West Singhbhum Snake Scare: सरकारी दफ्तर बना साँपों का अड्डा, अफसरों ने जताई गहरी चिंता
पश्चिम सिंहभूम के बंदगांव प्रखंड कार्यालय में बार-बार सांपों की मौजूदगी से अधिकारी और कर्मचारी डरे हुए हैं। सोमवार को फिर एक जहरीला सांप दफ्तर में घुस आया, जिससे मची अफरा-तफरी। जानिए इस खतरे की पूरी कहानी और क्यों बना सरकारी दफ्तर साँपों का ठिकाना।

पश्चिम सिंहभूम, झारखंड – सोमवार सुबह जब पश्चिम सिंहभूम के बंदगांव प्रखंड सह अंचल कार्यालय में रोज़ की तरह फाइलों की खड़खड़ाहट और टेबलों पर दस्तावेज़ों की चहल-पहल हो रही थी, तभी अचानक एक अनचाहा मेहमान घुस आया। और यह मेहमान कोई आम इंसान नहीं, बल्कि एक जहरीला साँप था।
पलक झपकते ही पूरे कार्यालय में अफरा-तफरी मच गई, कर्मचारी अपनी कुर्सियाँ छोड़कर भागने लगे, और कुछ तो दरवाजों से बाहर निकलने की कोशिश में एक-दूसरे से टकरा भी गए।
क्यों बन गया दफ्तर साँपों का ठिकाना?
यह पहली बार नहीं था जब ऐसा हुआ। बंदगांव प्रखंड कार्यालय में पहले भी कई बार सांप देखे जा चुके हैं। प्रखंड विकास पदाधिकारी क्रिस्टीना ऋचा इंदवार और अंचलाधिकारी ने खुद स्वीकार किया कि यह समस्या अब गंभीर होती जा रही है।
"लगातार सांपों के घुसने की घटनाएं कर्मचारियों के मानसिक स्वास्थ्य पर असर डाल रही हैं।" – ऐसा कहना है कार्यालय में कार्यरत एक वरिष्ठ लिपिक का, जिन्होंने नाम न छापने की शर्त पर ये बात कही।
इतिहास: क्यों होते हैं सरकारी दफ्तर ऐसे हादसों के शिकार?
अगर इतिहास को खंगाला जाए, तो यह पाया गया है कि सरकारी भवनों की साफ-सफाई और रख-रखाव की स्थिति हमेशा से चिंता का विषय रही है। विशेष रूप से झारखंड के ग्रामीण इलाकों में बने कई प्रखंड कार्यालय वर्षों पुराने हैं, और उनके आस-पास झाड़ीदार व अर्द्ध-जंगली क्षेत्र होने के कारण साँप जैसे जीवों का घुस आना एक आम घटना बन चुकी है।
बंदगांव कार्यालय की स्थिति भी कुछ अलग नहीं है। यहाँ का परिसर घास-फूस और कूड़े-कचरे से भरा पड़ा रहता है, जिससे साँपों को प्राकृतिक आवास जैसी सुविधा मिल जाती है।
डर का माहौल और प्रभावित कामकाज
कार्यकर्ताओं का कहना है कि अब वे दफ्तर में पूरे ध्यान से काम नहीं कर पा रहे हैं, क्योंकि हर पल उन्हें डर रहता है कि कहीं कोई और साँप ना निकल आए। इस डर का सीधा असर सरकारी योजनाओं के क्रियान्वयन और जनसेवा पर भी पड़ रहा है।
"हम दफ्तर में फाइल के नीचे साँप ढूंढते हैं, कागज़ देखने से ज़्यादा ज़मीन पर निगाह रखते हैं," – यह बात एक महिला कर्मचारी ने कही जो बीते साल सांप को अपने टेबल के पास देख चुकी हैं।
क्या कर रही है प्रशासन?
प्रखंड विकास पदाधिकारी क्रिस्टीना ऋचा इंदवार ने कहा है कि वन विभाग और जिला प्रशासन को इस विषय पर पत्र भेजा गया है। दफ्तर परिसर की सफाई और ज़हरीले जीवों की पहचान के लिए अभियान चलाने की भी मांग की गई है।
इसके साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि स्थायी समाधान के लिए कार्यालय की संरचना और आसपास के इलाकों की बाउंड्री वॉल निर्माण की ज़रूरत है, ताकि साँप जैसे जीवों का प्रवेश रोका जा सके।
स्थानीय लोगों की राय
बंदगांव के निवासी भी इस स्थिति से चिंतित हैं। ग्रामीणों का कहना है कि सरकारी दफ्तरों में इस तरह का भय का माहौल ठीक नहीं है, क्योंकि इसका असर प्रशासनिक निर्णयों और योजनाओं के कार्यान्वयन पर सीधा पड़ता है।
कब मिलेगा समाधान?
पश्चिम सिंहभूम के इस दफ्तर की कहानी केवल एक सांप तक सीमित नहीं है, बल्कि यह एक व्यापक समस्या का संकेत है – जहां सरकारी संस्थानों में रखरखाव और सुरक्षा को नजरअंदाज किया जाता है। जब तक प्रशासन इस खतरे को गंभीरता से नहीं लेता, तब तक "सरकारी काम" को साँप की परछाई से मुक्त करना एक सपना ही रहेगा।
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