Aligarh Blind Student : दृष्टिबाधितों ने समाज में बनाई अलग पहचान, जानें कैसे बदल रही है उनकी दुनिया

अलीगढ़ में आयोजित कार्यक्रम में दृष्टिबाधित विद्यार्थियों को सम्मानित किया गया। जानिए किस तरह इन विद्यार्थियों ने अपनी मेहनत से समाज में अपना स्थान बनाया।

Dec 21, 2024 - 12:28
 0
Aligarh Blind Student : दृष्टिबाधितों ने समाज में बनाई अलग पहचान, जानें कैसे बदल रही है उनकी दुनिया
अलीगढ़: दृष्टिबाधितों ने समाज में बनाई अलग पहचान, जानें कैसे बदल रही है उनकी दुनिया

अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के मौलाना आज़ाद लाइब्रेरी के कल्चरल हॉल में 19 दिसंबर को स्कोर फाउंडेशन, दिल्ली द्वारा एक अनोखे कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य दृष्टिबाधित विद्यार्थियों को प्रोत्साहित करना और उन्हें उनकी क्षमताओं के बारे में अवगत कराना था। कार्यक्रम की मुख्य अतिथि हिंदी विभाग की प्रोफेसर तस्लीम सुहेल ने अपने संबोधन में दृष्टिबाधित विद्यार्थियों की मेहनत और उनकी सफलता को सराहा।

प्रोफेसर तस्लीम सुहेल ने कहा, "आज दृष्टिबाधित छात्र और छात्राएं किसी भी क्षेत्र में पीछे नहीं हैं। अपनी अद्वितीय क्षमता और परिश्रम से उन्होंने समाज में अपनी एक अलग पहचान बनाई है। ये छात्र न केवल अपने जीवन को आसान बना रहे हैं, बल्कि अपने उदाहरण से दूसरों को भी प्रेरित कर रहे हैं।"

दृष्टिबाधितों को दिए गए उपकरण और सम्मान

कार्यक्रम के दौरान अहमदी स्कूल की प्रधानाचार्य श्रीमती नायला राशिद ने भी अपनी बात रखते हुए कहा, "हमारा हमेशा यही प्रयास रहता है कि सभी विद्यार्थियों को उनके कौशल दिखाने का अवसर मिले।" उन्होंने यह भी कहा कि दृष्टिबाधित विद्यार्थियों को विभिन्न शैक्षिक और सामाजिक अवसरों का फायदा उठाना चाहिए।

कार्यक्रम में उपस्थित अतिथि प्रोफेसर मदीउर रहमान शेरवानी ने दृष्टिबाधितों के सामने आने वाली चुनौतियों पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि इन विद्यार्थियों को बहुत सी बाधाओं का सामना करना पड़ता है, लेकिन उनके अडिग हौसले और लगातार प्रयासों ने उन्हें समाज में सम्मान दिलवाया है।

कार्यक्रम के अंत में स्कोर फाउंडेशन की ओर से 150 विद्यार्थियों को स्मार्ट केन वाकिंग स्टिक वितरित की गई। इन उपकरणों की मदद से दृष्टिबाधित विद्यार्थियों को चलने में सुविधा मिलेगी और वे अपनी यात्रा में स्वतंत्रता का अनुभव कर सकेंगे।

शिक्षकों की भूमिका: समाज की जिम्मेदारी

कार्यक्रम में हिंदी विभाग के डॉ. गुलाम फरीद साबरी ने भी अपनी राय रखी। उन्होंने कहा, "हम सभी को यह समझना चाहिए कि शिक्षक और समाज के जिम्मेदार व्यक्तियों के तौर पर हमें दृष्टिबाधित व्यक्तियों की मदद के लिए हमेशा तैयार रहना चाहिए। उनके संघर्षों को समझकर हमें उन्हें हर संभव मदद करनी चाहिए।"

कार्यक्रम के संयोजक श्री जॉर्ज अब्राहम ने फाउंडेशन की कार्यप्रणाली को सभी के सामने प्रस्तुत किया और बताया कि इस प्रकार के कार्यक्रम दृष्टिबाधित विद्यार्थियों के लिए कितने महत्वपूर्ण हैं।

कमला नेहरू कॉलेज के हिंदी विभाग में कार्यरत डॉ. मोहम्मद इसराइल ने अपने विद्यार्थी जीवन के अनुभवों को साझा किया। उन्होंने बताया कि जब वह विद्यार्थी थे, तब शिक्षकों और समाज के सहयोग से ही उन्होंने अपने जीवन की कठिनाइयों को पार किया।

कार्यक्रम का समापन और प्रेरणा का संदेश

इस अवसर पर डॉ. अफसाना बी और हुसैन अहमद जैसे गणमान्य लोग भी उपस्थित थे। कार्यक्रम का संचालन श्री अरशद कमान ने किया। इस कार्यक्रम ने केवल दृष्टिबाधित विद्यार्थियों को एक नई दिशा दी, बल्कि समाज को यह संदेश भी दिया कि किसी भी व्यक्ति की सफलता उसकी मेहनत और लगन पर निर्भर होती है, न कि उसकी शारीरिक स्थिति पर।

समाज में दृष्टिबाधित व्यक्तियों का स्थान मजबूत करना हमारे सामूहिक प्रयासों पर निर्भर करता है। इस प्रकार के कार्यक्रम न केवल उन्हें प्रोत्साहित करते हैं, बल्कि हमें भी यह सिखाते हैं कि हम सभी को समान अवसरों की तलाश करनी चाहिए।

क्या आप भी इन दृढ़ नायक व्यक्तित्वों से प्रेरित हैं?

What's Your Reaction?

like

dislike

love

funny

angry

sad

wow