Teachers Crisis : कोल्हान में शिक्षकों की नौकरी पर संकट, 1200 टीचर्स का भविष्य दांव पर
झारखंड के कोल्हान में इंटर के 1200 शिक्षकों की नौकरी पर संकट, नई शिक्षा नीति के तहत 2025 से कॉलेजों में इंटर की पढ़ाई बंद, जानें पूरी जानकारी।
झारखंड के कोल्हान में एक गंभीर समस्या ने शिक्षकों को परेशान कर दिया है। कोल्हान क्षेत्र में इंटर कक्षाओं के लिए काम कर रहे करीब 1200 अनुबंधित शिक्षकों की नौकरी पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं। नई शिक्षा नीति के तहत प्लस टू (12वीं) की पढ़ाई अब डिग्री कॉलेजों में नहीं की जा सकेगी। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने इस संबंध में निर्देश जारी किए हैं, जिससे राज्य के उच्च और तकनीकी शिक्षा विभाग ने वर्ष 2025 से सभी डिग्री कॉलेजों में इंटर कक्षाओं को बंद करने का अल्टीमेटम दिया है।
नौकरी पर संकट:
इस बदलाव से उन शिक्षकों की नौकरी पर खतरा आ गया है, जो इन कॉलेजों में इंटर के छात्रों को पढ़ाते हैं। इन शिक्षकों की अधिकतर आय कक्षा की फीस से होती रही है, जिससे उनके मानदेय का भुगतान किया जाता था। अब, जब इंटर की पढ़ाई बंद होगी, तो उनके लिए वित्तीय संकट खड़ा हो जाएगा। कोल्हान विश्वविद्यालय के अंगीभूत डिग्री कॉलेजों में इंटर की कक्षाएं अभी भी चल रही हैं, लेकिन 2025 के नए सत्र से इसे बंद करने की तैयारी हो रही है।
पूर्व सरकार का आश्वासन और अब की स्थिति:
पिछली झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) सरकार ने इन शिक्षकों को सरकारी प्लस टू स्कूलों में समायोजित करने का आश्वासन दिया था, लेकिन इस पर कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया। शिक्षकों ने इस मामले को स्कूल शिक्षा और साक्षरता मंत्री रामदास सोरेन के सामने रखा और उनकी मदद की मांग की। मंत्री ने आश्वासन दिया कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के समक्ष इस मामले को उठाकर समाधान का प्रयास किया जाएगा।
शिक्षकों की मांग और सरकार की प्रतिक्रिया:
घाटशिला कॉलेज के शिक्षक देवाशीष मन्ना ने नेतृत्व करते हुए एक प्रतिनिधिमंडल का गठन किया, जिसमें राजीव दुबे, नीतीश कुमार, शेख मसूद, उपेंद्र राणा, डेजी सेवा और बसंती मार्डी शामिल थे। इस प्रतिनिधिमंडल ने मंत्री रामदास सोरेन से मुलाकात की और अपनी उम्र, सेवाकाल का हवाला देते हुए सरकारी स्कूलों में समायोजन की मांग की। उन्होंने यह भी याद दिलाया कि झामुमो सरकार ने उन्हें पहले ही इस विषय में आश्वासन दिया था। मंत्री ने यह भरोसा दिलाया कि कोई भी शिक्षक बेरोजगार नहीं रहेगा और मुख्यमंत्री के समक्ष इस मुद्दे को उठाया जाएगा।
इतिहास में शिक्षा संबंधी संकट:
झारखंड में शिक्षा क्षेत्र के संकट नई बात नहीं हैं। बीते वर्षों में भी कई बार बदलावों के कारण शिक्षकों और छात्रों को समस्याओं का सामना करना पड़ा है। कभी सरकारी स्कूलों में पाठ्यक्रम को लेकर विवाद उठते हैं, तो कभी शिक्षा की गुणवत्ता को लेकर सवाल खड़े होते हैं। ऐसे में इस नई नीति का असर शिक्षकों और छात्रों दोनों पर पड़ सकता है।
क्या हो सकता है समाधान?
समाज के लिए यह जरूरी है कि सरकार इन शिक्षकों के भविष्य की योजना तैयार करे। सरकारी स्कूलों में समायोजन के लिए ठोस कदम उठाए जाएं, ताकि कोई भी शिक्षक बेरोज़गार न हो। शिक्षा का हक सभी को मिलना चाहिए, और इसकी निरंतरता सुनिश्चित करना समाज की जिम्मेदारी है।
पाठकों के लिए सवाल: आपकी राय में, क्या नई शिक्षा नीति के तहत शिक्षकों के समायोजन के लिए कोई विशेष नीति बनाई जानी चाहिए? अपने विचार कमेंट में शेयर करें।
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