Jamshedpur Teli Sahu Mahasabha : तैलिक साहू महासभा ने मनाई दानवीर भामाशाह की 425वीं पुण्यतिथि
जमशेदपुर में तैलिक साहू महासभा ने दानवीर भामाशाह की 425वीं पुण्यतिथि पर माल्यार्पण और कंबल वितरण का आयोजन किया। जानें भामाशाह जी की ऐतिहासिक भूमिका और इस कार्यक्रम का महत्व।
जमशेदपुर: अखिल भारतीय तैलिक साहू महासभा के जिलाध्यक्ष राकेश साहू के नेतृत्व में साकची (एमजीएम) स्थित भामाशाह गोलचक्कर पर महादानवीर भामाशाह की 425वीं पुण्यतिथि को गौरव दिवस के रूप में मनाया गया। इस अवसर पर भामाशाह जी की तस्वीर पर माल्यार्पण और श्रद्धा सुमन अर्पित करते हुए उन्हें नमन किया गया। साथ ही 51 जरूरतमंद लोगों के बीच कंबल वितरण कर सामाजिक सरोकार का परिचय दिया गया।
भामाशाह जी के योगदान को किया याद
कार्यक्रम में जिलाध्यक्ष राकेश साहू ने भामाशाह जी के ऐतिहासिक योगदान को रेखांकित करते हुए कहा कि उन्होंने महाराणा प्रताप के संघर्ष के समय अपना संपूर्ण खजाना राष्ट्रहित में अर्पित कर दिया था। इसी कारण उन्हें "दानवीर भामाशाह" कहा जाता है। उन्होंने यह भी घोषणा की कि जल्द ही इस गोलचक्कर पर भामाशाह जी की प्रतिमा स्थापित की जाएगी, ताकि उनकी विरासत को जीवंत रखा जा सके।
कंबल वितरण से सामाजिक जिम्मेदारी का निर्वहन
इस पुण्यतिथि पर कंबल वितरण कार्यक्रम का आयोजन कर ठंड के मौसम में जरूरतमंदों की मदद की गई। इस पहल ने समाज में तैलिक साहू महासभा की सामाजिक और मानवीय भूमिका को और सशक्त किया।
कार्यक्रम में भाग लेने वाले प्रमुख सदस्य
इस आयोजन को सफल बनाने में महासभा के कई सदस्यों ने सक्रिय भागीदारी निभाई। प्रमुख रूप से उपस्थित थे:
- सुरेश कुमार (जिला कोषाध्यक्ष)
- रंजीत कुमार साव (वरिष्ठ उपाध्यक्ष)
- पप्पू साहू (महासचिव)
- संतोष गुप्ता (बागबेड़ा थाना क्षेत्रीय अध्यक्ष)
- गौतम साहू, दीपक साहू, नंदकिशोर साहू, मुन्ना साहू, सत्यदेव प्रसाद, और अन्य सदस्य।
भामाशाह जी की विरासत पर प्रकाश
भामाशाह जी का योगदान भारतीय इतिहास में एक अनूठा स्थान रखता है। उन्होंने न केवल महाराणा प्रताप के सैन्य संघर्ष में आर्थिक सहायता दी, बल्कि भारत की स्वाधीनता और स्वाभिमान की रक्षा के लिए भी अप्रतिम योगदान दिया। उनकी पुण्यतिथि पर आयोजित यह कार्यक्रम न केवल उनके बलिदानों को याद करने का एक माध्यम है, बल्कि समाज में सेवा और दान के महत्व को भी रेखांकित करता है।
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