Bokaro Shameful Incident : बोकारो में मां-बेटी को जूते की माला पहनाकर घुमाया: मानवता को शर्मसार करने वाली घटना
बोकारो के गोमिया में एक शर्मनाक घटना, जहां मां-बेटी को जूते-चप्पलों की माला पहनाकर घुमाया गया। जानें पूरा मामला और पुलिस की कार्रवाई के बारे में।
झारखंड के बोकारो जिले से एक ऐसी घटना सामने आई है, जिसने समाज के मानवता को शर्मसार कर दिया है। गोमिया थाना क्षेत्र के सीसीएल स्वांग महावीर स्थान कॉलोनी में बीते रविवार की शाम को एक विधवा महिला और उसकी नाबालिग बेटी के साथ मारपीट का घिनौना मामला हुआ। आरोपियों ने दोनों को जूते-चप्पलों की माला पहनाकर कॉलोनी में घुमाया। यह वीडियो सोमवार को वायरल हो गया, जिससे पूरे इलाके में हड़कंप मच गया।
घटना का विवरण:
बताया जाता है कि इस घटना के पीछे एक विवाद था, जो पिछले नवंबर में हुए एक मामले से जुड़ा था। उस समय कॉलोनी की एक किशोरी कहीं चली गई थी और बाद में बेरमो थाना क्षेत्र के फुसरो में मिल गई थी। इस मामले में आरोप था कि विधवा महिला और उसकी नाबालिग बेटी का हाथ था, हालांकि इसकी कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं हो सकी थी।
रविवार की शाम, महिला मीना देवी (पति स्व. परशुराम रविदास) अपने घर में थी जब अचानक कॉलोनी के कई लोग, जिनमें महिलाएं भी शामिल थीं, उसके घर में घुस आए। उन्होंने मीना देवी, उसकी बेटी और सास को गालियां दीं और बुरी तरह से मारपीट की। इसके बाद, दोनों को घसीटते हुए बाहर ले जाया गया और जूते-चप्पलों की माला पहनाकर कॉलोनी में घुमाया गया। जब महिला के परिजनों ने इसका विरोध किया, तो उनके साथ भी मारपीट हुई।
पुलिस की कार्रवाई:
गोमिया थाना प्रभारी नित्यानंद भोगता ने कहा कि इस मामले में प्राथमिकी दर्ज कर ली गई है और दोषियों को गिरफ्तार किया जाएगा। सोमवार को महिला और उसकी बेटी गोमिया थाना पहुंची और लिखित शिकायत दर्ज कराई। महिला ने आरोपियों के नामों का खुलासा किया, जिसमें शंकर ऊर्फ चरका रविदास, विजय रविदास, राज कुमार रविदास, लालू रविदास, नुनुचंद रविदास, राजेश रविदास, चरकी देवी और ललकी देवी शामिल हैं। इसके अलावा, अन्य अज्ञात 10-12 महिला-पुरुषों को भी आरोपित किया गया है।
इतिहास में ऐसी घटनाओं का अतीत:
झारखंड जैसे राज्यों में सामाजिक और पारिवारिक विवाद अक्सर बढ़ते रहते हैं, लेकिन इस तरह की हिंसा की घटनाएं आम नहीं हैं। पिछली शताब्दियों में भी, झारखंड में आदिवासी और गैर-आदिवासी समाज के बीच संघर्ष और विवाद होते रहे हैं। हालांकि, यह घटना उस सीमा से बाहर है, जहां समाज में एक व्यक्ति को इस तरह की सार्वजनिक humiliation का सामना करना पड़ा।
क्या सीखा जा सकता है?
इस घटना से यह साफ होता है कि हमारे समाज में विवादों का हल बातचीत से किया जाना चाहिए, न कि हिंसा से। अगर समाज के हर वर्ग को सम्मान दिया जाए और समस्या के समाधान के लिए कानूनी रास्ता अपनाया जाए, तो ऐसी घटनाओं से बचा जा सकता है। यह घटना एक चेतावनी है कि समाज में संवेदनशीलता और समझदारी का स्तर बढ़ाना आवश्यक है।
पाठकों के लिए सवाल: आपकी राय में, क्या समाज को इस तरह की हिंसा को रोकने के लिए और कड़े नियमों की आवश्यकता है? अपने विचार हमें कमेंट में बताएं।
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