Jharkhand Crime: मां बनी हैवान,अपने ही बेटी का दिल पका कर खाया
झारखंड के पलामू में मां ने तांत्रिक के कहने पर बेटी की बलि दी। दिल आग में पकाकर खाया और सिद्धि के लिए निर्वस्त्र होकर किया नृत्य। पढ़ें इस दिल दहला देने वाली घटना की पूरी कहानी।
झारखंड के पलामू जिले के खडारपर गांव से एक ऐसी घटना सामने आई है, जिसने इंसानियत को शर्मसार कर दिया। एक मां ने अंधविश्वास और गरीबी के चंगुल में फंसकर अपनी डेढ़ साल की मासूम बेटी की बलि चढ़ा दी। यही नहीं, उसने बच्ची का दिल निकालकर आग में पकाया और खुद खाया। तांत्रिक के बहकावे में आकर महिला ने यह कदम उठाया, जिससे उसे विश्वास था कि सिद्धि प्राप्त होगी और वह अपनी बेटी को फिर से जिंदा कर देगी।
मां बनी हैवान: अंधविश्वास का शिकार
घटना पलामू के हुसैनाबाद थाना क्षेत्र के खडारपर गांव की है। गीता देवी (35) नामक इस महिला ने तांत्रिक के कहने पर यह खौफनाक कदम उठाया। गीता ने बताया कि तांत्रिक ने उसे यकीन दिलाया था कि बलि देने से वह आर्थिक तंगी से बाहर आ जाएगी और अपनी बेटी को सिद्धि से वापस जिंदा कर सकेगी।
गीता देवी ने 12 नवंबर की रात अपनी बेटी को बलि चढ़ाई। उसने बच्ची का सीना चीरकर उसका दिल निकाला और तांत्रिक को प्रसाद के रूप में खिला दिया। यही नहीं, गीता देवी निर्वस्त्र होकर बलि स्थल पर नृत्य करने लगी, जिससे वह सिद्धि प्राप्त कर सके।
कैसे पहुंचा तांत्रिक गीता के घर?
पलामू के खडारपर गांव में 50 से अधिक घर हैं, जिनमें दलित परिवार अधिक संख्या में रहते हैं। गीता देवी अपने चार बच्चों और सास कौशल्या देवी के साथ रहती थी। उसका पति अरुण राम दिल्ली में मजदूरी करता है। कुछ दिनों पहले गांव में बिहार के सासाराम से आए एक तांत्रिक ने अपनी तंत्र विद्या का प्रचार करना शुरू किया।
तांत्रिक ने गीता को अपनी बातों में फंसा लिया और उसे विश्वास दिलाया कि तांत्रिक अनुष्ठान से उसकी आर्थिक स्थिति सुधर जाएगी। गीता तांत्रिक के झांसे में आ गई और इस दिल दहला देने वाली घटना को अंजाम दे दिया।
घटना का खुलासा: सास ने देखी निर्वस्त्र हालत
गीता देवी ने अपनी सास से कहा था कि वह बच्ची को जपला बाजार लेकर जा रही है, लेकिन रात तक घर नहीं लौटी। देर रात जब वह घर पहुंची, तो निर्वस्त्र थी। उसकी विचित्र हालत देखकर सास को शक हुआ। जब सास ने जोर देकर पूछा, तो गीता ने अपनी बेटी की बलि देने की बात कबूली।
पुलिस ने आरोपी मां को किया गिरफ्तार
घटना की जानकारी मिलते ही परिजनों ने पुलिस को सूचना दी। पुलिस ने तुरंत कार्रवाई करते हुए गीता देवी को गिरफ्तार कर लिया। गीता ने पुलिस के सामने दावा किया कि अगर उसे रोका न जाता, तो वह अगले दिन अपनी बेटी को जिंदा कर देती।
पुलिस ने इस मामले में तांत्रिक की तलाश शुरू कर दी है। बताया जा रहा है कि तांत्रिक बिहार के सासाराम का रहने वाला है और इलाके में तंत्र-मंत्र का प्रचार कर रहा था।
झारखंड में अंधविश्वास: एक गंभीर समस्या
झारखंड के ग्रामीण इलाकों में अंधविश्वास और तांत्रिक अनुष्ठानों की घटनाएं कोई नई बात नहीं हैं।
- 2003: रांची में एक महिला ने अपनी बेटी की बलि दी, तांत्रिक ने वादा किया था कि उसे सोने की खदान मिल जाएगी।
- 2018: गुमला में एक तांत्रिक ने बच्चे की बलि देकर अनुष्ठान किया।
समाज को क्या सीख लेनी चाहिए?
यह घटना न केवल दिल दहला देने वाली है, बल्कि यह सवाल भी उठाती है कि आज के दौर में भी लोग कैसे अंधविश्वास और तांत्रिकों के जाल में फंस जाते हैं।
- शिक्षा और जागरूकता: ग्रामीण इलाकों में शिक्षा और वैज्ञानिक दृष्टिकोण को बढ़ावा देना जरूरी है।
- तांत्रिक गतिविधियों पर रोक: प्रशासन को इन क्षेत्रों में तांत्रिकों और झोलाछाप बाबाओं पर सख्त कार्रवाई करनी चाहिए।
- समुदाय की सतर्कता: समाज को भी सतर्क रहकर ऐसे मामलों की समय पर जानकारी देनी चाहिए।
झारखंड के खडारपर गांव की यह घटना सिर्फ एक अपराध नहीं, बल्कि अंधविश्वास के खिलाफ एक चेतावनी है। अगर समय रहते ऐसे तांत्रिकों और झूठे विश्वासों पर रोक नहीं लगाई गई, तो ये घटनाएं दोहराई जाती रहेंगी। समाज को शिक्षा और वैज्ञानिक सोच को अपनाने की जरूरत है।
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