Sidhgora Crackdown: अवैध खनन पर प्रशासन सख्त, बालू लदे दो वाहन जब्त
सिदगोड़ा और बिरसानगर में अवैध खनन पर प्रशासन ने चलाया जांच अभियान। बिना परमिट बालू ढोते दो वाहन जब्त। जानें पूरी कार्रवाई की कहानी।
सिदगोड़ा: जिला प्रशासन ने अवैध खनन और खनिजों के अवैध परिवहन पर नकेल कसते हुए जांच अभियान को तेज कर दिया है। जिला दंडाधिकारी सह उपायुक्त श्री अनन्य मित्तल के निर्देशानुसार, यह अभियान सिदगोड़ा और बिरसानगर इलाके में चलाया गया, जिसमें बालू लदे दो वाहन बिना वैध दस्तावेजों के पाए गए।
अवैध खनन और परिवहन पर यह कार्रवाई 22 नवंबर, 2024 की रात हुई। जिला खनन कार्यालय की टीम ने छापेमारी करते हुए दो वाहनों को जब्त किया।
जांच अभियान का पूरा विवरण
जांच के दौरान सिदगोड़ा थाना क्षेत्र में वाहन संख्या JH05CQ - 4489 और बिरसानगर थाना क्षेत्र में वाहन संख्या JH10AD - 5627 को रोका गया।
दोनों वाहनों में बालू लदा हुआ था, लेकिन खनिज परिवहन चालान नहीं था। टीम ने तुरंत कार्रवाई करते हुए इन वाहनों को जब्त कर स्थानीय थानों को सौंप दिया।
खनिज चोरी: एक पुरानी चुनौती
खनिजों का अवैध खनन और परिवहन झारखंड जैसे खनिज संपन्न राज्य की एक बड़ी समस्या रही है। बालू, पत्थर और कोयला जैसे संसाधनों की चोरी से न केवल पर्यावरण को नुकसान पहुंचता है, बल्कि सरकारी राजस्व को भी भारी हानि होती है।
झारखंड में बालू के अवैध खनन पर 2000 के दशक में बड़े पैमाने पर शिकंजा कसने की कोशिश की गई थी। इसके बावजूद, नदी किनारे के क्षेत्रों और खदानों में चोरी के मामलों में गिरावट नहीं आ पाई।
देर रात छापेमारी से मचा हड़कंप
जिला खनन कार्यालय की टीम ने रात में कार्रवाई करते हुए सिदगोड़ा और बिरसानगर में बालू लदे वाहनों को पकड़कर अवैध खनन में लिप्त लोगों के बीच खलबली मचा दी।
इन इलाकों में बालू माफिया लंबे समय से सक्रिय हैं और रात के अंधेरे में अवैध खनिज परिवहन करते हैं। प्रशासन की इस कार्रवाई ने उनके मंसूबों पर पानी फेर दिया।
अवैध खनन के खतरे
अवैध खनन न केवल सरकारी खजाने को नुकसान पहुंचाता है, बल्कि यह पर्यावरण के लिए गंभीर खतरा बनता जा रहा है। नदियों से अंधाधुंध बालू खनन उनके जल प्रवाह और जैव विविधता को प्रभावित करता है। इसके अलावा, ग्रामीण इलाकों में यह सामाजिक संघर्षों और अपराधों को भी बढ़ावा देता है।
खनन क्षेत्र में प्रशासन की चुनौतियां
हालांकि झारखंड सरकार अवैध खनन को रोकने के लिए सख्त कदम उठा रही है, लेकिन स्थानीय माफिया और उनकी जटिल रणनीतियां प्रशासन के लिए एक बड़ी चुनौती बनी हुई हैं।
प्रशासन ने हाल के वर्षों में कई बार GPS ट्रैकिंग और इलेक्ट्रॉनिक चालान प्रणाली जैसे तकनीकी उपायों का सहारा लिया है, लेकिन जमीनी स्तर पर इनका प्रभाव सीमित रहा है।
जिला प्रशासन के सख्त निर्देश
उपायुक्त अनन्य मित्तल ने अधिकारियों को निर्देश दिया है कि खनिजों की चोरी रोकने के लिए सघन जांच अभियान लगातार चलाया जाए। उन्होंने स्थानीय लोगों से भी अपील की है कि वे अवैध खनन और परिवहन की जानकारी प्रशासन को दें।
सख्त कार्रवाई की जरूरत
खनिज माफियाओं पर शिकंजा कसने के लिए सरकार को सख्त नीतियों और आधुनिक तकनीकों को लागू करना होगा। अवैध खनन रोकने के लिए स्थानीय समुदायों को भी जागरूक करना बेहद जरूरी है।
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