Nawada Empowerment: नवादा में वैश्य समाज की बेटियों के लिए आयोजित हुआ ऐतिहासिक 7 दिवसीय वरन रक्षा शिविर!

नवादा में आयोजित हुआ वैश्य समाज का पहला 7 दिवसीय वरन रक्षा शिविर। 60 बेटियों को आत्मरक्षा और योग के साथ सशक्त बनने का प्रशिक्षण मिला। पढ़ें पूरी रिपोर्ट।

Dec 24, 2024 - 17:16
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Nawada Empowerment: नवादा में वैश्य समाज की बेटियों के लिए आयोजित हुआ ऐतिहासिक 7 दिवसीय वरन रक्षा शिविर!
Nawada Empowerment: नवादा में वैश्य समाज की बेटियों के लिए आयोजित हुआ ऐतिहासिक 7 दिवसीय वरन रक्षा शिविर!

नवादा जिले में पहली बार वैश्य समाज के अंतर्गत एक ऐतिहासिक कार्यक्रम का आयोजन किया गया, जिसने ना केवल स्थानीय बल्कि अन्य राज्यों की बेटियों को भी एक मंच प्रदान किया। नवादा के हिसुआ स्थित बरनवाल सेवा सदन में आयोजित इस सात दिवसीय वरन रक्षा शिविर ने 60 बेटियों को आत्मरक्षा और सशक्तिकरण के कई गुण सिखाए। यह आयोजन अपने आप में अनूठा था, क्योंकि इसके माध्यम से बेटियों को न केवल शारीरिक, बल्कि मानसिक और संस्कारिक दृष्टि से भी सशक्त बनाने का प्रयास किया गया।

क्या था शिविर का उद्देश्य और प्रशिक्षण?

यह शिविर पूरी तरह से पूर्ण आवासीय था, जहां बेटियों को लाठी, मार्शल आर्ट, तलवार चलाने के साथ-साथ योग, प्राचीन भारतीय कला, और आत्मरक्षा के गुण भी सिखाए गए। इन सिखलाए गए कौशलों में न केवल शारीरिक क्षमता को बढ़ाने का काम किया गया, बल्कि इन बेटियों को सशक्त रूप से अपने आत्मसम्मान और सुरक्षा को लेकर जागरूक भी किया गया।

सशक्त बनने की दिशा में बेटियों का प्रशिक्षण

इस शिविर का संचालन विभिन्न राज्यों से आए प्रशिक्षकों द्वारा किया गया। दिल्ली, उत्तर प्रदेश, झारखंड, पंजाब समेत कई राज्यों से प्रशिक्षकों ने इस शिविर में भाग लिया और बेटियों को अपने अनुभव से मार्गदर्शन किया। शिविर में शामिल 60 बेटियों की आयु 13 से 23 वर्ष के बीच थी, और सभी ने अनुशासन और समर्पण के साथ प्रशिक्षण लिया।

शिविर की शुरुआत में कुल देवता महाराजा अहिबरान जी के समीप दीप प्रज्वलन और माल्यार्पण किया गया, जिससे शिविर की शुभारंभ की शुरुआत की गई। इस दौरान आचार्या अभिलाषा आर्य और आचार्य सत्यम आर्य ने मार्शल आर्ट, तलवार चलाने और आत्मरक्षा की शिक्षा दी। वहीं, योगाचार्य सुषमा सुमन और योगी प्रदीप कुमार सुमन ने प्राचीन योग आसनों की महत्वपूर्ण शिक्षा दी।

योग और स्वस्थ जीवन के लिए सीखा नया दृष्टिकोण

योगाचार्य सुषमा सुमन ने शिविर में अपनी विशेष भूमिका निभाते हुए बेटियों को कपालभाति, सूर्य नमस्कार, ताड़ासन, वृक्षासन जैसे आसनों का अभ्यास कराया। इसके साथ-साथ, वे बेटियों को स्वस्थ जीवन के लिए घरेलू उपचार, एक्यूप्रेशर और मानसिक शांति के बारे में भी शिक्षित कर रही थीं। उनका कहना था, "स्वस्थ शरीर और स्वस्थ मन से ही जीवन की सच्ची शक्ति मिलती है।"

प्रशिक्षण के बाद क्या हुआ?

शिविर का समापन काफी उत्साहपूर्ण रहा। समापन समारोह में प्रशिक्षित बेटियों को प्रशस्ति पत्र प्रदान किए गए। इसके अलावा, इस मौके पर कई विशिष्ट अतिथि भी उपस्थित थे, जिनमें छत्रपति शिवाजी के सचिव जितेंद्र प्रताप जीतू, विश्व हिंदू परिषद के जिला मंत्री सुबोध कुमार और समाजसेवी श्रवण बरनवाल प्रमुख थे।

समाज में बदलाव की ओर एक कदम और

बरनवाल समाज ने इस शिविर के आयोजन के साथ ही यह संदेश दिया है कि समाज की बेटियां अब अपनी सुरक्षा और आत्मनिर्भरता को लेकर सशक्त हो रही हैं। इस कार्यक्रम ने न केवल बेटियों को शारीरिक रूप से मजबूत किया, बल्कि उनका मानसिक और सामाजिक सशक्तिकरण भी किया। यह शिविर समाज में एक सकारात्मक बदलाव लाने का एक महत्वपूर्ण कदम था, जिसे पूरे देश में सराहा गया।

समाज में महिलाओं की भूमिका को बढ़ाना

वरन रक्षा शिविर का आयोजन महिलाओं के अधिकारों और समाज में उनकी भूमिका को और मजबूत करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम था। इस शिविर ने न केवल वैश्य समाज के बेटियों को, बल्कि पूरे समुदाय को यह दिखाया कि समाज के हर वर्ग की महिलाएं अपनी शक्ति और आत्मनिर्भरता के बल पर किसी भी चुनौती का सामना कर सकती हैं।

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Nihal Ravidas निहाल रविदास, जिन्होंने बी.कॉम की पढ़ाई की है, तकनीकी विशेषज्ञता, समसामयिक मुद्दों और रचनात्मक लेखन में माहिर हैं।