Giridih Tragedy: टहलने निकला था छात्र, लेकिन लौट आया अर्थी पर! जानिए क्या हुआ उस रात

गिरिडीह-जामताड़ा सड़क पर रात के अंधेरे में टहलने निकला छात्र तेज रफ्तार कार की चपेट में आ गया। इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई। जानिए इस दर्दनाक हादसे की पूरी कहानी।

Apr 23, 2025 - 11:15
 0
Giridih Tragedy: टहलने निकला था छात्र, लेकिन लौट आया अर्थी पर! जानिए क्या हुआ उस रात
Giridih Tragedy: टहलने निकला था छात्र, लेकिन लौट आया अर्थी पर! जानिए क्या हुआ उस रात

गिरिडीह-जामताड़ा मुख्य सड़क की पहचान अब सिर्फ एक व्यस्त मार्ग के तौर पर नहीं, बल्कि दुर्घटनाओं की एक काली पट्टी के रूप में होती जा रही है। सोमवार की देर रात इस सड़क ने एक होनहार छात्र की ज़िंदगी छीन ली, जिसने ना सिर्फ एक परिवार को बल्कि पूरे गांव को शोक में डुबो दिया।

बुधूडीह गांव निवासी 23 वर्षीय जयकुमार वर्मा की कहानी, हर उस परिवार की कहानी बन चुकी है जो अपने बच्चों को सपनों के साथ घर से कॉलेज भेजता है, लेकिन उन्हें अर्थी पर वापस पाता है।

क्या हुआ उस रात?

जानकारी के अनुसार, सोमवार की रात जयकुमार वर्मा अपने घर से थोड़ी देर टहलने के लिए निकला था। वो गिरिडीह कॉलेज में सेमेस्टर वन का छात्र था और हाल ही में 20 अप्रैल को अपनी चचेरी बहन के तिलकोत्सव में भाग लेने के लिए घर आया था। अगले दिन उसे कॉलेज लौटना था, लेकिन किसे पता था कि यह उसका आखिरी सफर होगा।

जब वह मुख्य सड़क पर टहल रहा था, तभी एक तेज रफ्तार कार ने उसे जोरदार टक्कर मार दी। जयकुमार सड़क पर गिरकर गंभीर रूप से घायल हो गया। आवाज सुनकर स्थानीय ग्रामीण और परिजन दौड़े-दौड़े घटनास्थल पर पहुंचे।

इलाज से पहले ही टूट गई सांसें

घायल जयकुमार को तुरंत धनबाद ले जाया गया, लेकिन चिकित्सकों ने उसे मृत घोषित कर दिया। यह खबर जैसे ही गांव में पहुँची, मातम पसर गया। मंगलवार को पोस्टमार्टम के बाद जब शव गांव लाया गया, तो पूरे बुधूडीह में चीत्कार गूंजने लगी। मां-बाप की आंखें बेटे की अर्थी को देखकर पथरा गईं।

दर्द सिर्फ एक परिवार का नहीं, पूरे समाज का

जयकुमार की मौत पर गांव के मुखिया नवीन वर्मा, झामुमो नेता प्रमोद राम और समाजसेवी तारा प्रसाद वर्मा सहित कई लोगों ने शोक व्यक्त किया। लेकिन सवाल यह है कि क्या शोक संवेदनाएं ही इस देश में हादसों का जवाब बनकर रह जाएंगी?

गिरिडीह-जामताड़ा रोड पहले भी कई दुर्घटनाओं का गवाह बन चुका है। तेज रफ्तार, खराब सड़कें और रात में सुरक्षा उपायों की कमी इस तरह की घटनाओं का मुख्य कारण बनते जा रहे हैं।

इतिहास की परछाई और वर्तमान की त्रासदी

भारत में सड़क दुर्घटनाओं की कहानी नई नहीं है। सरकारी रिपोर्ट्स के अनुसार हर साल देश में लगभग 1.5 लाख लोग सड़क हादसों में जान गंवाते हैं। इनमें सबसे ज्यादा संख्या 18 से 30 साल के युवाओं की होती है। जयकुमार भी उन्हीं में से एक हो गया, जो सिर्फ पढ़ाई के लिए घर से निकला था लेकिन किस्मत ने साथ नहीं दिया।

क्या सिर्फ हादसा था या सिस्टम की लापरवाही?

तेज रफ्तार गाड़ियाँ, बिना स्ट्रीट लाइट की सड़कें और ट्रैफिक नियमों की अनदेखी अब मौत की गारंटी बन चुकी है। क्या प्रशासन इस मामले में कार्रवाई करेगा? क्या वो कार चालक पकड़ा जाएगा? क्या उस परिवार को न्याय मिलेगा जिसकी दुनिया उजड़ गई?

इन सवालों का जवाब अभी बाकी है, लेकिन जयकुमार की मौत समाज को ये सोचने पर मजबूर कर देती है कि कब तक हमारे युवा ऐसे ही सड़कों पर दम तोड़ते रहेंगे।

अब भी नहीं जागे तो...

जयकुमार वर्मा की मौत एक चेतावनी है—रात में टहलना भी अब सुरक्षित नहीं। एक छात्र, जो भविष्य के सपने देख रहा था, वो अब बीते कल की याद बन चुका है। लेकिन क्या हम इस हादसे को बस एक "दुर्घटना" कहकर भूल जाएंगे, या कुछ बदलने की कोशिश करेंगे?

जब तक सड़क सुरक्षा को लेकर गंभीर कदम नहीं उठाए जाएंगे, तब तक जयकुमार जैसे युवाओं की अर्थियाँ सड़कों पर उठती रहेंगी।

जुड़े रहें, हम इस मामले पर हर अपडेट आप तक पहुँचाएंगे।

What's Your Reaction?

like

dislike

love

funny

angry

sad

wow

Manish Tamsoy मनीष तामसोय कॉमर्स में मास्टर डिग्री कर रहे हैं और खेलों के प्रति गहरी रुचि रखते हैं। क्रिकेट, फुटबॉल और शतरंज जैसे खेलों में उनकी गहरी समझ और विश्लेषणात्मक क्षमता उन्हें एक कुशल खेल विश्लेषक बनाती है। इसके अलावा, मनीष वीडियो एडिटिंग में भी एक्सपर्ट हैं। उनका क्रिएटिव अप्रोच और टेक्निकल नॉलेज उन्हें खेल विश्लेषण से जुड़े वीडियो कंटेंट को आकर्षक और प्रभावी बनाने में मदद करता है। खेलों की दुनिया में हो रहे नए बदलावों और रोमांचक मुकाबलों पर उनकी गहरी पकड़ उन्हें एक बेहतरीन कंटेंट क्रिएटर और पत्रकार के रूप में स्थापित करती है।