Chakradharpur Election: क्या इतिहास बदलेगा या फिर दोहराया जाएगा?
चक्रधरपुर विधानसभा में अब तक किसी विधायक ने दोबारा जीत दर्ज नहीं की है। क्या सुखराम उरांव इस परंपरा को तोड़ेंगे या चक्रधरपुर फिर इतिहास दोहराएगा? जानिए जनता का मिजाज।
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17 नवम्बर, 2024: चक्रधरपुर विधानसभा का चुनावी मैदान इस बार भी बेहद दिलचस्प हो गया है। अब तक किसी भी विधायक ने इस सीट पर लगातार दोबारा जीत दर्ज नहीं की है। झामुमो के सुखराम उरांव, जो वर्तमान विधायक हैं, क्या इस परंपरा को तोड़ पाएंगे? या फिर भाजपा के शशि भूषण सामड़ और अन्य उम्मीदवार चक्रधरपुर का इतिहास दोहराएंगे?
चक्रधरपुर में हर बार चुनावी मुकाबला रोमांचक रहा है। इस बार भी राजनीतिक समीकरण पूरी तरह बदल गए हैं। झामुमो और भाजपा के लिए यह सीट न केवल प्रतिष्ठा की बनी हुई है, बल्कि दोनों दलों के लिए यह चुनौती भी है कि जनता का भरोसा किस ओर जाएगा।
Manoharpur: क्या मांझी परिवार करेगा वापसी?
मनोहरपुर विधानसभा में पिछले 30 सालों से मांझी परिवार का दबदबा रहा है। स्वर्गीय देवेंद्र मांझी ने यहां जल, जंगल और जमीन के लिए आंदोलन चलाकर एक पहचान बनाई थी। इसके बाद उनकी पत्नी जोबा मांझी ने पांच बार विधायक और मंत्री के रूप में क्षेत्र का नेतृत्व किया। अब मांझी परिवार की तीसरी पीढ़ी, उनके पुत्र जगत मांझी, चुनावी मैदान में हैं।
लेकिन सवाल उठता है कि इतने सालों में मनोहरपुर में कितना विकास हुआ? जनता इस बार मांझी परिवार को एक और मौका देगी, या बदलाव की बयार चलेगी? 13 नवंबर को हुए मतदान के बाद, अब 23 नवंबर को ईवीएम के परिणाम तय करेंगे कि मनोहरपुर में किसकी ताजपोशी होगी।
Jagannathpur: राजनीति या फैंसी मैच?
जगन्नाथपुर विधानसभा में इस बार समीकरण इतने उलझे हुए हैं कि राजनीतिक पंडित भी इसे समझने में नाकाम हैं। एक ओर कांग्रेस के सोनाराम सिंकू, जो युवा नेता के रूप में पहचान बना चुके हैं, दूसरी ओर भाजपा की गीता कोड़ा, जिनका राजनीतिक कद क्षेत्र में बड़ा है।
यहां मुकाबला न केवल जीत और हार का है, बल्कि राजनीतिक अस्तित्व और प्रतिष्ठा की भी लड़ाई है। सोनाराम सिंकू ने जहां विकास के नाम पर जनता का भरोसा मांगा है, वहीं गीता कोड़ा अपनी पुरानी विरासत के सहारे मैदान में हैं।
Chaibasa और Majhgaon: मोदी बनाम झामुमो
चाईबासा और मझगांव विधानसभा में भाजपा और झामुमो के बीच दिलचस्प मुकाबला देखने को मिल रहा है। भाजपा प्रत्याशी मोदी और राम के नाम पर चुनावी नैया पार करने की तैयारी में हैं, जबकि झामुमो ने क्षेत्र में ताबड़तोड़ प्रचार किया है।
हेमंत सोरेन और कल्पना सोरेन के नेतृत्व में झामुमो ने यहां अपनी पकड़ मजबूत की है। दूसरी ओर, भाजपा प्रत्याशी संगठन और प्रचार के दम पर जनता का भरोसा जीतने में जुटे हैं।
क्या होगा 23 नवंबर का फैसला?
13 नवंबर को जनता ने मतदान कर अपनी जिम्मेदारी निभाई। अब 23 नवंबर को ईवीएम के परिणाम यह तय करेंगे कि चक्रधरपुर, मनोहरपुर, जगन्नाथपुर और चाईबासा में किसकी किस्मत चमकेगी।
इन सीटों पर मुकाबला सिर्फ जीत और हार का नहीं, बल्कि राजनीतिक इतिहास को बदलने या दोहराने का है।
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