Chaibasa Naxal Operation: चाईबासा बरामदगी से हड़कंप: जंगल में मिले 4 IED बम, 16 माओवादी बंकर ध्वस्त!
चाईबासा के जंगलों में सुरक्षा बलों को बड़ी सफलता, माओवादियों के 4 IED बम बरामद कर नष्ट किए गए। साथ ही 16 बंकर भी ध्वस्त किए गए, जहां 50 तक माओवादी छिपे हो सकते थे। पढ़ें पूरी खबर।

झारखंड के पश्चिमी सिंहभूम जिले में सुरक्षा बलों को नक्सलियों के खिलाफ चल रहे ऑपरेशन में एक बार फिर बड़ी सफलता मिली है। Saturday को चलाए गए सर्च अभियान के दौरान चाईबासा के जराईकेला थाना क्षेत्र स्थित वनग्राम बाबुडेरा के आसपास के जंगलों में 4 शक्तिशाली IED बम और 16 नक्सली बंकरों का खुलासा हुआ।
इस ऑपरेशन को कोबरा बटालियन, झारखंड जगुआर, सीआरपीएफ और चाईबासा पुलिस की संयुक्त टीम ने अंजाम दिया। बम निरोधक दस्ते की मदद से सभी बमों को मौके पर ही नष्ट कर दिया गया, जिससे एक बड़ी त्रासदी टल गई।
क्यों खास है ये ऑपरेशन?
झारखंड के घने जंगल, खासकर सारंडा और कोल्हान इलाके, लंबे समय से माओवादी गतिविधियों के गढ़ रहे हैं। यहां पर भाकपा (माओवादी) संगठन के कुख्यात नेता मिसिर बेसरा, अनमोल, अजय महतो, और उनके सहयोगी विध्वंसक गतिविधियों के लिए सक्रिय हैं। ऐसे में इस ऑपरेशन को एक बड़ी कामयाबी माना जा रहा है।
चार मार्च 2025 से छोटानागरा और जराईकेला थाना क्षेत्रों में सीमावर्ती जंगलों और पहाड़ी इलाकों में यह संयुक्त अभियान लगातार चलाया जा रहा है। सुरक्षा एजेंसियों को सूचना मिली थी कि नक्सली बड़ी साजिश रच रहे हैं। उसी के तहत की गई यह छापेमारी माओवादी मंसूबों पर तगड़ा प्रहार साबित हुई।
कहां-कहां से क्या मिला?
बाबुडेरा के जंगलों में पुलिस को पहले से लगे चार IED बम (प्रत्येक 5 किलो) मिले। ये बम सुरक्षा बलों को निशाना बनाने के लिए छिपाकर रखे गए थे। मौके पर बुलाए गए बम निरोधक दस्ते ने तत्काल बमों को सुरक्षित ढंग से नष्ट कर दिया।
इसके साथ ही, सुरक्षाबलों को 16 नक्सली बंकरों का भी पता चला। ये बंकर इतनी बारीकी से जंगल में छिपे हुए थे कि सामान्य आंखों से पहचानना मुश्किल होता। हर बंकर में 3 से 4 लोगों के रुकने की व्यवस्था थी, जिससे अनुमान लगाया जा रहा है कि यहां करीब 45-50 माओवादी एक साथ ठहर सकते थे।
सभी बंकरों को ध्वस्त कर दिया गया है और पूरे क्षेत्र को सुरक्षा घेरे में लिया गया है। साथ ही आस-पास के इलाके में भी गहन तलाशी अभियान जारी है।
क्या कहती है पुलिस?
चाईबासा पुलिस के अनुसार, यह ऑपरेशन एक बड़े माओवादी षड्यंत्र को समय रहते विफल करने में सफल रहा है। लगातार मिल रही खुफिया जानकारियों से अंदेशा था कि इलाके में माओवादी एक बार फिर सक्रिय हो रहे हैं और सुरक्षाबलों को निशाना बना सकते हैं।
पुलिस ने बताया कि इन बंकरों में हथियार, राशन और मेडिकल किट मिलने की भी संभावना थी, जिसे नष्ट कर दिया गया है। अभी पूरे ऑपरेशन की विस्तृत रिपोर्ट तैयार की जा रही है।
इतिहास क्या कहता है?
झारखंड में माओवादी हिंसा का लंबा इतिहास रहा है। खासकर चाईबासा, सरायकेला और खूंटी जैसे इलाके, नक्सलियों के लिए लंबे समय तक सुरक्षित ज़ोन रहे हैं। लेकिन पिछले कुछ वर्षों में लगातार हो रहे सुरक्षाबलों के ऑपरेशनों ने उनकी पकड़ कमजोर की है।
सरकार द्वारा चलाए जा रहे विकास और पुनर्वास कार्यक्रमों का असर भी दिखने लगा है। स्थानीय जनजातीय समुदाय अब माओवादी गतिविधियों के खिलाफ खुलकर बोल रहे हैं।
चाईबासा का यह ताजा ऑपरेशन साबित करता है कि सुरक्षाबल पूरी मुस्तैदी से राज्य में शांति बहाली की दिशा में काम कर रहे हैं। जंगलों में छिपे बंकरों और IED बमों का समय रहते पता लगना न सिर्फ एक बड़ी सफलता है, बल्कि इससे आम नागरिकों का भरोसा भी बढ़ा है कि राज्य माओवाद मुक्त बनने की ओर अग्रसर है।
इस अभियान की सफलता ने नक्सलियों को एक बार फिर यह एहसास दिलाया है कि अब झारखंड में उनके लिए कोई जगह नहीं बची है।
What's Your Reaction?






