India मंच: समाज सेवा पर साहित्यकारों की काव्य गोष्ठी
भारत में आयोजित "अंतरराष्ट्रीय मानवीय मूल्यों की माला मंच" पर साहित्यकारों ने समाज सेवा पर काव्य गोष्ठी के माध्यम से मानवता का संदेश दिया। पढ़ें पूरी खबर।
नई दिल्ली,17 नवंबर 2024: भारत के अंतरराष्ट्रीय मानवीय मूल्यों की माला मंच ने 17 नवंबर 2024 को एक अनूठा आयोजन किया। यह कार्यक्रम समाज सेवा पर आधारित काव्य गोष्ठी था, जिसमें देशभर के बड़े साहित्यकारों ने अपनी रचनाओं से मानवता और समाज सेवा का महत्व समझाया। यह कार्यक्रम रविवार को दोपहर 1 बजे से 3:30 बजे तक चला।
कार्यक्रम की शुरुआत मंच की संस्थापक माला सिंह और संगठन मंत्री महेश प्रसाद शर्मा ने की। उन्होंने अपने स्वागत भाषण में समाज सेवा को इंसानियत का सबसे बड़ा गुण बताते हुए इसे मानव जीवन का अभिन्न हिस्सा बनाने की बात कही।
देशभर से साहित्यकारों का जमावड़ा
इस काव्य गोष्ठी में देश के अलग-अलग हिस्सों से प्रसिद्ध साहित्यकार शामिल हुए। कुछ प्रमुख नाम हैं:
- डॉ. महेश तिवारी (चंदेरी, मध्य प्रदेश)
- डॉ. निराला पाठक (रांची, झारखंड)
- डॉ. शरद नारायण खरे (मंडला, मध्य प्रदेश)
- श्री पुष्प राम यदु (छत्तीसगढ़)
- डॉ. अर्चना पांडेय (भिलाई, छत्तीसगढ़)
- मीरा सक्सेना माधवी (नई दिल्ली)
- श्री एस. अनंत कृष्णन (चेन्नई, तमिलनाडु)
- डॉ. देवी दीन अविनाशी (हमीरपुर, उत्तर प्रदेश)
इनके अलावा भी कई अन्य लेखक और कवि, जैसे नंदकिशोर बहुखंडी, डॉ. अंबे कुमारी, डॉ. मधुसूदन तिवारी, और नाहिदा शाहीन ने अपनी रचनाओं से समाज सेवा की वास्तविक परिभाषा को व्यक्त किया।
समाज सेवा का महत्व
कार्यक्रम के दौरान कवियों ने बताया कि समाज सेवा केवल दान-पुण्य नहीं, बल्कि मानवता की सेवा का एक तरीका है। इस सेवा के माध्यम से समाज में एकता, भाईचारे और दया जैसे गुणों को बढ़ावा दिया जाता है।
प्रमुख बिंदु:
- गरीबों और जरूरतमंदों की मदद: समाज सेवा के तहत आर्थिक और शारीरिक मदद से वंचित वर्गों को मुख्यधारा में लाने का प्रयास किया जा सकता है।
- शिक्षा का प्रचार-प्रसार: शिक्षा के माध्यम से समाज को आत्मनिर्भर बनाना सबसे बड़ी सेवा है।
- स्वास्थ्य सेवाओं का विस्तार: बीमारों और बुजुर्गों की देखभाल करने से समाज में सहानुभूति और जिम्मेदारी की भावना विकसित होती है।
समाज सेवा की परिभाषा को कवियों ने समझाया
साहित्यकारों ने अपनी कविताओं और लेखनी के माध्यम से इस बात पर जोर दिया कि समाज सेवा न केवल हमारा नैतिक कर्तव्य है, बल्कि यह समाज को सुदृढ़ और समृद्ध बनाने का एक सशक्त माध्यम भी है।
उदाहरण के तौर पर,
- डॉ. अर्चना पांडेय ने अपनी कविता में समाज सेवा को "मानवता का दीपक" कहा।
- डॉ. महेश तिवारी ने अपने भाषण में समाज सेवा के ऐतिहासिक संदर्भ में भारतीय परंपराओं का उल्लेख किया।
- मीरा सक्सेना माधवी ने महिलाओं की शिक्षा और सशक्तिकरण पर जोर दिया।
मानवता की दिशा में एक कदम
इस काव्य गोष्ठी ने एक बार फिर यह साबित किया कि साहित्य केवल अभिव्यक्ति का माध्यम नहीं, बल्कि समाज में बदलाव लाने का एक सशक्त औजार भी है। माला मंच ने इस पहल के माध्यम से साहित्यकारों और समाज सेवकों को एक साथ लाने का सराहनीय प्रयास किया।
आगे की राह
कार्यक्रम के अंत में माला सिंह ने कहा, "समाज सेवा से ही सशक्त समाज की नींव रखी जा सकती है। यह मंच साहित्यकारों और समाज सेवकों को जोड़कर समाज में बदलाव लाने का काम करता रहेगा।"
यह आयोजन एक प्रेरणा है कि हर व्यक्ति अपने स्तर पर समाज सेवा में योगदान देकर बेहतर दुनिया बना सकता है।
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