Baharagora Meeting: पेसा कानून के प्रभाव पर नेताजी सुभाष शिशु उद्यान में मुंडा स्वशासन समिति की अहम बैठक!
बहरागोड़ा में मुंडा स्वशासन समिति की बैठक आयोजित, पेसा कानून के प्रभाव और ग्राम सभा को सशक्त बनाने के उपायों पर चर्चा। जानें इस अहम बैठक में क्या हुआ?
बहरागोड़ा, झारखंड: नेताजी सुभाष शिशु उद्यान में रविवार को मुंडा स्वशासन व्यवस्था की जिला कमेटी की बैठक आयोजित की गई, जिसमें पूर्वी सिंहभूम जिलाध्यक्ष नंद किशोर मुंडा की अध्यक्षता में कई महत्वपूर्ण विषयों पर चर्चा की गई। इस बैठक में मुख्य रूप से झारखंड सरकार के आदेशानुसार पंचम अनुसूचित क्षेत्र में पेसा कानून (PESA Act) को प्रभावी रूप से लागू करने और मुंडा स्वशासन व्यवस्था को मजबूत करने के उपायों पर विचार किया गया।
पेसा कानून: आदिवासी स्वशासन के लिए बड़ा कदम
बैठक में यह स्पष्ट किया गया कि पेसा कानून (Panchayats Extension to Scheduled Areas Act) के प्रभावी क्रियान्वयन से ग्राम सभा को अधिक अधिकार मिलेंगे और आदिवासी समाज को अपनी संस्कृति, परंपरा, नृत्य-संगीत और रीति-रिवाजों को संरक्षित करने का अवसर मिलेगा। इस कानून के तहत, आदिवासी गांवों में ग्राम सभा को अधिक स्वायत्तता मिलेगी, जिससे उनका संपूर्ण विकास सुनिश्चित किया जा सकेगा।
बैठक में किन विषयों पर हुआ मंथन?
- ग्राम सभा को मजबूत करने के लिए आवश्यक कदम
- मुंडा समाज की रीढ़ी प्रथा और पारंपरिक शासन व्यवस्था का संरक्षण
- आदिवासी संस्कृति और परंपराओं को सहेजने की दिशा में योजनाएं
- गांवों के आर्थिक और सामाजिक विकास में पेसा कानून की भूमिका
पेसा कानून के लाभ:
✅ ग्राम सभा को कानूनी अधिकार
✅ आदिवासी रीति-रिवाजों और परंपराओं की सुरक्षा
✅ भूमि और संसाधनों पर स्थानीय समुदायों का नियंत्रण
✅ सांस्कृतिक पहचान और सामाजिक समरसता का संरक्षण
बैठक में उपस्थित प्रमुख प्रतिनिधि
इस महत्वपूर्ण बैठक में कई प्रमुख आदिवासी नेता और समिति के सदस्य उपस्थित रहे। जिनमें शामिल थे:
- जिला सचिव: बाऊरी पद मुंडा
- सलाहकार: नियरल, बलराम सिंह मुंडा
- जिला उपाध्यक्ष: नलिन मुंडा
- कोषाध्यक्ष: संतोष सिंह
- उपाध्यक्ष: बिमल मुंडा, गोपी नाथ मुंडा, माधव मुंडा
- बहरागोड़ा प्रखंड अध्यक्ष: कृष्ण मुंडा
- अन्य प्रमुख सदस्य: बुधराम मुंडा, उत्तम मुंडा, कृष्ण चंद्र मुंडा, लक्ष्मण मुंडा, मनोज सिंह, गोपाल मुंडा, आशीष मुंडा, दुर्गा पद मुंडा, मंगल मुंडा, गुहीराम मुंडा
क्या है पेसा कानून और इसका ऐतिहासिक महत्व?
पेसा कानून 1996 में लागू किया गया था, जिसका उद्देश्य आदिवासी समुदायों को उनकी पारंपरिक शासन प्रणाली के तहत अधिक अधिकार देना था। यह कानून विशेष रूप से पंचम अनुसूचित क्षेत्र में लागू किया गया, जहां आदिवासी स्वशासन और पारंपरिक ग्राम सभाओं की भूमिका को मान्यता दी गई है। इस कानून के तहत, ग्राम सभा को संपत्ति के अधिकार, जल, जंगल और जमीन पर नियंत्रण और स्थानीय स्तर पर प्रशासनिक निर्णय लेने का अधिकार प्राप्त होता है।
निष्कर्ष: आदिवासी स्वशासन को मिलेगी मजबूती
बैठक में आए सभी सदस्यों ने एकमत से पेसा कानून को सही तरीके से लागू करने और ग्राम सभाओं को मजबूत करने की जरूरत पर जोर दिया। इस निर्णय से आदिवासी समाज की संस्कृति, परंपराओं और स्वशासन प्रणाली को मजबूती मिलेगी, जिससे उनका संपूर्ण विकास सुनिश्चित किया जा सकेगा।
What's Your Reaction?