है। शिबू सोरेन जैसे नेता मजदूर आंदोलन की पृष्ठभूमि से उभरे और राज्य की राजनीति में बड़ा नाम बने। इसी तर्ज पर रामा पांडे भी मजदूरों के मुद्दों को राजनीतिक मंच पर प्रमुखता से उठा सकते हैं।

क्या है मजदूरों की उम्मीद?

सारंडा और आसपास के क्षेत्रों में खनन कंपनियों द्वारा मजदूरों के शोषण की खबरें आम हैं। रामा पांडे के झामुमो से जुड़ने की खबरों से मजदूरों को उम्मीद है कि उनके मुद्दों को अब मजबूती से उठाया जाएगा।

राजनीतिक समीकरणों का खेल

झामुमो के लिए यह कदम न सिर्फ मजदूरों के बीच अपनी पकड़ मजबूत करने का है, बल्कि भाजपा और अन्य दलों के प्रभाव को कमजोर करने की रणनीति भी हो सकती है।

What's Your Reaction?

like

dislike

love

funny

angry

sad

wow