संथाल परगना में डेमोग्राफी परिवर्तन का खेल: आदिवासी अधिकारों पर संकट
संथाल परगना में डेमोग्राफी परिवर्तन की साजिश! जानें कैसे आदिवासी भूमि पर कब्जा किया जा रहा है और इस पर राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग की सदस्य डॉ. आशा लकड़ा का क्या कहना है।
संथाल परगना में चल रहे डेमोग्राफी परिवर्तन के खेल ने सभी को चिंतित कर दिया है। राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग की सदस्य, डॉ. आशा लकड़ा ने हाल ही में यह मुद्दा उठाते हुए कहा कि गोड्डा, साहिबगंज, पाकुड़ और दुमका जैसे जिलों में घुसपैठियों द्वारा आदिवासियों की जमीन पर कब्जा किया जा रहा है।
डॉ. आशा लकड़ा के अनुसार, इन जिलों में आदिवासी भूमि को जबरन कब्जा करने के साथ-साथ भू दान के नाम पर डेमोग्राफी परिवर्तन का गंभीर खेल चल रहा है। यह न केवल आदिवासियों की पहचान के लिए खतरा है, बल्कि उनकी सांस्कृतिक और सामाजिक संरचना पर भी प्रभाव डाल रहा है।
आयोग ने इन जिलों का दौरा कर वहां की स्थिति का गहराई से आकलन किया है और जल्द ही इस पर विस्तृत रिपोर्ट तैयार कर राष्ट्रीय आयोग को सौंपने की योजना बना रहा है।
चिंताजनक बात यह है कि इन जिलों में कार्यरत अधिकारी भी इस खेल में कहीं न कहीं शामिल नजर आ रहे हैं, जिससे स्थिति और भी गंभीर हो गई है।
क्या सरकार और स्थानीय प्रशासन को आदिवासी अधिकारों की रक्षा के लिए कठोर कदम उठाने चाहिए? क्या ऐसी साजिशों को रोकने के लिए अधिक सतर्कता और कार्रवाई की जरूरत है?
इस मुद्दे ने आदिवासी समुदाय को उनकी जमीन और पहचान बचाने के लिए जागरूक और सक्रिय होने की आवश्यकता पर जोर दिया है।
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