Bokaro Fire: हॉट मिक्स प्लांट में धमाके के साथ लगी आग, टैंकर चालकों की जान पर बन आई
बोकारो से इंडस्ट्रियल ऑयल लेकर आए एक टैंकर में कर्माटांड़ के हॉट मिक्स प्लांट में अचानक लगी आग, चालक और खलासी झुलसे। जानिए कैसे हुआ हादसा और क्यों उठ रहे हैं सवाल प्लांट की सुरक्षा व्यवस्था पर।

बोकारो से इंडस्ट्रियल ऑयल लेकर आए एक टैंकर में मंगलवार को अचानक भीषण आग लग गई। यह घटना घटी झारखंड के गिरिडीह जिले के आइइएल थाना क्षेत्र अंतर्गत कर्माटांड़ स्थित हॉट मिक्स प्लांट में, जहां एकाएक आग की लपटों ने न केवल पूरे परिसर को दहला दिया बल्कि दो जिंदगियों को मौत के मुहाने तक पहुँचा दिया।
घटना इतनी तेजी से घटी कि आग बुझाने की कोशिश में टैंकर का चालक और खलासी खुद झुलस गए। स्थानीय लोगों की तत्परता से दोनों को नजदीकी निजी अस्पताल पहुंचाया गया, लेकिन यह हादसा कई सवाल छोड़ गया—क्या यह महज़ एक तकनीकी खराबी थी या प्लांट की लापरवाह सुरक्षा व्यवस्था की बड़ी चूक?
शॉर्ट-सर्किट बना हादसे की वजह?
प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, टैंकर में आग लगने की वजह शॉर्ट-सर्किट बताई जा रही है। हॉट मिक्स प्लांट के ऑपरेटर ने जानकारी दी कि जब टैंकर से इंडस्ट्रियल ऑयल खाली किया जा चुका था और वह वापस लौटने की तैयारी में था, तभी अचानक टैंकर से धुआं उठने लगा और फिर देखते ही देखते आग की लपटें फैल गईं।
आग बुझाने की कोशिश में चालक और खलासी बुरी तरह झुलस गए। घबराए स्थानीय लोगों ने तुरंत बचाव कार्य शुरू किया और झुलसे लोगों को पास के निजी अस्पताल में भर्ती कराया।
फायर ब्रिगेड की तत्परता ने टाला बड़ा हादसा
घटना की सूचना मिलते ही फायर ब्रिगेड की टीम मौके पर पहुंची और कड़ी मशक्कत के बाद आग पर काबू पाया गया। यदि आग थोड़ी देर और लगती, तो प्लांट में रखे अन्य ज्वलनशील पदार्थों तक भी फैल सकती थी, जिससे बड़ा विस्फोट और भारी जान-माल का नुकसान हो सकता था।
हॉट मिक्स प्लांट की सुरक्षा पर उठे सवाल
इस घटना के बाद हॉट मिक्स प्लांट की सुरक्षा व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं। इंडस्ट्रियल ऑयल जैसा ज्वलनशील पदार्थ जब हैंडल किया जाता है, तो हर लेवल पर विशेष सावधानी की आवश्यकता होती है। लेकिन क्या यह सावधानी बरती गई? अगर हां, तो फिर यह हादसा कैसे हुआ?
यह पहली बार नहीं है जब औद्योगिक क्षेत्रों में इस तरह की लापरवाही देखने को मिली है। ऐसे प्लांट्स में न तो फायर अलार्म सिस्टम सक्रिय होते हैं, और न ही इमरजेंसी रिस्पांस टीमें पर्याप्त रूप से प्रशिक्षित रहती हैं। यह दर्शाता है कि नियमों की मौजूदगी के बावजूद उनका पालन केवल कागजों तक सीमित रह गया है।
इंडस्ट्रियल ऑयल और टैंकर हादसों का इतिहास
इंडस्ट्रियल ऑयल टैंकरों से जुड़े हादसे भारत में समय-समय पर सामने आते रहे हैं। चाहे वह गुजरात का जामनगर रिफाइनरी कांड हो या महाराष्ट्र के नागपुर का टैंकर ब्लास्ट—इन सभी में एक चीज़ कॉमन रही है: सुरक्षा उपायों की अनदेखी।
Bokaro जैसे औद्योगिक क्षेत्रों में जब भारी मात्रा में खतरनाक रसायनों और तेलों का ट्रांसपोर्ट होता है, तब एक चूक भी भारी नुकसान का कारण बन सकती है।
प्रशासन और कंपनी से जवाब की उम्मीद
फिलहाल, हादसे की जांच शुरू हो चुकी है, लेकिन लोगों की निगाहें इस पर टिकी हैं कि कंपनी क्या कदम उठाएगी। क्या झुलसे हुए कर्मियों को मुआवजा मिलेगा? क्या प्लांट की सुरक्षा व्यवस्था को और मजबूत किया जाएगा? और सबसे बड़ा सवाल—क्या अगली बार ऐसा हादसा रोका जा सकेगा?
क्या यह आखिरी हादसा होगा?
इस दुर्घटना ने साफ कर दिया है कि सिर्फ मुनाफे पर नहीं, बल्कि जान की कीमत पर भी ध्यान देना ज़रूरी है। हॉट मिक्स प्लांट्स, टैंकर कंपनियां और प्रशासन—तीनों की साझा जिम्मेदारी है कि ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो।
अब देखना यह होगा कि क्या बोकारो की यह आग किसी बड़ी चेतावनी में बदलेगी या फिर फाइलों की राख में दब जाएगी।
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