Pahalgam Attack: नकली वर्दी में आए आतंकी, "कलमा पढ़ो नहीं तो गोली खाओ" कहकर मचाई तबाही
जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में नकली पुलिस वर्दी में पहुंचे आतंकियों ने पर्यटकों पर अंधाधुंध गोलीबारी कर दी। वीडियो में हमले का दिल दहला देने वाला मंजर कैद, जिसमें हिंदू पर्यटकों को पहचान कर बनाया गया निशाना।

"पहलगाम की वादियों में सिर्फ़ ठंडी हवाएं नहीं बह रहीं, बल्कि उस दिन चलीं गोलियां, चीखें और दहशत की लहरें जो अब भी थम नहीं रही हैं।"
जम्मू-कश्मीर का पहलगाम, जिसे आमतौर पर "मिनी स्विट्ज़रलैंड" कहा जाता है, एक बार फिर आतंक की आग में झुलस गया। मंगलवार की शाम, जब पर्यटक खुले मैदानों और बर्फीली वादियों का आनंद ले रहे थे, तभी नकली पुलिस वर्दी पहने आतंकियों ने ऐसा कहर बरपाया जिसकी कल्पना भी किसी ने नहीं की थी।
कैसे हुआ हमला?
वीडियो में साफ देखा जा सकता है कि आतंकियों ने स्थानीय पुलिस की वर्दी पहनी हुई थी। उनके चेहरे मास्क से ढंके हुए थे। शुरू में किसी को शक नहीं हुआ, लेकिन अचानक आतंकियों ने हिंदू पर्यटकों की पहचान पूछनी शुरू की और जवाब न मिलने पर गोलीबारी कर दी।
जो वीडियो वायरल हुआ है, उसमें सिर्फ़ पहलगाम की वादियां नहीं, बल्कि दिलों को झकझोर देने वाली चीखें, दौड़ते लोग, गिरती लाशें और एक बच्ची की चीख तक कैद है। यह सिर्फ़ एक वीडियो नहीं, बल्कि उस दर्द की झलक है जो पहलगाम की ज़मीन पर बहा।
"कलमा पढ़ो, नहीं तो गोली खाओ"
चश्मदीदों के अनुसार, आतंकियों ने कई हिंदू पर्यटकों को घेर लिया और उनसे ज़बरदस्ती 'कलमा' पढ़ने को कहा। जो लोग नहीं पढ़ पाए या डर से चुप रहे, उन्हें गोली मार दी गई। यह सुनकर रोंगटे खड़े हो जाते हैं कि किस कदर धार्मिक पहचान को निशाना बनाकर हमला किया गया।
पुणे से आईं एक पर्यटक आसावरी ने बताया, “हमलावर लोकल पुलिस की वर्दी में थे। उन्होंने सिर्फ़ पुरुषों को निशाना बनाया और महिलाओं को बुरी तरह डरा दिया। मैंने अपनी आंखों के सामने एक नवविवाहित महिला को बिलखते देखा, उसके पति को आतंकियों ने गोली मार दी थी।”
26 लोगों की मौत, कई ज़ख्मी
इस हमले में अब तक 26 लोगों की मौत की पुष्टि हो चुकी है। दर्जनों घायल हैं, जिनका इलाज नज़दीकी अस्पतालों में चल रहा है। सुरक्षा बलों ने इलाके को घेर कर बड़े स्तर पर सर्च ऑपरेशन शुरू कर दिया है। चप्पे-चप्पे पर जांच हो रही है, लेकिन सवाल यह उठता है कि क्या इस दर्द को कभी भुलाया जा सकेगा?
इतिहास में दोहराव, लेकिन जवाब क्या है?
कश्मीर घाटी में इस तरह का यह कोई पहला हमला नहीं है। 1989 के बाद से घाटी में आतंक का साया लगातार गहराता गया। हिंदू समुदाय पर सुनियोजित हमले पहले भी हो चुके हैं, विशेष रूप से कश्मीरी पंडितों के पलायन के दौर में। लेकिन आज, 2025 में, जब सरकारें दावा करती हैं कि "घाटी सामान्य है", तब इस तरह का हमला उन दावों को कटघरे में खड़ा करता है।
राजनीतिक और राष्ट्रीय प्रतिक्रिया
हमले के बाद पूरे देश में आक्रोश की लहर दौड़ गई है। प्रधानमंत्री कार्यालय से लेकर केंद्रीय गृह मंत्रालय तक हर स्तर पर इसकी निंदा की गई है। सुरक्षाबलों को आतंकियों को पकड़ने के लिए सख्त निर्देश दिए गए हैं। वहीं, सवाल ये भी उठता है कि पर्यटकों की सुरक्षा कैसे सुनिश्चित की जाएगी?
वीडियो ने हिला दी रूह
जो वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है, वो किसी फिल्मी सीन जैसा नहीं बल्कि रियल लाइफ का भयानक मंजर है। उसमें एक व्यक्ति की डरी हुई आवाज़ सुनाई देती है – “देखो क्या हो रहा है सामने... भागो भागो...” तभी एक ज़ोरदार धमाका और फिर चारों ओर से गोलियों की आवाज़ और महिलाओं की चीखें।
निष्कर्ष: क्या वादियों की सुकून अब बीते दिनों की बात है?
पहलगाम की यह घटना न केवल एक आतंकी हमले की कहानी है, बल्कि यह सवाल उठाती है कि क्या सैलानियों की जन्नत अब सुरक्षित नहीं रही? धार्मिक पहचान के आधार पर लोगों को मारने की यह मानसिकता न केवल कश्मीर बल्कि पूरे देश की शांति के लिए खतरा है।
अब वक्त है सख्त कार्रवाई का, ताकि पहलगाम फिर से शांति, सुकून और सैलानियों की मुस्कुराहटों का गवाह बन सके – ना कि गोलियों, चीखों और खून के धब्बों का।
What's Your Reaction?






