Murshidabad Conspiracy: सेक्युलर-जिहादी गठजोड़ की चाल से देश को जलाने की साजिश?
विहिप ने मुर्शिदाबाद हिंसा को 'सेक्युलर-जिहादी गठजोड़' की साजिश करार दिया है। वक्फ कानून को दंगों का जरिया बताया और सरकार से सख्त कार्रवाई की मांग की। जानिए पूरी रिपोर्ट, जिसमें राजनीति, इतिहास और विवाद के परदे के पीछे की सच्चाई छिपी है।

नई दिल्ली: क्या मुर्शिदाबाद में भड़की हिंसा महज संयोग है? या इसके पीछे रची गई है एक गहरी और सुनियोजित साजिश? विश्व हिंदू परिषद (विहिप) ने जो दावा किया है, उसने देश के राजनीतिक और सामाजिक हलकों में हलचल मचा दी है।
पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद जिले में बीते चार दिनों से जारी सांप्रदायिक तनाव को विहिप ने "सेक्युलर-जिहादी गठजोड़" का षड्यंत्र बताया है। विहिप के केंद्रीय संयुक्त महामंत्री डॉ. सुरेंद्र जैन ने सीधे तौर पर आरोप लगाते हुए कहा कि वक्फ कानून के नाम पर देश को दंगों की आग में झोंकने की साजिश चल रही है।
वक्फ कानून: एक विवादित अध्याय
इस कानून की जड़ें कोई नई नहीं हैं। वक्फ कानून का इतिहास भारत में कई बार विवादों और असहमति के केंद्र में रहा है। 1954 में पहली बार वक्फ अधिनियम आया और इसके बाद 1995 और 2013 में इसमें संशोधन किए गए। विशेष रूप से 2013 के संशोधन के बाद वक्फ दावों की बाढ़ सी आ गई। गुरुग्राम, दिल्ली और लखनऊ जैसी जगहों पर आम लोगों की संपत्तियों पर दावे ने इसे 'लैंड माफिया' के हाथ में एक नया हथियार बना दिया।
"पूरा देश वक्फ घोषित हो जाएगा क्या?" - विहिप का तीखा सवाल
डॉ. जैन का आरोप है कि वक्फ कानून अब एक राजनीतिक औजार बन चुका है, जिसे 'वोट बैंक' की राजनीति के लिए इस्तेमाल किया जा रहा है। उन्होंने कहा, "2013 के बाद ऐसा लग रहा है जैसे पूरा देश वक्फ घोषित किया जा रहा हो।" उन्होंने गुरुग्राम के पालम विहार और दिल्ली की 123 संपत्तियों के विवाद का हवाला देते हुए यह सिद्ध करने की कोशिश की कि वक्फ कानून का इस्तेमाल राजनीतिक लाभ और भूमि पर अवैध कब्जे के लिए हो रहा है।
अदालतों में पहले से लंबित याचिकाएं
गौरतलब है कि इस कानून के खिलाफ पहले ही 18 से अधिक याचिकाएं सुप्रीम कोर्ट में लंबित हैं। विहिप का कहना है कि जब मामला न्यायिक प्रक्रिया में है, तब सड़कों पर उतरकर हिंसा फैलाना संविधान और कानून का सीधा उल्लंघन है।
शाह बानो केस से लेकर विभाजन तक का संदर्भ
डॉ. जैन ने अपने बयान में इतिहास की ओर इशारा करते हुए कहा, "यही गठजोड़ शाह बानो मामले में सुप्रीम कोर्ट के निर्णय को पलटवाने और भारत के विभाजन के लिए भी जिम्मेदार रहा है।" यह बयान न केवल राजनीतिक रूप से बल्कि सामाजिक दृष्टिकोण से भी बड़ा संकेत देता है कि विहिप अब केवल तात्कालिक घटनाओं पर नहीं बल्कि ऐतिहासिक संदर्भों से भी जनता को जागरूक करने की कोशिश कर रही है।
राजनीति की आंच में जलती जनता?
विहिप ने राहुल गांधी, अखिलेश यादव और असदुद्दीन ओवैसी जैसे नेताओं पर भी निशाना साधा है। विहिप का दावा है कि ये नेता देश को "बंधक" बनाना चाहते हैं, लेकिन अब जनता इनकी असलियत समझ चुकी है।
विहिप की सरकार से मांग
विहिप ने साफ कहा है कि वह कानून में विश्वास रखती है, लेकिन देश की एकता, शांति और अखंडता के साथ कोई समझौता नहीं किया जा सकता। डॉ. जैन ने सरकार और प्रशासन से अपील की है कि ऐसे तत्वों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए जो देश को बांटने और जलाने का प्रयास कर रहे हैं।
मुर्शिदाबाद की घटना अब सिर्फ एक सांप्रदायिक हिंसा नहीं, बल्कि एक बड़े राजनीतिक-धार्मिक खेल का हिस्सा बनती जा रही है। वक्फ कानून की आड़ में जो सवाल उठे हैं, वो न सिर्फ वर्तमान की चिंता हैं, बल्कि देश के भविष्य की दिशा तय करेंगे। क्या सरकार इन आरोपों पर ध्यान देगी? और क्या देश इस कथित साजिश को नकारेगा या इसके पीछे की परतों को खोलेगा? ये आने वाला समय तय करेगा।
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