Saraikela Accident : मुआवजा और नौकरी की मांग को लेकर परिजनों ने शव लेने से किया इंकार!

सरायकेला जिले में सड़क दुर्घटना में मारे गए व्यक्ति के परिजनों ने शव लेने से इंकार कर दिया, जानें क्या है उनकी मुआवजा और नौकरी की मांग।

Jan 15, 2025 - 10:40
 0
Saraikela Accident : मुआवजा और नौकरी की मांग को लेकर परिजनों ने शव लेने से किया इंकार!
Seraikela News: मुआवजा और नौकरी की मांग को लेकर परिजनों ने शव लेने से किया इंकार!

सरायकेला जिले के राजनगर थाना अंतर्गत भाटुझोर के समीप सोमवार को हुई दर्दनाक सड़क दुर्घटना ने पूरे गांव को हिलाकर रख दिया। सोसोमोली गांव के निवासी 38 वर्षीय यादव महतो की मौत ने न केवल उनके परिवार को गहरे दुख में डुबो दिया, बल्कि उनकी मौत के बाद उठे मुआवजे और नौकरी की मांग ने पूरे मामले को एक बड़ा विवाद बना दिया।

यादव महतो की मौत उस समय हुई जब गंजिया बराज के पास एक टैंकर (जेएच 05एएन-3763) की चपेट में आकर वह गंभीर रूप से घायल हो गए। दुर्घटना के बाद उनकी मौत हो गई, और फिर परिजनों ने शव लेने से साफ इंकार कर दिया। क्या कारण था इसके पीछे, और क्यों उनके परिवार ने शव को अंतिम संस्कार के लिए स्वीकार नहीं किया? चलिए, जानते हैं पूरी कहानी।

क्या था विवाद?
मृतक यादव महतो के परिजनों ने दुर्घटना के बाद शव लेने से इनकार कर दिया। उनका कहना था कि जब तक उन्हें उचित मुआवजा और मृतक की पत्नी को नौकरी नहीं मिलती, तब तक शव का अंतिम संस्कार नहीं किया जाएगा। ये मांगें वाजिब थीं क्योंकि यादव महतो परिवार का इकलौता कमाऊ सदस्य था। परिजनों का कहना था कि अब उनके परिवार का भरण-पोषण कैसे होगा?

अधिकारी और स्थानीय ग्रामीणों ने कंपनी से मुआवजे के रूप में 50 हजार रुपये की तत्काल सहायता दी थी, लेकिन फिर भी परिवार संतुष्ट नहीं था। कंपनी की ओर से कोई बड़ी पहल या मदद नहीं की गई, जिससे परिजनों का गुस्सा बढ़ गया।

राजनीतिक हस्तक्षेप और पोस्टमार्टम की प्रक्रिया
पूर्व मुख्यमंत्री और स्थानीय विधायक चंपाई सोरेन ने इस मामले में सक्रियता दिखाई। सोरेन ने परिवार से सहानुभूति जताते हुए निजी स्तर पर हर संभव मदद का भरोसा दिया। इसके अलावा, उन्होंने मृतक का पोस्टमार्टम कराने में भी सहयोग किया। इस समय, शव के पोस्टमार्टम के बाद परिजनों ने गांव लौटने पर शव को स्वीकार करने से मना कर दिया और कहा कि जब तक उनकी मांग पूरी नहीं होती, वे शव का अंतिम संस्कार नहीं करेंगे।

परिवार की मांगें और संघर्ष
मृतक के परिजनों ने इस बात को स्पष्ट किया कि उनका परिवार टूट चुका है। यादव महतो के बाद उनका परिवार आर्थिक संकट में पड़ चुका है, और उनकी पत्नी के अलावा तीन छोटे बच्चे हैं, जिनमें से एक बच्ची दिव्यांग है। परिवार ने कंपनी से मृतक की पत्नी को नौकरी देने और बच्चों की शिक्षा का खर्च उठाने की मांग की। यह कदम उनके जीवन के लिए बेहद महत्वपूर्ण था, क्योंकि एकमात्र कमाने वाला सदस्य अब इस दुनिया में नहीं था।

सामाजिक और आर्थिक पृष्ठभूमि
यह घटना केवल एक परिवार की त्रासदी नहीं है, बल्कि यह दर्शाती है कि कई बार सड़क दुर्घटनाओं में मारे गए व्यक्तियों के परिवारों को न केवल मानसिक, बल्कि आर्थिक संकट भी उठाना पड़ता है। समाज में बढ़ती आर्थिक असमानताएं और गरीबी इस तरह के मामलों को और भी जटिल बना देती हैं। सरकारी योजनाओं और मुआवजे के वितरण में देरी अक्सर परिवारों के लिए कठिनाई का कारण बन जाती है।

इस मामले ने यह भी स्पष्ट किया कि सामाजिक और राजनीतिक हस्तक्षेप जरूरी है ताकि पीड़ित परिवारों को उनके अधिकार मिल सकें और उनकी मांगों पर गंभीरता से विचार किया जाए।

समाज को क्या सिखने की जरूरत है?
यह घटना समाज को यह सिखाती है कि हमें दुखी परिवारों की मदद करने के लिए कदम उठाने की आवश्यकता है। मुआवजे और नौकरी के मामले में तेजी से निर्णय लेने की आवश्यकता है ताकि पीड़ित परिवार को मानसिक और आर्थिक राहत मिल सके।

What's Your Reaction?

like

dislike

love

funny

angry

sad

wow