Nawada Raid: पीडीएस खाद्यान्न की कालाबाजारी का पर्दाफाश, टेम्पो चालक हिरासत में
नवादा जिले के सिरदला बाजार में पुलिस ने पीडीएस खाद्यान्न की कालाबाजारी का पर्दाफाश किया। टेम्पो चालक हिरासत में, पैक्स अध्यक्ष और विक्रेता पर मामला दर्ज।
नवादा, 9 दिसंबर 2024: नवादा जिले के उग्रवाद प्रभावित सिरदला बाजार से एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है। गुप्त सूचना के आधार पर पुलिस ने पीडीएस (जनवितरण प्रणाली) के खाद्यान्न को टेम्पो में कालाबाजारी के लिए जाते हुए जब्त कर लिया। इस कार्रवाई में पुलिस ने टेम्पो चालक को हिरासत में ले लिया है, जबकि खाद्यान्न को पैक्स अध्यक्ष और पीडीएस विक्रेता के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है।
गुप्त सूचना और कार्रवाई की कहानी
मामला तब प्रकाश में आया, जब सिरदला बाजार से कालाबाजारी के लिए भेजे जा रहे पीडीएस के अनाज की सूचना बीडीओ को मिली। सूचना मिलते ही थाना को निर्देश जारी किया गया, और पुलिस ने तत्परता दिखाते हुए बाजार में छापेमारी की। इस दौरान, अनाज से लदा एक टेम्पो पकड़ा गया, जिसे हथमरवा निवासी चालक उपेंद्र कुमार चला रहा था।
एसडीओ आदित्य कुमार पीयूष और एमओ दीपक कुमार ने मौके पर पहुंचकर अनाज की जांच की और टेम्पो को जब्त कर लिया। मामले की तह तक जाने के लिए जांच शुरू हो गई है।
कालाबाजारी की जड़ें गहरी
जब्त किए गए अनाज ने यह साबित कर दिया है कि नवादा जिले में जनवितरण प्रणाली में भारी भ्रष्टाचार व्याप्त है। यह पहली बार नहीं है, जब पीडीएस के खाद्यान्न की कालाबाजारी का मामला सामने आया हो। स्थानीय सूत्रों का कहना है कि यह खेल लंबे समय से चल रहा है, और इसमें अधिकारियों की मिलीभगत की आशंका जताई जा रही है।
इतिहास में पीडीएस प्रणाली और भ्रष्टाचार
भारत में जनवितरण प्रणाली (PDS) की शुरुआत 1947 में की गई थी, ताकि गरीब और वंचित वर्गों को सस्ती दरों पर अनाज और अन्य आवश्यक वस्तुएं उपलब्ध कराई जा सकें। लेकिन जैसे-जैसे यह प्रणाली विस्तृत हुई, इसमें भ्रष्टाचार के मामले भी बढ़ते गए।
1980 और 90 के दशक में यह मुद्दा और गंभीर हो गया, जब पीडीएस में कालाबाजारी और अनियमितताओं के कई मामले सामने आए।
नवादा जैसे उग्रवाद प्रभावित क्षेत्रों में पीडीएस प्रणाली में पारदर्शिता की कमी के कारण, अनाज की कालाबाजारी आम हो गई है। गरीबों के हक का अनाज बाजार में ऊंचे दामों पर बेचा जा रहा है, जिससे न केवल सिस्टम की विश्वसनीयता घट रही है, बल्कि जरूरतमंद लोग भी वंचित हो रहे हैं।
पुलिस की कार्रवाई और जांच की उम्मीदें
इस मामले में पुलिस ने सख्ती दिखाते हुए टेम्पो चालक को हिरासत में लिया है। साथ ही, पैक्स अध्यक्ष और पीडीएस विक्रेता के खिलाफ भी कार्रवाई शुरू कर दी गई है।
पुलिस का कहना है कि जांच में पारदर्शिता बरती जाएगी। हालांकि, जनता में संशय बना हुआ है कि क्या इस बार दोषियों को सही सजा मिलेगी, या यह मामला भी खानापूर्ति बनकर रह जाएगा।
मीडिया पर दवाब और खतरे
चौंकाने वाली बात यह है कि इस प्रकार के मामलों को उजागर करने वाले पत्रकारों पर भी दबाव डाला जा रहा है। स्थानीय पत्रकारों का कहना है कि वे जब भी ऐसे घोटालों का पर्दाफाश करते हैं, उन्हें फंसाने की कोशिश की जाती है। यह स्थिति मीडिया की स्वतंत्रता और सुरक्षा के लिए गंभीर चुनौती है।
आगे का रास्ता
इस घटना ने नवादा जिले में पीडीएस प्रणाली की खामियों को एक बार फिर उजागर किया है। जरूरत है कि:
- जांच प्रक्रिया पारदर्शी और निष्पक्ष हो।
- दोषियों को सख्त सजा दी जाए।
- जनवितरण प्रणाली में भ्रष्टाचार को रोकने के लिए तकनीकी समाधान लागू किए जाएं।
- पत्रकारों और मुखबिरों की सुरक्षा सुनिश्चित की जाए।
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