चार दिन बाद मिला सुमित मोदी का शव, देवाशीष धीवर की टीम ने रात के अंधेरे में दिखाया साहस
डोबो पुल के नीचे खरकई नदी से मिला सुमित मोदी का शव। चार दिन के रेस्क्यू ऑपरेशन के बाद भी एनडीआरएफ रही असफल। जानें कैसे देवाशीष धीवर की टीम ने दिखाया साहस!
गुरुवार देर शाम जमशेदपुर से सटे कपाली के डोबो पुल के नीचे खरकई नदी से पुलिस ने पानी में तैरता एक युवक का शव बरामद किया। इसकी पहचान रविवार दोपहर आरआईटी के खरकई नदी के आसंगी में निर्माणाधीन चेकडैम में नहाने के दौरान डूबे सुमित मोदी के रूप में हुई है। इसके बाद पुलिस ने शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया। आज युवक के शव का पोस्टमार्टम कराया जाएगा।
चार दिनों तक चले रेस्क्यू ऑपरेशन के बाद जब एनडीआरएफ की टीम वापस लौट गई, तो पांचवें दिन सुमित का शव घटनास्थल से करीब 20 किलोमीटर दूर डोबो पुल के समीप मिला। चार दिनों तक रांची से आई एनडीआरएफ की टीम ने चेकडैम में डूबे दोनों युवकों (सुमित मोदी और आदित्य महतो) को ढूंढने का प्रयास किया मगर उन्हें सफलता नहीं मिली। आदित्य का शव घटनास्थल से डेढ़ किलोमीटर दूर नदी में बहता मिला, जबकि सुमित का शव करीब 20 किलोमीटर दूर डोबो में मिला।
गुरुवार देर शाम करीब 6:00 बजे ही डोबो पुल के नीचे खरकई नदी में युवक का शव देखा गया था। सूचना मिलते ही आदित्यपुर नगर परिषद के पूर्व उपाध्यक्ष पुरेंद्र नारायण सिंह, वार्ड 24 के पूर्व पार्षद धीरेन महतो, झामुमो नेता घनश्याम मंडल, परमेश्वर प्रधान, कपाली ओपी पुलिस, सोनारी पुलिस, आरआईटी पुलिस सहित अन्य मौके पर पहुंचे। स्थानीय गोताखोर देवाशीष धीवर और उनकी टीम के सहयोग से रात करीब 10:00 बजे के आसपास नदी से शव को बाहर निकाला गया। सुमित के परिजनों को बुलवाकर शव की पहचान कराई गई। परिजनों ने शव की शिनाख्त की, उसके बाद पुलिस ने शव को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए भिजवा दिया।
पुरेन्द्र नारायण सिंह ने सुमित का शव मिलने के बाद परिजनों में कोहराम मच गया। पांच दिन से इस रेस्क्यू ऑपरेशन से जुड़े रहे आदित्यपुर नगर परिषद के पूर्व उपाध्यक्ष पुरेन्द्र नारायण सिंह, वार्ड 24 के पूर्व पार्षद धीरेन महतो, झामुमो नेता घनश्याम मंडल और परमेश्वर प्रधान ने गम्हरिया सीओ कमल किशोर सिंह और आरआईटी के थानेदार विनय कुमार के साथ युवक के परिजनों के प्रति अपनी संवेदना प्रकट की और हर संभव सहयोग का आश्वासन दिया। पुरेन्द्र ने बताया कि मृतक सुमित और आदित्य दोनों अपने घर का इकलौता चिराग थे। इस हादसे ने दोनों घरों के चिराग बुझा दिए हैं। घटना बेहद ही मार्मिक है। जिला प्रशासन और सरकार को दोनों के परिजनों खासकर सुमित के परिजनों को विशेष राहत पैकेज देने की जरूरत है। उन्होंने रेस्क्यू ऑपरेशन से जुड़ी पूरी टीम के प्रति आभार जताया।
पुरेन्द्र नारायण सिंह ने बताया कि जिस ऑपरेशन को निपटाने के लिए रांची से 30 सदस्यीय एनडीआरएफ की टीम पहुंची थी, तीसरे दिन ही टीम बैरंग लौट गई। उन्हें एक भी डूबे युवक का शव निकालने में सफलता नहीं मिली। इस पूरे अभियान में जमशेदपुर के सोनारी निर्मल बस्ती में रहने वाले देवाशीष धीवर की टीम की भूमिका सराहनीय रही। भले ही हाईटेक एनडीआरएफ की टीम के आने के बाद उनकी पूछ नहीं हुई, मगर पहले दिन रेस्क्यू ऑपरेशन की शुरुआत देवाशीष धीवर की टीम ने ही की थी। वहीं, पांचवें दिन अभियान का समापन भी उन्हीं के हाथों हुआ। जैसे ही सुमित के डोबो पुल के नीचे नदी में शव होने की सूचना मिली, देवाशीष धीवर की टीम रात के अंधेरे और पानी के तेज बहाव का भय त्याग कर जिला प्रशासन और जनप्रतिनिधियों के बुलावे पर डोबो पहुंच गई और देर रात करीब दस बजे शव को निकालकर पुलिस को सौंप दिया। इस टीम में देवाशीष धीवर, लखन धीवर, राखोहरी धीवर, मेघा धीवर और तोता धीवर शामिल थे, जो किसी भी जलीय आपदा की घड़ी में एक आवाज पर ही पहुंच जाते हैं। पुरेन्द्र नारायण सिंह ने जिलाधिकारी से मिलकर इन्हें सम्मानित करने और इनके लिए कोई नियमित आर्थिक पैकेज उपलब्ध कराने की मांग करने का भरोसा दिलाया। उन्होंने बताया कि हर आपदा की घड़ी में देवाशीष धीवर की टीम सबसे पहले पुलिस-प्रशासन की मदद के लिए सामने आती है। उन्हें पहचान और सम्मान के साथ आर्थिक मदद की नितांत आवश्यकता है।