Ranchi Appointment: झारखंड के पूर्व मुख्य सचिव बने JPSC अध्यक्ष, जानिए क्यों लिया गया यह बड़ा फैसला?
झारखंड के पूर्व मुख्य सचिव एल खियांग्ते को JPSC का नया अध्यक्ष नियुक्त किया गया। क्या इससे भर्ती प्रक्रिया में तेजी आएगी? जानिए पूरी खबर।

रांची: झारखंड लोक सेवा आयोग (JPSC) को आखिरकार नया अध्यक्ष मिल गया है! राज्य सरकार की सिफारिश पर गवर्नर संतोष गंगवार ने झारखंड के पूर्व मुख्य सचिव एल खियांग्ते को JPSC का नया चेयरमैन नियुक्त किया है। इस फैसले से न सिर्फ झारखंड की नियुक्ति प्रक्रिया में तेजी आने की उम्मीद है, बल्कि आयोग की कार्यप्रणाली भी पहले से ज्यादा पारदर्शी और सुचारु हो सकेगी।
कौन हैं एल खियांग्ते?
- एल खियांग्ते वरिष्ठ IAS अधिकारी हैं और झारखंड के मुख्य सचिव रह चुके हैं।
- उन्होंने अपने कार्यकाल में प्रशासनिक सुधारों पर खास ध्यान दिया।
- उनकी छवि कड़क, ईमानदार और तेज-तर्रार अफसर की रही है।
- झारखंड में नौकरशाही सुधारों और सुशासन के लिए उनकी कई पहलों को सराहा गया है।
JPSC अध्यक्ष पद क्यों इतना अहम?
झारखंड लोक सेवा आयोग (JPSC) राज्य में प्रशासनिक अधिकारियों, इंजीनियरों, शिक्षकों और अन्य सरकारी पदों पर नियुक्ति प्रक्रिया की देखरेख करता है। लेकिन पिछले कुछ वर्षों में आयोग पर भ्रष्टाचार, पेपर लीक और परीक्षा में देरी के कई आरोप लगे हैं।
पिछले कुछ वर्षों में JPSC को लेकर विवाद:
पेपर लीक घोटाले – कई परीक्षाओं में प्रश्नपत्र लीक होने के आरोप।
अनियमितता के आरोप – मेरिट लिस्ट और रिजल्ट में गड़बड़ी की शिकायतें।
परीक्षा में देरी – उम्मीदवारों को सालों तक इंतजार करना पड़ता है।
नयी नियुक्ति से क्या बदलने की उम्मीद?
परीक्षाओं का संचालन तय समय पर होगा।
नियुक्ति प्रक्रिया में तेजी आएगी।
भ्रष्टाचार और अनियमितताओं पर रोक लगेगी।
उम्मीदवारों को समय पर परिणाम मिलेंगे।
गवर्नर का क्या कहना है?
गवर्नर संतोष गंगवार ने कहा कि "यह नियुक्ति झारखंड के युवाओं के भविष्य के लिए बेहद अहम है। अब आयोग पहले से ज्यादा पारदर्शी तरीके से काम करेगा और परीक्षाएं समयबद्ध तरीके से कराई जाएंगी।"
क्या झारखंड में सरकारी नौकरियों की राह आसान होगी?
राज्य में JPSC परीक्षाओं को लेकर उम्मीदवारों में भारी असंतोष था। परीक्षा में पारदर्शिता और समय पर रिजल्ट जारी करना सबसे बड़ी चुनौती थी। लेकिन एल खियांग्ते की नियुक्ति से उम्मीद की जा रही है कि इन समस्याओं का समाधान निकलेगा।
अब देखना होगा कि क्या झारखंड में सरकारी नौकरियों की राह आसान होगी या फिर आयोग पहले की तरह विवादों में घिरा रहेगा?
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