Majhgaon Election: चुनावी जंग में दिलचस्प मोड़,भाजपा नेता जयपाल कुंकल और लक्ष्मी पिंगवा ने लिया नाम वापस

मंझगांव विधानसभा चुनाव में 12 प्रत्याशी मैदान में। भाजपा नेता जयपाल कुंकल और लक्ष्मी पिंगवा ने नाम वापस लिया। जानिए मंझगांव का राजनीतिक समीकरण और आदिवासी जमीन विवाद का असर।

Nov 17, 2024 - 18:42
Nov 17, 2024 - 18:49
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Majhgaon Election: चुनावी जंग में दिलचस्प मोड़,भाजपा नेता जयपाल कुंकल और लक्ष्मी पिंगवा ने लिया नाम वापस
Majhgaon Election: चुनावी जंग में दिलचस्प मोड़,भाजपा नेता जयपाल कुंकल और लक्ष्मी पिंगवा ने लिया नाम वापस

17 नवम्बर, 2024: झारखंड विधानसभा चुनाव का पहला चरण 13 नवंबर को समाप्त हो चुका है, लेकिन मंझगांव विधानसभा क्षेत्र में चुनावी माहौल अभी भी गर्म है। हर गली और चौक-चौराहे पर एक ही चर्चा हो रही है— कौन बनेगा मंझगांव का अगला जनप्रतिनिधि?

14 प्रत्याशियों में से 2 ने लिया नाम वापस

मंझगांव से कुल 14 प्रत्याशियों ने नामांकन किया था। लेकिन भाजपा नेताओं जयपाल कुंकल और लक्ष्मी पिंगवा ने नाम वापस ले लिया, जिससे अब कुल 12 प्रत्याशी मैदान में हैं। इन दो बड़े नेताओं के नाम वापस लेने के पीछे की वजह पर चर्चाएं तेज हैं।
क्या यह भाजपा की चुनावी रणनीति का हिस्सा था, या कोई आंतरिक मतभेद?

भाजपा बनाम सत्तारूढ़ दल: जुबानी जंग से लेकर हिंसा तक

इस बार मंझगांव का चुनावी मुकाबला बेहद तीखा रहा। भाजपा और झामुमो के बीच न सिर्फ जुबानी जंग चली, बल्कि प्रचार वाहनों पर हमले भी हुए।
भाजपा प्रत्याशी बड़कुंवर गागराई ने झामुमो पर आदिवासियों की जमीन बेचने और जनहित कार्यों की अनदेखी करने के आरोप लगाए। उन्होंने कहा, “पिछले 10 वर्षों में क्षेत्र में विकास कार्य नहीं हुए हैं। सिर्फ आदिवासियों की जमीनें बेची गई हैं।”

जनता की नाराजगी और जमीन विवाद का मुद्दा

मंझगांव का चुनाव इस बार 293 एकड़ जमीन विवाद के इर्द-गिर्द घूम रहा है। यह जमीन आदिवासियों के जंतड़ा पूजा स्थल से जुड़ी है, जिसे आदिवासी समाज के लोग पवित्र मानते हैं।
ग्रामीणों का आरोप है कि मौजूदा विधायक निरल पूर्ती ने इस मुद्दे पर कोई ठोस कदम नहीं उठाया। जनता में नाराजगी इस कदर है कि कई लोग उनकी आदिवासी पहचान तक पर सवाल उठा रहे हैं।
स्थानीय लोगों का कहना है कि निरल पूर्ती के खितियान में 'क्रिस्तान' लिखा हुआ है, जो जांच का विषय है। यदि यह साबित हुआ, तो उनकी विधानसभा सदस्यता पर भी खतरा मंडर सकता है।

बड़कुंवर गागराई: जनता की पहली पसंद?

ग्राउंड रिपोर्ट्स के अनुसार, मंझगांव में बड़कुंवर गागराई को युवाओं, बुजुर्गों और महिलाओं का व्यापक समर्थन मिल रहा है।
जहां निरल पूर्ती पिछले 10 वर्षों में क्षेत्र की जनता से दूरी बनाए हुए थे, वहीं बड़कुंवर गागराई ने जनता से सीधे संवाद स्थापित कर उनके दिलों में जगह बनाई है।

23 नवंबर: मंझगांव का भविष्य तय करने का दिन

अब सभी की निगाहें 23 नवंबर पर टिकी हैं, जब चुनावी नतीजे सामने आएंगे। क्या मंझगांव में भाजपा अपनी जमीन मजबूत करेगी, या झामुमो का किला बरकरार रहेगा?

क्या बदलेगा मंझगांव का राजनीतिक इतिहास?

इस बार का चुनाव सिर्फ प्रतिनिधियों का चयन नहीं, बल्कि क्षेत्र के भविष्य की दिशा तय करेगा।
आदिवासी समाज की आस्था और जनता की नाराजगी के बीच, देखना यह है कि मंझगांव का अगला जनप्रतिनिधि कौन होगा। जयपाल कुंकल और लक्ष्मी पिंगवा के नाम वापस लेने के बाद भी भाजपा ने अपनी ताकत बनाए रखी है।
क्या बड़कुंवर गागराई मंझगांव की जनता का विश्वास जीत पाएंगे, या निरल पूर्ती फिर से जीत का परचम लहराएंगे?

23 नवंबर को इन सभी सवालों का जवाब मिलेगा।

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Nihal Ravidas निहाल रविदास, जिन्होंने बी.कॉम की पढ़ाई की है, तकनीकी विशेषज्ञता, समसामयिक मुद्दों और रचनात्मक लेखन में माहिर हैं।