DM Action : जनता की समस्याओं का समाधान ऑन द स्पॉट, 60 से अधिक मामलों पर हुई सुनवाई
जिला मुख्यालय में आयोजित जनता दरबार में उपायुक्त अनन्य मित्तल ने 60 से अधिक मामलों पर सुनवाई की। कई समस्याओं का ऑन द स्पॉट समाधान किया गया। पढ़ें पूरी खबर।
जिला मुख्यालय। समाहरणालय स्थित कार्यालय कक्ष में आयोजित जनता दरबार में जिला दंडाधिकारी सह उपायुक्त अनन्य मित्तल ने आमजन की समस्याओं को संवेदनशीलता से सुना और समयबद्ध कार्रवाई का आश्वासन दिया। जनता दरबार में 60 से अधिक फरियादियों ने अपनी व्यक्तिगत और सामाजिक समस्याओं को उपायुक्त के समक्ष रखा, जिनमें से कई मामलों का तत्काल समाधान किया गया।
जनता दरबार: क्या है इतिहास और महत्व?
भारत में जनता दरबार का इतिहास प्राचीन काल से जुड़ा है, जब राजा और शासक अपने प्रजा की समस्याओं को सुनने और उनका समाधान करने के लिए खुले दरबार लगाते थे। लोकतांत्रिक व्यवस्था में जनता दरबार इस परंपरा का आधुनिक रूप है, जहां अधिकारी सीधे जनता से संवाद कर उनकी समस्याओं का समाधान करते हैं।
समस्याओं की व्यापकता: पार्किंग से लेकर पेंशन तक
जनता दरबार में आए फरियादियों ने विभिन्न प्रकार की समस्याएं उठाईं, जिनमें शामिल थीं:
- पार्किंग और नाली की समस्या
- वृद्धावस्था पेंशन और ओल्ड एज होम में आश्रय
- पारिवारिक विवाद और जमीन विवाद
- निजी स्कूल में एडमिशन की दिक्कत
- अवैध बहुमंजिला इमारतों की शिकायत
- दुकान आवंटन और आवास से संबंधित समस्याएं
- आर्थिक सहायता और बिजली बिल से जुड़ी शिकायतें
- स्थानांतरण और मानकी-मुंडा नियुक्ति से जुड़े मुद्दे
इन सभी समस्याओं पर उपायुक्त ने गहन विचार करते हुए उचित कार्रवाई का आश्वासन दिया।
ऑन द स्पॉट समाधान: त्वरित कार्रवाई की मिसाल
कुछ समस्याओं का समाधान मौके पर ही कर दिया गया। उपायुक्त ने संबंधित विभागीय अधिकारियों को निर्देशित किया कि वे तुरंत प्रभाव से मामलों को निपटाएं और आवेदकों को संतुष्ट करें।
समन्वय और निर्देश: जनता की समस्याओं को प्राथमिकता
उपायुक्त अनन्य मित्तल ने स्पष्ट निर्देश दिया कि प्रखंड कार्यालय और अन्य संबंधित विभागों के साथ समन्वय स्थापित कर सभी मामलों की जांच की जाए और तय समय सीमा में कार्रवाई पूरी की जाए। उन्होंने अधिकारियों को इस बात के लिए सचेत किया कि जनता दरबार में प्राप्त शिकायतों को हल्के में न लें और उनका समाधान प्राथमिकता के आधार पर करें।
समाज पर प्रभाव
जनता दरबार जैसे कार्यक्रम न केवल प्रशासन और जनता के बीच की दूरी को कम करते हैं, बल्कि पारदर्शिता और जवाबदेही भी सुनिश्चित करते हैं। इससे लोगों का प्रशासन पर विश्वास बढ़ता है और समस्याओं के समाधान की गति तेज होती है।
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