Garhwa Corruption: पंचायत सेवक गुलजार अंसारी रिश्वत लेते रंगेहाथ पकड़ा गया, एसीबी की कार्रवाई से मचा हड़कंप
गढ़वा में भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो ने पंचायत रोजगार सेवक गुलजार अंसारी को 5,000 रुपये रिश्वत लेते हुए रंगेहाथ पकड़ा। एसीबी की इस कार्रवाई ने जिले में सनसनी फैला दी है।

झारखंड के गढ़वा जिले से भ्रष्टाचार के खिलाफ एक बड़ी कार्रवाई की खबर सामने आई है। पलामू स्थित भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (ACB) की टीम ने बुधवार को एक रोजगार सेवक को 5,000 रुपये की रिश्वत लेते रंगेहाथ गिरफ्तार किया। यह घटना न केवल गढ़वा जिले के लिए, बल्कि राज्य भर में सरकारी सिस्टम की पारदर्शिता पर सवाल खड़े कर रही है।
‘सेवा’ की जगह ‘सौदा’ कर रहे थे गुलजार अंसारी
गिरफ्तार किए गए सरकारी कर्मी की पहचान कोरवाडीह पंचायत के रोजगार सेवक गुलजार अंसारी के रूप में हुई है। आरोप है कि गुलजार अंसारी किसी काम को पास करने या सरकारी योजना का लाभ देने के बदले 5000 रुपये की घूस मांग रहे थे। शिकायतकर्ता ने मामले की जानकारी सीधे ACB को दी, जिसके बाद एक सुनियोजित ट्रैप प्लान बनाया गया।
एसीबी की फुलप्रूफ प्लानिंग और रंगेहाथ गिरफ्तारी
ACB की टीम ने शिकायतकर्ता से गुलजार अंसारी को घूस की रकम देने को कहा, और उसी समय पहले से तैयार टीम ने गढ़वा में दबिश दी। जैसे ही गुलजार अंसारी ने रिश्वत की राशि ली, टीम ने तुरंत उन्हें पकड़ लिया। गिरफ्तारी होते ही गुलजार अंसारी के चेहरे की हवाइयां उड़ गईं और वहां मौजूद लोग स्तब्ध रह गए।
टीम ने गिरफ्तारी के बाद गुलजार को पूछताछ के लिए हिरासत में ले लिया है और उनके खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत आगे की कार्रवाई जारी है।
गढ़वा में बढ़ते भ्रष्टाचार की एक झलक
गढ़वा जैसे जिले में जहां सरकारी योजनाओं का सीधा लाभ ग्रामीण जनता को मिलना चाहिए, वहां रोजगार सेवकों के जरिए इस तरह की रिश्वतखोरी एक बड़ी चिंता बन चुकी है। मनरेगा, प्रधानमंत्री आवास योजना, वृद्धा पेंशन, आदि योजनाओं में घूस की संस्कृति गहरी जड़ें जमा चुकी है।
गुलजार अंसारी की गिरफ्तारी इस बात का प्रमाण है कि सरकारी कर्मचारी अब ‘सेवक’ नहीं, 'सौदागर' बन चुके हैं, जो जनता की जरूरतों को भी पैसों के तराजू पर तौलते हैं।
इतिहास से सीख: ACB की पहले भी हुईं कार्रवाइयाँ
अगर इतिहास पर नजर डालें तो ACB पहले भी गढ़वा और पलामू जिलों में रोजगार सेवकों और पंचायत कर्मियों पर शिकंजा कस चुकी है। 2019 में पलामू जिले के एक ब्लॉक कर्मी को 10,000 रुपये की रिश्वत लेते पकड़ा गया था। लेकिन इसके बावजूद भ्रष्टाचार की जड़ें कमजोर नहीं हो पाईं, बल्कि यह एक रूटीन सिस्टम बन गया है।
सवालों के घेरे में सरकारी तंत्र
अब सवाल यह उठता है कि जब निचले स्तर के अधिकारी ही रिश्वतखोरी में लिप्त हैं, तो आम जनता को सरकारी योजनाओं का लाभ बिना घूस दिए कैसे मिलेगा? क्या सिर्फ ACB की छिटपुट कार्रवाई ही काफी है? या फिर सिस्टम में बड़ी सर्जरी की जरूरत है?
गढ़वा में गुलजार अंसारी की गिरफ्तारी एक मिसाल जरूर बन सकती है, बशर्ते कि यह कार्रवाई महज़ एक दिन की हेडलाइन बनकर न रह जाए।
जनता की उम्मीदें और ACB की जिम्मेदारी
ACB की कार्रवाई ने आम जनता को थोड़ी उम्मीद जरूर दी है। लोग चाहते हैं कि ऐसे भ्रष्ट कर्मचारियों के खिलाफ लगातार और कठोर कार्रवाई हो। साथ ही, स्थानीय प्रशासन को भी चाहिए कि अपने सिस्टम को क्लीन करने के लिए आंतरिक निगरानी तंत्र को मजबूत करें।
एक गिरफ्तारी, कई सवाल
गुलजार अंसारी की गिरफ्तारी भ्रष्टाचार की एक बानगी भर है, असल समस्या कहीं ज्यादा गहरी है। जब तक सरकारी तंत्र में बैठे ऐसे लोगों पर शिकंजा नहीं कसा जाएगा, तब तक जनकल्याण की योजनाएं सिर्फ कागजों तक ही सीमित रहेंगी।
अब देखना यह है कि ACB की यह कड़ी कार्रवाई बाकी भ्रष्ट कर्मचारियों के लिए चेतावनी बनती है या महज़ एक डरावनी खबर। लेकिन फिलहाल, गढ़वा में गुलजार अंसारी की गिरफ़्तारी ने यह तो साफ कर दिया है कि 'भ्रष्टाचार के दिन अब गिनती के हैं' – अगर इच्छाशक्ति हो।
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