Saraikela Honour Moment: पीएम मोदी ने खुद थमाया EXCELLENCE अवॉर्ड, रविशंकर शुक्ल बने आदर्श अधिकारी!
सरायकेला के उपायुक्त रविशंकर शुक्ल को दिल्ली में पीएम नरेंद्र मोदी ने अपने हाथों से PM एक्सीलेंस अवॉर्ड से नवाजा। जानिए कैसे गम्हरिया प्रखंड के कार्यों ने जिला को दिलाया राष्ट्रीय गौरव और क्यों रविशंकर शुक्ल को बताया जा रहा है प्रशासनिक मिसाल।

सरायकेला, झारखंड: झारखंड के एक छोटे से जिले ने देशभर में गर्व का परचम लहराया है। दिल्ली के विज्ञान भवन में आयोजित 17वें सिविल सेवा दिवस के मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सरायकेला जिले के उपायुक्त रविशंकर शुक्ल को PM एक्सीलेंस अवॉर्ड से सम्मानित किया। यह सम्मान उन्हें आकांक्षी प्रखंड गम्हरिया में किए गए जनकल्याणकारी और प्रभावशाली कार्यों के लिए दिया गया है।
इस ऐतिहासिक क्षण ने न केवल रविशंकर शुक्ल को देश के अग्रणी प्रशासनिक अधिकारियों की कतार में खड़ा कर दिया, बल्कि सरायकेला जिले को भी राष्ट्रीय मंच पर विशेष पहचान दिलाई।
क्या है आकांक्षी प्रखंड गम्हरिया की कहानी?
गम्हरिया प्रखंड को नीति आयोग द्वारा आकांक्षी जिलों की सूची में शामिल किया गया था। इसका उद्देश्य उन क्षेत्रों का तेजी से विकास करना था जो बुनियादी सुविधाओं के मामले में पीछे रह गए थे।
जब नीति आयोग की टीम गम्हरिया के निरीक्षण पर पहुंची, तो पाया गया कि वहाँ स्वास्थ्य, शिक्षा, पोषण, कृषि और आधारभूत संरचना जैसे सभी मापदंडों पर शानदार प्रगति हुई है। इस प्रगति के पीछे मुख्य भूमिका निभाई उपायुक्त रविशंकर शुक्ल ने, जिन्होंने अपने दृढ़ नेतृत्व और ज़मीनी जुड़ाव से सरकारी योजनाओं को सच्चे अर्थों में आमजन तक पहुंचाया।
पीएम मोदी का संदेश: बढ़ता भारत, बदलता प्रशासन
इस अवसर पर प्रधानमंत्री मोदी ने अपने भाषण में कहा,
"भारत अब वृद्धिशील परिवर्तन नहीं, प्रभावशाली परिवर्तन की दिशा में बढ़ रहा है। हमारी नीतियां अब जनरेशन रिफॉर्म को केंद्र में रखकर बन रही हैं।"
उन्होंने यह भी कहा कि तकनीक, नवाचार और नई प्रणाली के जरिए सरकार और नागरिकों के बीच की दूरी को खत्म किया जा रहा है। यही बदलाव उन अफसरों के ज़रिए संभव हो पा रहा है जो न केवल सिस्टम को समझते हैं बल्कि उसे बेहतर बनाने की दिशा में प्रयासरत रहते हैं।
रविशंकर शुक्ल: पद से नहीं, सोच से बड़ा अधिकारी
सरायकेला के लोग उपायुक्त रविशंकर शुक्ल को एक सुलझे हुए, संवेदनशील और सहज प्रशासक के रूप में जानते हैं। स्थानीय सामाजिक कार्यकर्ता मनोज चौधरी ने उन्हें बधाई देते हुए कहा,
"श्री शुक्ल जैसे अधिकारी पद से नहीं, अपने संस्कारों से पूजनीय होते हैं।"
चैत्र पर्व के दौरान कलाकारों को सम्मान देना, उनके साथ सामान्य जन की तरह बैठकर भोजन करना – ये सब उदाहरण इस बात के हैं कि रविशंकर शुक्ल जनता के बेहद करीब हैं।
इतिहास में कम ही अधिकारी हुए ऐसे
भारतीय प्रशासनिक सेवा में ऐसे अधिकारी बहुत कम हुए हैं जिन्होंने जनसेवा और प्रशासनिक दक्षता दोनों को समान रूप से साधा हो। लाल बहादुर शास्त्री प्रशासनिक अकादमी में प्रशिक्षण के दौरान जिस ‘यथार्थ में सेवा’ की बात सिखाई जाती है, शुक्ल ने उसे मूल्य और व्यवहार दोनों में उतारा है।
उनकी कार्यशैली यह बताती है कि आधुनिक भारत के प्रशासनिक अधिकारी अब केवल फाइलों तक सीमित नहीं, बल्कि ज़मीनी हकीकत से जुड़े सच्चे परिवर्तनकारी बन चुके हैं।
ज़िले के लिए गौरव का पल
PM एक्सीलेंस अवॉर्ड केवल एक प्रशंसा-पत्र या ट्रॉफी नहीं है, यह उस विश्वास की मुहर है जो केंद्र सरकार ने जिला प्रशासन के ऊपर जताया है। इससे पूरे सरायकेला जिले में हर्ष और गर्व का माहौल है।
स्थानीय जनता का मानना है कि ऐसे अधिकारी अगर हर जिले में हों, तो भारत का विकास सिर्फ कागज़ों तक नहीं रहेगा, बल्कि ग्रामीण सड़कों, विद्यालयों और स्वास्थ्य केंद्रों में झलकने लगेगा।
उम्मीदों से भरा उज्ज्वल कल
रविशंकर शुक्ल जैसे अधिकारियों का कार्य और सोच आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा की मिसाल बनेगी। उनकी विनम्रता, संवेदनशीलता और प्रशासनिक परिपक्वता ने साबित कर दिया कि अगर नीयत साफ हो और दृष्टिकोण दूरदर्शी, तो कोई भी जिला राष्ट्रीय मानचित्र पर चमक सकता है।
What's Your Reaction?






