XLRI Conference: XLRI में हुआ लीडरशिप पर चर्चा, जानिए क्यों मानवता और विविधता की अहमियत है भविष्य के लिए
एक्सएलआरआइ में तीन दिवसीय इंटरनेशनल कॉन्फ्रेंस का समापन हुआ, जिसमें बिजनेस लीडरशिप, एथिकल वैल्यूज और सम्मान के महत्व पर चर्चा की गई। जानिए इसके बारे में।
देश के प्रमुख बिजनेस स्कूल एक्सएलआरआइ, जमशेदपुर में तीन दिवसीय इंटरनेशनल कॉन्फ्रेंस का आयोजन 9 से 11 जनवरी तक किया गया। इस कॉन्फ्रेंस का मुख्य विषय "बिजनेस और लीडरशिप में सम्मान का महत्व" था। यह सम्मेलन न केवल देशभर से बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी प्रसिद्ध था, जहां बिजनेस लीडरशिप, एथिकल वैल्यूज और सम्मान के महत्व पर गहरी चर्चा हुई।
सम्मान और नेतृत्व का अहम संबंध
कॉन्फ्रेंस के उद्घाटन सत्र में टाटा स्टील की चीफ एथिक्स काउंसलर सोनी सिन्हा ने भाग लिया और अपनी महत्वपूर्ण बातों को साझा किया। उन्होंने कहा, "सम्मान केवल एक शब्द नहीं, बल्कि वह शक्ति है जो सामाजिक भलाई और संगठनात्मक सफलता को सामंजस्यपूर्ण तरीके से जोड़ती है।" उन्होंने यह भी बताया कि सम्मान एथिकल लीडरशिप का मुख्य हिस्सा है, जो किसी भी व्यवसाय के लिए सफल और स्थायी विकास की कुंजी है।
इसी दौरान, मुख्य अतिथि डॉ. मदन पिल्लुतला (डीन, इंडियन स्कूल ऑफ बिजनेस) ने अपने संबोधन में कहा कि "वह लीडरशिप हमेशा आगे बढ़ेगी जो मानवता और विविधता का सम्मान करेगा।" डॉ. मदन ने एथिकल वैल्यूज और स्थायी विकास के बीच गहरे संबंध पर जोर दिया और लाभ संचालित उद्देश्यों को सीमित रखने की आवश्यकता की बात की।
सम्मान को एक अदृश्य करेंसी मानते हैं प्रोफेसर संजय पात्रो
इस अवसर पर एक्सएलआरआइ के डीन प्रोफेसर संजय पात्रो ने कहा, "सम्मान वह अदृश्य करेंसी है, जो एथिकल लीडरशिप को बढ़ावा देती है।" उन्होंने बताया कि सम्मान न केवल हमारे कार्यों को प्रेरित करता है, बल्कि यह हमें कठिन समय में भी सशक्त बनाए रखता है।
इसी तरह, फादर डोनाल्ड डिसिल्वा ने कहा, "हमारे संगठन और समुदाय में सम्मान वह कार्य है जो हम प्रतिदिन करते हैं। यह किसी के बड़े या छोटे होने से प्रभावित नहीं होता। सम्मान में कोताही नहीं होनी चाहिए।"
एथिकल लीडरशिप पर एक नई पुस्तक का विमोचन
इस कार्यक्रम में जेआरडी टाटा फाउंडेशन फॉर बिजनेस एथिक्स के चेयर प्रोफेसर फादर कुरुविला पांडिकुट्टू ने "एथिकल लीडरशिप एंड सस्टेनेबल प्रैक्टिस" नामक पुस्तक का विमोचन भी किया। यह पुस्तक व्यवसायों में एथिकल लीडरशिप और नैतिक प्रथाओं की आवश्यकता को समझाने के लिए एक अहम कदम है।
मुद्दे पर प्रमुख वक्ताओं के विचार
कॉन्फ्रेंस में विभिन्न प्रतिष्ठित शिक्षाविदों और उद्योग जगत के नेताओं ने भी अपने विचार साझा किए।
- प्रोफेसर राम कुमार काकानी, निदेशक, आईआईएम रायपुर ने कहा, "गलतियां छुपाने के बजाय उन्हें स्वीकार कर उनसे सीखना ही असली नैतिक नेतृत्व है।"
- प्रोफेसर पवन कुमार सिंह, निदेशक, आईआईएम तिरुचिरापल्ली ने कहा, "किसी के सम्मान से सहयोग मिलता है और सहयोग ही नवप्रवर्तन को जन्म देता है।"
- प्रोफेसर श्रीराम नारायणन, मिशिगन स्टेट यूनिवर्सिटी ने कहा, "किसी भी व्यवसाय का भविष्य बिजनेस एथिक्स, पारदर्शिता और सम्मान के सामंजस्यपूर्ण एकीकरण में निहित है।"
- प्रोफेसर अरूप वर्मा, लोयोला विश्वविद्यालय, शिकागो ने कहा, "सम्मान और नैतिकता वह हथियार है जो चुनौतियों के समय हमेशा आपके साथ खड़ा रहता है।"
सतत विकास के लिए नैतिक मूल्यों का महत्व
इस कार्यक्रम में सभी वक्ताओं ने दीर्घकालिक और सतत विकास के लिए नैतिक मूल्यों की आवश्यकता पर जोर दिया। डॉ. हिमांशु राय, निदेशक, आईआईएम इंदौर ने कहा कि शॉर्टकट से कुछ समय के लिए सफलता मिल सकती है, लेकिन दीर्घकालिक विकास के लिए नैतिक मूल्यों के साथ कार्य करना आवश्यक है।
नैतिक नेतृत्व के महत्व को समझते हुए
यह तीन दिवसीय कॉन्फ्रेंस न केवल बिजनेस लीडरशिप बल्कि समाज में बदलाव लाने वाले एथिकल लीडरशिप की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम था। यह आयोजन उन सभी को प्रेरित करता है जो अपने कार्यों में सम्मान, नैतिकता और विविधता का सम्मान करते हुए आगे बढ़ना चाहते हैं।
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