Jamshedpur Tata Steel Wage Revision: टाटा स्टील कर्मचारियों की वेतन बढ़ोतरी पर बड़ी पहल
टाटा स्टील जमशेदपुर में वेतन संशोधन को लेकर 18 पन्नों का चार्टर्ड ऑफ डिमांड सौंपा गया। क्या मैनेजमेंट कर्मचारियों की सभी मांगें मान लेगा? जानिए पूरा मामला।
जमशेदपुर: टाटा स्टील के जमशेदपुर प्लांट में वेतन संशोधन को लेकर चर्चा जोरों पर है। टाटा वर्कर्स यूनियन ने 18 पन्नों का चार्टर्ड ऑफ डिमांड मैनेजमेंट को सौंप दिया है, जिसमें कर्मचारियों के हितों को प्रमुखता से उठाया गया है। यूनियन के महामंत्री सतीश सिंह ने यह डिमांड नियमों के अनुसार पेश की। अब सबकी नजर मैनेजमेंट की प्रतिक्रिया और आने वाले वेतन वार्ता पर है।
चार्टर्ड ऑफ डिमांड: क्या हैं प्रमुख मांगें?
चार्टर्ड ऑफ डिमांड में कर्मचारियों की बेहतरी और सुविधा के लिए कई अहम बिंदु शामिल किए गए हैं। इनमें मुख्य रूप से:
- पदोन्नति की नई व्यवस्था समाप्त करना: यूनिफॉर्म वेज स्ट्रक्चर के कारण लागू की गई ESBS प्रणाली को खत्म करने की मांग।
- कार्यदिवस कम करना: हफ्ते में 5 कार्यदिवस सुनिश्चित करना।
- विदेश यात्रा का प्रावधान: 10 साल की नौकरी पूरी करने वाले कर्मचारियों को विदेश यात्रा की सुविधा।
- नया बेसिक वेतन: 100 प्रतिशत महंगाई भत्ता (डीए) को बेसिक में मर्ज करके नया बेसिक वेतन तय करना।
- हाउस रेंट एलाउंस: इसे बेसिक और डीए का 40 प्रतिशत करने की मांग।
- पीएफ में हिस्सेदारी बढ़ाना: कंपनी की पीएफ में हिस्सेदारी को 20 प्रतिशत तक बढ़ाने का प्रस्ताव।
- मिनीमम ग्रांटेड बेनिफिट (MGB): इसे 50 प्रतिशत तक बढ़ाने का आग्रह।
इतिहास: टाटा स्टील और ग्रेड रिवीजन
टाटा स्टील कर्मचारियों के ग्रेड रिवीजन का इतिहास हमेशा से चर्चित रहा है। कंपनी का पिछला समझौता 31 दिसंबर 2024 को समाप्त हो जाएगा। अगर समय पर नया वेतन समझौता नहीं हुआ, तो 1 जनवरी 2025 से कर्मचारियों का ग्रेड लंबित हो जाएगा, जिससे कर्मचारियों की आर्थिक योजनाओं पर असर पड़ेगा।
टाटा स्टील ने हमेशा से अपने कर्मचारियों के हितों को प्राथमिकता दी है, लेकिन इस बार कर्मचारियों की मांगें पहले से कहीं ज्यादा बड़ी और चुनौतीपूर्ण हैं।
क्या कहती है यूनियन?
टाटा वर्कर्स यूनियन के महामंत्री सतीश सिंह ने कहा, "यह चार्टर्ड ऑफ डिमांड कर्मचारियों की जरूरतों और उनके हितों को ध्यान में रखकर तैयार किया गया है। मैनेजमेंट से हमारी उम्मीद है कि इस पर सकारात्मक चर्चा होगी।"
उन्होंने कहा कि कर्मचारियों की मांगें न केवल उनके जीवन स्तर को बेहतर बनाएंगी, बल्कि टाटा स्टील की कार्यक्षमता में भी सुधार करेंगी।
कर्मचारियों की प्रतिक्रिया
कर्मचारी वेतन संशोधन को लेकर उत्सुक हैं। उनका कहना है कि चार्टर्ड ऑफ डिमांड में उठाई गई सभी मांगें जायज हैं। खासकर हाउस रेंट एलाउंस बढ़ाने और 5 दिन कार्यदिवस लागू करने की मांग से उनका जीवन आसान होगा।
मैनेजमेंट की चुनौती
चार्टर्ड ऑफ डिमांड में जो प्रस्ताव दिए गए हैं, वे कर्मचारी हित में तो हैं, लेकिन कंपनी के लिए वित्तीय चुनौती बन सकते हैं। अब सवाल यह है कि मैनेजमेंट कर्मचारियों की सभी मांगों को पूरा करेगा या इनमें से कुछ पर समझौता किया जाएगा।
आगे की प्रक्रिया
अब मैनेजमेंट अपना चार्टर्ड ऑफ डिमांड यूनियन को सौंपेगा। इसके बाद दोनों पक्षों के बीच वार्ता शुरू होगी। यह प्रक्रिया दिसंबर 2024 के अंत तक पूरी होने की उम्मीद है।
जमशेदपुर में टाटा स्टील के वेतन संशोधन की यह प्रक्रिया न केवल कर्मचारियों बल्कि अन्य कंपनियों के लिए भी मिसाल बन सकती है। क्या मैनेजमेंट कर्मचारियों की मांगों पर सहमति देगा? या वार्ता के लिए लंबा इंतजार करना पड़ेगा? इसका फैसला आने वाले हफ्तों में होगा
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