Bagbera Speech Republic Day : गणतंत्र दिवस पर डॉ. कविता परमार का जोरदार संबोधन, याद दिलाया संविधान का महत्व
बागबेड़ा में गणतंत्र दिवस पर डॉ. कविता परमार ने झंडोतोलन करते हुए संविधान और स्वतंत्रता के महत्व को बताया। जानें उनके प्रेरणादायक भाषण की खास बातें।
Bagbera Speech: बागबेड़ा जिला पार्षद डॉ. कविता परमार ने गणतंत्र दिवस के अवसर पर कई स्थानों पर झंडोतोलन कार्यक्रम में भाग लिया और संविधान, लोकतंत्र, और स्वतंत्रता के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने अपने प्रेरणादायक भाषण के जरिए गणतंत्र दिवस को आत्मनिरीक्षण और देश के प्रति कर्तव्य निभाने का अवसर बताया।
गणतंत्र दिवस: एक स्वर्णिम अध्याय
गणतंत्र दिवस, 26 जनवरी, भारतीय इतिहास में एक स्वर्णिम अध्याय के रूप में दर्ज है। यह वह दिन है जब 1950 में भारत ने अपने संविधान को लागू किया और लोकतंत्र को नई पहचान दी। डॉ. कविता परमार ने इस खास दिन के महत्व को समझाते हुए कहा, "गणतंत्र दिवस केवल एक उत्सव नहीं है, यह हमारे संविधान और स्वतंत्रता के प्रति हमारे कर्तव्यों की याद दिलाने वाला एक प्रेरणादायक दिन है।"
डॉ. परमार ने कई स्थानों पर फहराया तिरंगा
डॉ. परमार ने बागबेड़ा के विभिन्न स्थानों पर तिरंगा फहराकर गणतंत्र दिवस के जश्न में भाग लिया। उनके द्वारा शामिल स्थानों में जिला परिषद कार्यालय, रेलवे ग्राउंड बागबेड़ा, राजेंद्र मध्य विद्यालय, प्राथमिक विद्यालय बागबेड़ा कॉलोनी, पश्चिम बागबेड़ा पंचायत महिला समूह कार्यालय, सरस्वती शिशु विद्या मंदिर, और अनुग्रह नारायण सिंह शिक्षण एवं सेवा संस्थान शामिल थे।
उन्होंने कदमा क्षत्रिय भवन और बागबेड़ा थाना परिसर में भी झंडोतोलन किया। हर जगह पर उनकी उपस्थिति ने समारोह को और भी खास बना दिया।
डॉ. परमार के विचार: देशभक्ति और आत्मनिरीक्षण का संदेश
डॉ. परमार ने अपने संबोधन में गणतंत्र दिवस को केवल एक उत्सव मानने के बजाय इसे आत्मनिरीक्षण का दिन बताया। उन्होंने कहा, "यह दिन हमें हमारे देश के प्रति अपने कर्तव्यों को निभाने की प्रेरणा देता है। हमें अपने संविधान को समझने और उसके प्रति ईमानदार रहने की आवश्यकता है।"
उनके विचारों ने वहां मौजूद लोगों को देशभक्ति के प्रति और अधिक जागरूक किया। उनके भाषण में संविधान के महत्व, लोकतंत्र की ताकत और स्वतंत्रता की कीमत पर गहरी चर्चा हुई।
गणतंत्र दिवस का इतिहास
गणतंत्र दिवस 26 जनवरी 1950 को पहली बार मनाया गया था। इस दिन भारत का संविधान लागू हुआ, जिसने भारत को एक संप्रभु, समाजवादी, धर्मनिरपेक्ष और लोकतांत्रिक गणराज्य के रूप में स्थापित किया। संविधान निर्माण में 2 साल, 11 महीने और 18 दिन लगे।
डॉ. परमार ने अपने संबोधन में इस ऐतिहासिक संदर्भ का जिक्र किया और बताया कि हमारा संविधान दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र की नींव है।
झंडोतोलन में उमड़ी भीड़
बागबेड़ा में झंडोतोलन के दौरान बड़ी संख्या में लोग शामिल हुए। हर जगह राष्ट्रगान की गूंज और "वंदे मातरम" के नारों ने माहौल को देशभक्ति से भर दिया। बच्चों और युवाओं में इस दिन को लेकर खासा उत्साह देखा गया।
डॉ. परमार का संदेश
कार्यक्रम के अंत में डॉ. परमार ने सभी को गणतंत्र दिवस की शुभकामनाएं दीं और कहा, "आइए, इस दिन को एक नई शुरुआत के रूप में लें और अपने देश को बेहतर बनाने में अपना योगदान दें। हमें अपने अधिकारों के साथ अपने कर्तव्यों का भी पालन करना चाहिए। यही गणतंत्र दिवस की सच्ची भावना है।"
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