Bengabad Betrayal: पति की मौत के बाद ससुराल में मिला धोखा, देवर से रिश्ते की सजा भुगत रही है महिला!
पति की मौत के बाद ससुरालवालों ने हमदर्दी दिखाकर विधवा को देवर से शादी का झांसा दिया, लेकिन रिश्ते निभाने की बजाय धोखा मिला। महिला ने पुलिस से लगाई इंसाफ की गुहार। जानिए पूरा मामला।

झारखंड के गिरिडीह ज़िले के बेंगाबाद थाना क्षेत्र से सामने आया एक ऐसा मामला जिसने रिश्तों की परिभाषा को ही कटघरे में खड़ा कर दिया है। जहाँ एक ओर एक महिला को पति की मौत के बाद अपने ससुराल वालों से सहानुभूति की उम्मीद थी, वहीं उसे मिला दर्द, धोखा और इंसाफ के लिए दर-दर भटकने की मजबूरी।
ये कहानी सिर्फ एक महिला की नहीं, बल्कि उस सामाजिक व्यवस्था की भी है, जो विधवा महिलाओं को "बोझ" समझकर उनके अधिकारों को रौंद देती है।
शादी का झांसा या भावनात्मक शोषण?
गांडेय थाना क्षेत्र की रहने वाली इस महिला की शादी 2021 में बेंगाबाद के एक गांव में हुई थी। शादी के कुछ ही साल बाद, साल 2024 में उसके पति की मृत्यु हो गई। एक छोटे बेटे की माँ बन चुकी महिला पर जैसे दुखों का पहाड़ टूट पड़ा।
ससुराल वालों ने पहले तो सहानुभूति दिखाते हुए उसे उसके देवर से शादी कराने की हामी भर दी। महिला को लगा कि शायद अब जीवन एक नई दिशा पकड़ेगा। वह अपने बच्चे के साथ ससुराल में रहने लगी और देवर के साथ एक रिश्ते में भी आ गई।
लेकिन जैसे-जैसे समय बीतता गया, वो वादे और सहानुभूति गायब हो गई। जब महिला ने शादी की बात की, तो वही देवर जिसने साथ जीने की हामी भरी थी, पीछे हट गया। ससुराल वालों का भी व्यवहार बदल गया।
ससुर और देवर हिरासत में, पुलिस कर रही है पूछताछ
अपनी टूटती उम्मीदों और अपने बच्चे के भविष्य को बचाने के लिए महिला ने आखिरकार साहस दिखाया और मंगलवार को बेंगाबाद थाना पहुंची। उसने अपने ससुर और देवर के खिलाफ शिकायत दर्ज करवाई।
पुलिस ने तत्परता दिखाते हुए दोनों को हिरासत में लिया और पूछताछ शुरू की है। थाना प्रभारी ने बताया कि मामले की जांच जारी है और सभी पहलुओं को ध्यान में रखकर कार्रवाई की जाएगी।
इतिहास की परछाई में आज की सच्चाई
भारत में विधवा महिलाओं के साथ होने वाला सामाजिक व्यवहार कोई नया नहीं है। सदियों से उन्हें तिरस्कार, अपमान और सामाजिक बहिष्कार का सामना करना पड़ा है। कहीं उन्हें पुनर्विवाह से रोका जाता है, तो कहीं उन्हें संपत्ति या सम्मान से वंचित कर दिया जाता है।
हालांकि संविधान और कानूनों ने विधवा महिलाओं को बराबरी का हक दिया है, लेकिन ज़मीनी हकीकत अब भी कई जगहों पर अलग है। बेंगाबाद की यह घटना उस सच्चाई को एक बार फिर सामने लाती है।
क्या रिश्तों में भावनात्मक धोखा भी अपराध है?
इस केस ने एक और बहस को जन्म दिया है—क्या भावनात्मक शोषण को भी अपराध की श्रेणी में लाना चाहिए? जब एक महिला को शादी का वादा करके भावनात्मक रूप से जुड़ा जाता है और फिर उसे अकेला छोड़ दिया जाता है, तो क्या यह विश्वासघात नहीं?
समाज में ऐसे मामलों को अक्सर "घरेलू मामला" कहकर नज़रअंदाज़ कर दिया जाता है, लेकिन इनकी जड़ें बहुत गहरी और दर्दनाक होती हैं।
क्या मिलेगा महिला को इंसाफ?
महिला ने अपने मायके वालों को भी इस पूरे मामले की जानकारी दी है और अब वह बेंगाबाद थाना में न्याय की आस लगाए बैठी है। अब देखना यह होगा कि कानून और प्रशासन उसे न्याय दिलाने में कितने तत्पर रहते हैं।
इस मामले ने समाज को आईना दिखाया है कि जब रिश्तों में विश्वास टूटता है, तो उसका असर सिर्फ दो लोगों पर नहीं, पूरे सामाजिक ताने-बाने पर पड़ता है।
भरोसे की कीमत जान से ज्यादा
बेंगाबाद की यह घटना एक सवाल छोड़ती है—किस पर भरोसा किया जाए, जब अपने ही धोखा दे दें? क्या महिला को उसका अधिकार, सम्मान और इंसाफ मिल पाएगा? या यह मामला भी अन्य घरेलू विवादों की तरह फाइलों में दफन होकर रह जाएगा?
जुड़े रहें, हम इस मामले पर अपडेट देते रहेंगे।
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