समर्पण - आरती श्रीवास्तव "विपुला" जमशेदपुर ( झारखंड )

विशिष्ट अवसरों पर सम्मान... दैनिक जागरण से मदर्स डे पर लिखे चिट्ठी पर सम्मान पत्र। वनिता से बेस्ट चिट्ठी लेखन पर गिफ्ट हैम्पर, वनिता दैनिक जागरण, साहित्य संगम।पत्र पत्रिकाओं में लेखन प्रकाशित।

Aug 1, 2024 - 12:30
Aug 1, 2024 - 12:12
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समर्पण - आरती श्रीवास्तव "विपुला" जमशेदपुर ( झारखंड )
समर्पण - आरती श्रीवास्तव

समर्पण

"देखिए ना आंटी, दीदी मेरा खिलौना मांग रही है। भला मैं अपना खिलौना दीदी को क्यों देता।"
छोटू समीरा के पड़ोस में रहने वाला पाँच वर्षीय बालक था जो अपनी दीदी की शिकायत उससे कर रहा था। छोटू कभी भी कोई भी खिलौना या खाने का कोई समान जैसे चिप्स कुरकुरे अपनी दीदी या कोई भी आगंतुक बच्चा से शेयर नहीं करता था।। शैतानी तो उसके रग रग में भरी हुई थी। मसलन अपनी मन का नहीं होने पर घर का सामान फेंकना जानवरों को पत्थर मानना।
    एक दिन छोटू समीरा के घर आया तो उसने अपने शो-केस से बहुत सारे खिलौने उसे खेलने के लिए दी।वह खुश होकर उन खिलौने से खेलने लगा।
जब वह जी भर कर खेल कर घर जाने लगा तो समीरा ने उसमें से एक खिलौना घर ले जाने को कहा वह छोटा सा बच्चा आवाक हो उसका मुँह देखने लगा तब उसने कहा हां छोटू तुमने ठीक सुना " यह खिलौना मैंने तुम्हें दे दिया। छोटूभाग कर अपने घर गया।इस बीच वह सोचती रही कि आखिर उसने उसे ऐसा क्या दे दिया कि वह इतना खुश हो गया। उसके माता-पिता तो एक से एक महंगे खिलौना खरीद कर लाते हैं। मैंने तो एक अदना सा खिलौना ही तो दिया है। तभी उसने देखा कि छोटू छोटे छोटे रंगीन पत्थर अपने दोनों हाथों में भरकर उसे सौंपने आ गया । जब उसने पूछा कि वह ऐसा क्यों कर रहा है क्योंकि उसे पता था कि छोटू वह सारे रंगीन पत्थर अपने स्कूल से चुनकर लाता था जिसे वह अपनी बहन या किसी को भी हाथ लगाने नहीं देता था। और आज वह उसे समर्पित करने आ गया था। तब उसने बहुत ही मासुमियत से जवाब दिया "आंटी आज तक कोई हमें सिर्फ जन्मदिन पर ही गिफ्ट देना चाहता है सिर्फ आप ही हैं जो बिना जन्मदिन का गिफ्ट दें रही है। उसे याद आया कि कभी छोटू को छेड़ते हुए वह रंगीन पत्थर माँगती थी तो वह उसे तुरंत छिपा लेता था जैसे वह कारुं का खजाना हो। और आज वह उसे समर्पित करने आ गया था अचानक छोटू का कद उसके सामने बहुत बड़ा हो गया था।।

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Team India मैंने कई कविताएँ और लघु कथाएँ लिखी हैं। मैं पेशे से कंप्यूटर साइंस इंजीनियर हूं और अब संपादक की भूमिका सफलतापूर्वक निभा रहा हूं।