माँ कल आएंगी, लेकिन इन माताओं का आज कौन? जानें इनर व्हील क्लब ने कैसे बढ़ाया मदद का हाथ

इनर व्हील क्लब ऑफ रांची साउथ ने "अंतर्राष्ट्रीय वृद्धजन दिवस" पर अपने गोद लिए वृद्धाश्रम "अपना घर" में वृद्ध माताओं के संग खास कार्यक्रम मनाया, जिनका जीवन असली उपन्यास की तरह दर्द भरा है। जानें कैसे क्लब इन माताओं का सहारा बना।

Oct 2, 2024 - 11:16
Oct 2, 2024 - 11:27
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माँ कल आएंगी, लेकिन इन माताओं का आज कौन? जानें इनर व्हील क्लब ने कैसे बढ़ाया मदद का हाथ
माँ कल आएंगी, लेकिन इन माताओं का आज कौन? जानें इनर व्हील क्लब ने कैसे बढ़ाया मदद का हाथ

माँ कल आएंगी, हमने धरती पर उपेक्षित माताओं के दर्शन आज ही कर लिए

जब हम "माँ" शब्द सुनते हैं, तो हमारी आंखों में अपनापन, स्नेह और ममता की छवि आती है। लेकिन हर माँ को यह सम्मान और अपनापन नहीं मिलता। यही सोचकर इनर व्हील क्लब ऑफ रांची साउथ ने "अंतर्राष्ट्रीय वृद्धजन दिवस" के अवसर पर अपने गोद लिए वृद्धाश्रम "अपना घर" में विशेष कार्यक्रम का आयोजन किया। यहाँ की माताओं की कहानियाँ कोई साधारण लघुकथा नहीं बल्कि एक मार्मिक उपन्यास हैं, जो हमें समाज की असलियत से रूबरू कराती हैं।

अपना घर: ठुकराई गई माताओं का सहारा

"अपना घर" एक वृद्धाश्रम है, जहाँ वृद्ध महिलाएं, जो अपने ही परिवार द्वारा ठुकराई गई हैं, संगी-साथियों के साथ अपना शेष जीवन बिता रही हैं। उनके चेहरे पर दर्द की कहानियां छिपी हैं, जिन्हें हर कोई नहीं समझ सकता। इन माताओं ने अपना पूरा जीवन अपने परिवार की सेवा में लगा दिया, लेकिन आज उन्हें किसी और सहारे की जरूरत है। इनर व्हील क्लब ऑफ रांची साउथ ने इन उपेक्षित माताओं को अपनाने का बीड़ा उठाया है और उनकी हर जरूरत को पूरा करने में अपना योगदान दिया है।

अंतर्राष्ट्रीय वृद्धजन दिवस पर विशेष कार्यक्रम

इस खास दिन पर क्लब की सदस्याएं जैसे नीलम (प्रेसीडेंट), अन्नू (सेक्रेटरी), संगीता, कान्ति, रमा, शिल्पी, अंजना, एंजेला, माया, और रीता ने अपना घर में जाकर इन माताओं के साथ यह दिवस मनाया। उन्होंने माताओं को रोजमर्रा की जरूरत की चीजों के अलावा एक वॉकर भी भेंट किया, ताकि उनकी चलने-फिरने में मदद हो सके। इस छोटे से कदम ने उन माताओं के चेहरे पर मुस्कान ला दी, जो समाज की उपेक्षा का शिकार हो चुकी हैं।

माँ का दर्द और समाज का दायित्व

इन माताओं की कहानियाँ हमें सोचने पर मजबूर कर देती हैं कि आखिर क्यों हमारे समाज में माताओं को इस तरह से उपेक्षित होना पड़ता है। वे महिलाएं जिन्होंने अपने बच्चों की परवरिश में अपना सब कुछ न्योछावर कर दिया, आज उन्हें किसी वृद्धाश्रम में रहने के लिए मजबूर होना पड़ता है। इनर व्हील क्लब ऑफ रांची साउथ ने यह सुनिश्चित किया है कि इन माताओं को कम से कम किसी चीज की कमी न हो और उन्हें वह सम्मान मिल सके, जिसकी वे हकदार हैं।

इनर व्हील क्लब का योगदान और समाजसेवा का महत्व

इनर व्हील क्लब ऑफ रांची साउथ ने न केवल इन माताओं को गोद लिया है, बल्कि उनकी जरूरतों को पूरा करने के लिए पूरी तरह कटिबद्ध है। इस क्लब की सदस्याएं नीलम, अन्नू, संगीता, कान्ति, रमा, शिल्पी, अंजना, एंजेला, माया और रीता ने यह साबित किया है कि समाज में बदलाव लाने के लिए केवल कदम उठाने की जरूरत होती है। उनका यह योगदान न केवल वृद्ध माताओं के जीवन में खुशी लाने का प्रयास है, बल्कि यह एक उदाहरण भी है कि समाज में उपेक्षित लोगों के लिए क्या किया जा सकता है।

क्या हम माताओं के दर्द को समझ सकते हैं?

वृद्धाश्रम में रहने वाली इन माताओं की कहानियाँ हमारे दिल को झकझोरने वाली हैं। उनका दर्द, उनकी उपेक्षा, और उनका अकेलापन हमें सोचने पर मजबूर करता है कि क्या हम अपनी जिम्मेदारियों को निभा रहे हैं? क्या हम उस समाज का हिस्सा हैं, जहाँ माताओं को वृद्धाश्रम में अपना जीवन व्यतीत करना पड़े? इस प्रकार के कार्यक्रम हमें इस बात का एहसास दिलाते हैं कि हमें अपने समाज में वृद्धजनों का सम्मान करना चाहिए और उनकी देखभाल करनी चाहिए।

"अपना घर" के माताओं के साथ बिताए कुछ पल

इनर व्हील क्लब की सदस्याओं ने इन माताओं के साथ कुछ खास पल बिताए, जो उनके जीवन में खुशी के कुछ अनमोल लम्हे जोड़ने के समान थे। इन पलों ने यह संदेश दिया कि चाहे हालात कैसे भी हों, खुशी बांटी जा सकती है और समाज में बदलाव लाया जा सकता है।

यह कार्यक्रम केवल एक आयोजन नहीं था, बल्कि समाज को जागरूक करने का एक प्रयास था कि वृद्धजनों का सम्मान और उनकी देखभाल करना हमारा कर्तव्य है। माताओं का स्नेह कभी घटता नहीं, लेकिन हमारी जिम्मेदारी है कि हम उन्हें वह सम्मान दें, जिसका वे हक रखती हैं।

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Team India मैंने कई कविताएँ और लघु कथाएँ लिखी हैं। मैं पेशे से कंप्यूटर साइंस इंजीनियर हूं और अब संपादक की भूमिका सफलतापूर्वक निभा रहा हूं।