10 साल की यात्रा: टाटानगर स्टेशन पर स्वच्छता अभियान में यात्रियों की राय से हुआ बड़ा खुलासा!

स्वच्छता ही सेवा अभियान के तहत टाटानगर रेलवे स्टेशन पर यात्रियों से प्राप्त की गईं महत्वपूर्ण राय। जानें कैसे स्वच्छ भारत मिशन की 10वीं वर्षगांठ पर यात्रियों ने दी स्वच्छता अभियान की असली तस्वीर।

Oct 2, 2024 - 11:27
Oct 2, 2024 - 11:28
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10 साल की यात्रा: टाटानगर स्टेशन पर स्वच्छता अभियान में यात्रियों की राय से हुआ बड़ा खुलासा!
10 साल की यात्रा: टाटानगर स्टेशन पर स्वच्छता अभियान में यात्रियों की राय से हुआ बड़ा खुलासा!

टाटानगर स्टेशन पर यात्रियों ने दी स्वच्छता की असली तस्वीर, जानें क्या हैं उनके अनुभव

टाटानगर रेलवे स्टेशन पर हाल ही में आयोजित 'स्वच्छता ही सेवा' अभियान के तहत यात्रियों से की गई बातचीत ने एक अनोखी कहानी बयां की है। यह स्वच्छ भारत मिशन की 10वीं वर्षगांठ का हिस्सा था, जिसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2014 में प्रारंभ किया था। इस मिशन का उद्देश्य पूरे भारत को स्वच्छ और स्वस्थ बनाना है, और इस यात्रा के दस वर्षों में हम कहाँ पहुँचे हैं, इसका आकलन करने के लिए टाटानगर स्टेशन पर विशेष समीक्षा की गई। यात्रियों की प्रतिक्रियाएं इस यात्रा की सफलता की असली गवाही देती हैं।

स्वच्छता अभियान का दस साल का सफर: कितनी दूर पहुँचे हम?

2014 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा शुरू किए गए स्वच्छ भारत मिशन ने देशभर में स्वच्छता की लहर चलाई। दस साल बाद, टाटानगर जैसे महत्वपूर्ण रेलवे स्टेशन पर यात्रियों से सीधे संवाद करने का यह प्रयास अभियान की असली स्थिति को उजागर करने वाला साबित हुआ। यात्रियों ने अपने अनुभव साझा किए, जिसमें से कुछ ने पिछले दस वर्षों में हुए परिवर्तन को सराहा, जबकि कुछ ने सुझाव दिए कि और क्या सुधार किए जा सकते हैं।

यात्रियों की राय से मिली नई दिशा

स्वच्छता ही सेवा अभियान के तहत यात्रियों से मिली प्रतिक्रियाओं में यह स्पष्ट हुआ कि यात्रियों ने रेलवे स्टेशन पर स्वच्छता की स्थिति में सुधार देखा है। अधिकांश यात्रियों का कहना था कि पहले की तुलना में अब टाटानगर स्टेशन पर सफाई बेहतर है। सार्वजनिक शौचालयों की स्थिति में भी सुधार देखा गया है, और कचरा प्रबंधन में रेलवे के द्वारा किए गए प्रयासों की सराहना की गई।

क्या कहते हैं यात्री?

कई यात्रियों ने अपनी राय में यह भी कहा कि वे अब रेलवे स्टेशन पर सफाई को लेकर ज्यादा जागरूक हैं। एक यात्री, सुमन देवी ने कहा, "पहले यहाँ कचरे का ढेर दिखता था, लेकिन अब सफाई कर्मी हर समय सक्रिय दिखते हैं। यह स्वच्छ भारत मिशन का ही परिणाम है कि हम सभी स्वच्छता के प्रति जागरूक हुए हैं।"

अभी भी सुधार की जरूरत: यात्रियों के सुझाव

जहाँ कई यात्रियों ने रेलवे स्टेशन पर साफ-सफाई को लेकर संतोष जताया, वहीं कुछ यात्रियों ने सुधार के लिए भी सुझाव दिए। कई यात्रियों ने यह सुझाव दिया कि सफाई कर्मियों की संख्या और बढ़ाई जानी चाहिए ताकि भीड़भाड़ वाले समय में सफाई बेहतर तरीके से हो सके। इसके अलावा, कुछ यात्रियों ने यह भी कहा कि स्टेशन के बाहरी हिस्सों में स्वच्छता के लिए विशेष ध्यान देने की जरूरत है।

स्वच्छता ही सेवा अभियान का महत्व

स्वच्छता ही सेवा अभियान ने यात्रियों से सीधे संवाद करके न केवल उन्हें अपनी राय व्यक्त करने का मौका दिया, बल्कि यह भी दिखाया कि स्वच्छता की दिशा में किए गए प्रयास वास्तव में लोगों के जीवन को प्रभावित कर रहे हैं। इस तरह के अभियानों से हमें यह समझने का मौका मिलता है कि जमीनी स्तर पर स्थिति कैसी है और इसमें सुधार के लिए क्या कदम उठाए जा सकते हैं।

स्वच्छता में योगदान देने का आह्वान

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का स्वच्छ भारत मिशन न केवल सरकारी प्रयास है, बल्कि इसमें देश के हर नागरिक का सहयोग भी शामिल है। टाटानगर रेलवे स्टेशन पर यात्रियों से मिली सकारात्मक और नकारात्मक दोनों प्रकार की प्रतिक्रियाएं हमें यह सोचने पर मजबूर करती हैं कि स्वच्छता का दायित्व केवल सफाई कर्मियों का ही नहीं, बल्कि हम सभी का है।

कैसे बनें इस बदलाव का हिस्सा?

यदि हम सभी इस अभियान का हिस्सा बनते हैं और अपनी जिम्मेदारी निभाते हैं, तो हम न केवल रेलवे स्टेशनों को स्वच्छ रख सकते हैं, बल्कि अपने आस-पास के सभी स्थानों को भी। यह यात्रियों का योगदान ही है, जिसने टाटानगर जैसे स्टेशन पर सफाई की स्थिति में सुधार किया है।

स्वच्छता अभियान की इस 10वीं वर्षगांठ पर टाटानगर स्टेशन से प्राप्त प्रतिक्रियाएं यह साबित करती हैं कि बदलाव संभव है, बस इसके लिए हमें अपनी जिम्मेदारियों को समझना और उन्हें निभाना होगा। इस तरह के अभियानों से हमें ना केवल अपने आस-पास की स्थिति का आकलन करने का मौका मिलता है, बल्कि हमें और बेहतर करने की प्रेरणा भी मिलती है।

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Team India मैंने कई कविताएँ और लघु कथाएँ लिखी हैं। मैं पेशे से कंप्यूटर साइंस इंजीनियर हूं और अब संपादक की भूमिका सफलतापूर्वक निभा रहा हूं।