Saraikela Accident: ओवरटेक के दौरान दो बसों में भिड़ंत, दर्जनों यात्री घायल, दो की हालत गंभीर
सरायकेला-खरसावां जिले के राजनगर-चाईबासा मुख्य मार्ग पर दो बसों के ओवरटेक के प्रयास में भीषण भिड़ंत हुई। जानें पूरी घटना और भविष्य की संभावनाएं।
झारखंड के सरायकेला-खरसावां जिले में शनिवार की सुबह एक बड़ा सड़क हादसा हो गया। राजनगर-चाईबासा मुख्य मार्ग पर मुरूमडीह के पास तेज रफ्तार से चल रही दो यात्री बसों के बीच ओवरटेक के प्रयास में भीषण टक्कर हो गई। इस हादसे में दर्जनों यात्री घायल हो गए, जिनमें से दो की हालत गंभीर बताई जा रही है। यह घटना हादसों का सिलसिला बताती है, जो अक्सर इस व्यस्त मार्ग पर घातक हो सकते हैं।
कैसे हुआ हादसा?
घटना सुबह के समय उस वक्त हुई जब चाईबासा की ओर से आ रही रजनी बस (संख्या जेएच05बीके-9454) और मां पार्वती बस (संख्या जेएच05बीएच-3183) के चालक एक-दूसरे को ओवरटेक करने के प्रयास में आपस में भिड़ गए। तेज गति और लापरवाह ड्राइविंग ने इन दोनों बसों को इस गंभीर दुर्घटना में फंसा दिया। घटनास्थल पर यात्री चीख-पुकार मच गई और कई लोग घायल हो गए।
घायलों का इलाज
घटना की सूचना मिलते ही राजनगर पुलिस मौके पर पहुंची और घायल यात्रियों को एम्बुलेंस से राजनगर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में भर्ती कराया। अस्पताल सूत्रों के अनुसार, कुछ यात्रियों को मामूली चोटें आई हैं, जबकि दो को गंभीर चोटें आई हैं और उनकी हालत नाजुक बनी हुई है। घटना के बाद से पूरे इलाके में हादसे के प्रति चिंता और सुरक्षा को लेकर सवाल खड़े हो गए हैं।
परिवहन नियमों की अनदेखी
यह घटना उस स्थिति को दर्शाती है जब यात्री बसों के चालक अपने काम में लापरवाही बरतते हैं। रोजाना हाता-चाईबासा मार्ग पर यात्री बसों का तेज रफ्तार से ओवरटेक करना आम बात है। इस लापरवाही से यात्रियों की जान हमेशा खतरे में रहती है। यह हालात तब और गंभीर हो जाते हैं जब प्रशासन और परिवहन विभाग इस पर ध्यान नहीं देते। यदि समय रहते इस समस्या पर ठोस कार्रवाई नहीं की गई, तो भविष्य में ऐसी दुर्घटनाएं बार-बार हो सकती हैं।
क्या कहते हैं स्थानीय लोग?
स्थानीय निवासियों और यात्रियों का कहना है कि प्रशासन को इस मार्ग पर सुरक्षा कड़ी करने की जरूरत है। "यात्री बसों का तेज रफ्तार से ओवरटेक करना बहुत खतरनाक है। इसका कोई भी गंभीर परिणाम हो सकता है। कई बार हमने देखा है कि ड्राइवर और खलासी अपने रास्ते में सबको छोड़कर तेज रफ्तार से बस दौड़ाते हैं," एक स्थानीय व्यक्ति ने कहा।
भविष्य में क्या हो सकता है?
अगर परिवहन विभाग और प्रशासन ने इस पर कड़ा कदम नहीं उठाया, तो भविष्य में ऐसी घटनाएं हो सकती हैं। यात्री बसों की गति सीमा तय करना और ड्राइविंग नियमों को लागू करना आवश्यक है। इसके अलावा, पुलिस द्वारा समय-समय पर रोड चेकिंग और चालक शिक्षा कार्यक्रमों की आवश्यकता है।
सरायकेला-खरसावां जिले में हुए इस दर्दनाक हादसे ने एक बार फिर सड़क सुरक्षा के मुद्दे को प्रमुखता से सामने रखा है। यह समय की मांग है कि संबंधित विभाग इस तरह के हादसों की रोकथाम के लिए ठोस कदम उठाएं, ताकि भविष्य में किसी की जान इस लापरवाही की भेंट न चढ़े।
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