Seraikela Action: सरायकेला में बाल मजदूरी पर बड़ी कार्रवाई, बाल कल्याण समिति की सख्ती से दुकानदारों में मचा हड़कंप
सरायकेला-खरसावां में बाल मजदूरी के खिलाफ जिला बाल कल्याण समिति की कार्रवाई। चौका बाजार और चांडिल में कई दुकानों से नाबालिग बच्चों को छुड़ाया गया। जानें पूरी खबर।
सरायकेला-खरसावां जिला बाल कल्याण समिति ने बाल मजदूरी के खिलाफ सख्त कदम उठाते हुए चौका बाजार और चांडिल में दुकानों और वाणिज्यिक प्रतिष्ठानों पर छापेमारी की। इस कार्रवाई में कुछ दुकानदारों को बाल मजदूरी कराते हुए पकड़ा गया। समिति ने इन दुकानदारों को सख्त चेतावनी दी और बच्चों को उनके अभिभावकों को सौंपा।
कैसे हुई यह कार्रवाई?
जिला विधिक प्राधिकार (डालसा) के सचिव के निर्देश पर यह अभियान शुरू किया गया। रेस्क्यू टीम ने दुकानों और प्रतिष्ठानों का दौरा किया, जहां नाबालिग बच्चों को काम करते हुए पाया गया। टीम ने मौके पर ही दुकानदारों को बाल मजदूरी के दुष्परिणाम और कानूनी प्रावधानों के बारे में बताया।
रेस्क्यू टीम में कौन-कौन थे शामिल?
रेस्क्यू ऑपरेशन में जिला बाल कल्याण समिति के सदस्य सैयद आयाज हैदर और बीना रानी महतो, युवा संस्था के मुकेश कुमार पांडेय, डालसा के पीएलवी सुखरंजन कुमार, विष्णु महतो, बिट्टू प्रजापति और चौका थाना एवं रासुनिया पंचायत के मुखिया शामिल थे। टीम ने सामूहिक रूप से बच्चों को बचाने और दुकानदारों को कानूनी कार्रवाई की चेतावनी देने का काम किया।
बाल मजदूरी: एक गंभीर समस्या
बाल मजदूरी भारत में एक गंभीर समस्या रही है। 1986 में बने बाल श्रम निषेध और विनियमन अधिनियम के बावजूद देश के कई हिस्सों में नाबालिग बच्चों से मजदूरी कराई जाती है। गरीबी, अशिक्षा, और सामाजिक असमानता इसकी मुख्य वजहें हैं। सरायकेला जैसे क्षेत्रों में यह समस्या आज भी गंभीर बनी हुई है।
क्या कहते हैं आंकड़े?
राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (NCPCR) के अनुसार, देश में लाखों बच्चे बाल मजदूरी का शिकार हैं। झारखंड जैसे राज्यों में यह समस्या और भी ज्यादा है, जहां आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के लोग अपने बच्चों को काम पर भेजने को मजबूर हो जाते हैं।
सरायकेला की इस कार्रवाई का महत्व
इस अभियान ने न केवल बाल मजदूरी के खिलाफ एक मजबूत संदेश दिया, बल्कि समाज में जागरूकता फैलाने का काम भी किया। बाल मजदूरी से जुड़े कानूनी प्रावधानों को समझाने और समाज में इसे खत्म करने के लिए यह कार्रवाई एक महत्वपूर्ण कदम है।
दुकानदारों को दी गई सख्त चेतावनी
जिला बाल कल्याण समिति ने बाल मजदूरी में पकड़े गए दुकानदारों को सख्त चेतावनी दी। अगर वे भविष्य में इस तरह के कार्य में संलिप्त पाए जाते हैं, तो उनके खिलाफ कड़ी कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
बचाए गए बच्चों का भविष्य
रेस्क्यू किए गए बच्चों को उनके अभिभावकों को सौंपा गया। समिति ने यह सुनिश्चित करने के लिए भी कदम उठाए हैं कि बच्चे भविष्य में इस तरह की गतिविधियों में शामिल न हों और उन्हें शिक्षा का अधिकार मिले।
सामाजिक जागरूकता की जरूरत
बाल मजदूरी की समस्या को जड़ से खत्म करने के लिए समाज में व्यापक जागरूकता अभियान चलाने की आवश्यकता है। समुदाय के हर व्यक्ति को यह समझना होगा कि बाल मजदूरी न केवल बच्चों के भविष्य को अंधकारमय बनाती है, बल्कि यह समाज की प्रगति में भी बाधक है।
सरायकेला-खरसावां की इस कार्रवाई ने बाल मजदूरी के खिलाफ एक मजबूत संदेश दिया है। यह अभियान न केवल कानूनी रूप से महत्वपूर्ण है, बल्कि समाज में बच्चों के अधिकारों की रक्षा के लिए एक प्रेरणादायक कदम भी है।
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