Nawada Strike: न्यायालय कर्मियों की कलमबंद हड़ताल, न्यायिक कार्य ठप होने की आशंका!

नवादा व्यवहार न्यायालय के कर्मी 16 जनवरी से अनिश्चितकालीन कलमबंद हड़ताल पर जाएंगे। जानिए उनकी प्रमुख मांगें और इस हड़ताल का न्यायिक कार्यों पर क्या असर पड़ेगा।

Jan 10, 2025 - 14:22
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Nawada Strike: न्यायालय कर्मियों की कलमबंद हड़ताल, न्यायिक कार्य ठप होने की आशंका!
Nawada Strike: न्यायालय कर्मियों की कलमबंद हड़ताल, न्यायिक कार्य ठप होने की आशंका!

नवादा, 10 जनवरी: नवादा व्यवहार न्यायालय के कर्मचारी 16 जनवरी से अनिश्चितकालीन कलमबंद हड़ताल पर जाने की तैयारी कर रहे हैं। बिहार राज्य व्यवहार न्यायालय कर्मचारी संघ के आह्वान पर यह बड़ा कदम उठाया जा रहा है।

सचिव सत्यनंद झा ने बताया कि यह हड़ताल वेतन विसंगति, तृतीय एवं चतुर्थ श्रेणी के कर्मियों की पदोन्नति, अनुकंपा आधारित बहाली, और विशेष न्यायिक कैडर जैसे प्रमुख मांगों को लेकर की जा रही है।

हड़ताल का कारण: वर्षों से लंबित मांगें

न्यायालय कर्मियों ने सरकार पर नजरअंदाजी का आरोप लगाते हुए कहा कि अन्य सरकारी विभागों के कर्मियों को तो पदोन्नति का लाभ मिला, लेकिन न्यायालय कर्मियों को अब तक इससे वंचित रखा गया है।

सत्यनंद झा ने बताया:

“सरकार की अनदेखी के कारण हमें हड़ताल का रास्ता अपनाना पड़ रहा है। हम तब तक कलमबंद हड़ताल पर रहेंगे, जब तक हमारी मांगें पूरी नहीं होती।”

मुख्य मांगें:

  1. वेतन विसंगति: सभी कर्मियों के वेतन को समान रूप से संशोधित किया जाए।
  2. पदोन्नति: तृतीय और चतुर्थ श्रेणी कर्मियों को पदोन्नति का लाभ मिले।
  3. अनुकंपा बहाली: दिवंगत कर्मियों के परिवारों को नौकरी दी जाए।
  4. विशेष न्यायिक कैडर: न्यायालय कर्मियों के लिए विशेष कैडर का गठन।

इतिहास के पन्नों से: बिहार में न्यायिक हड़तालें

बिहार में न्यायिक कर्मचारियों द्वारा हड़ताल का इतिहास रहा है।

  • 2019: पटना में न्यायालय कर्मियों ने वेतन वृद्धि की मांग को लेकर तीन दिन की हड़ताल की थी।
  • 2021: गया और मुजफ्फरपुर में भी न्यायालय कर्मियों ने अनुकंपा बहाली और पदोन्नति के मुद्दे पर प्रदर्शन किया था।

नवादा की यह हड़ताल भी उसी कड़ी का हिस्सा मानी जा रही है, जो वर्षों से लंबित मांगों के प्रति सरकार की उदासीनता को उजागर करती है।

हड़ताल का संभावित असर: न्यायिक कार्य ठप होने की संभावना

कलमबंद हड़ताल का सीधा असर न्यायिक कार्यों पर पड़ेगा।

  • मुकदमों की सुनवाई रुकेगी।
  • अभिलेखों की अनुपलब्धता के कारण सुनवाई में देरी होगी।
  • न्यायिक पदाधिकारी और अधिवक्ता तो अदालत पहुंचेंगे, लेकिन केस फाइलों के बिना सुनवाई संभव नहीं होगी।

वकील संघों ने भी चिंता व्यक्त करते हुए समय पर समाधान की अपील की है।

क्या कहते हैं कर्मचारी?

प्रदर्शन में शामिल कुछ प्रमुख कर्मियों ने अपनी नाराजगी खुलकर जाहिर की:

सुभाष चंद्र शर्मा:

“हमने कई बार सरकार को ज्ञापन सौंपा, लेकिन हमारी मांगों को नजरअंदाज किया गया। अब संघर्ष ही विकल्प है।”

अमित कुमार:

“यह हड़ताल सिर्फ हमारे लिए नहीं, बल्कि हर सरकारी कर्मचारी के लिए चेतावनी है कि उनके अधिकारों की रक्षा के लिए आवाज उठानी होगी।”

सरकार का पक्ष और अगली रणनीति

अब तक राज्य सरकार की ओर से इस मुद्दे पर कोई स्पष्ट प्रतिक्रिया नहीं आई है।
हालांकि, सूत्रों के अनुसार न्याय विभाग जल्द ही संवाद की पहल कर सकता है।

संभावित समाधान:

  • मांगों की समीक्षा के लिए समिति गठित की जा सकती है।
  • वेतन विसंगति पर सरकारी आदेश जारी होने की संभावना।

नवादा व्यवहार न्यायालय के कर्मियों की यह कलमबंद हड़ताल न्याय व्यवस्था के लिए गंभीर चुनौती बन सकती है।
यदि सरकार जल्द समाधान नहीं निकालती, तो न्यायिक कार्य पूरी तरह ठप हो सकते हैं।

अब देखना होगा कि 16 जनवरी के बाद सरकार संवाद का रास्ता अपनाती है या हड़ताल लंबी खिंचती है।

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Nihal Ravidas निहाल रविदास, जिन्होंने बी.कॉम की पढ़ाई की है, तकनीकी विशेषज्ञता, समसामयिक मुद्दों और रचनात्मक लेखन में माहिर हैं।