Jharkhand Fire Incidents: बंद गुमटियों में अचानक लगी आग, राख में बदल गया लाखों का सामान!
गिरिडीह के पचंबा थाना के पास शनिवार शाम को आग लगने की घटना में तीन बंद गुमटियां जलकर राख हो गईं। लाखों का नुकसान, आग लगने का कारण अब तक रहस्य। जानें पूरी कहानी।

गिरिडीह, झारखंड: शनिवार की शाम को पचंबा थाना क्षेत्र उस वक्त अफरा-तफरी में बदल गया जब अचानक तीन गुमटियों में आग लग गई। सब कुछ इतनी तेजी से हुआ कि कोई कुछ समझ पाता, उससे पहले ही तीनों गुमटियां धू-धू कर जलने लगीं। यह घटना सिर्फ एक अगलगी नहीं, बल्कि स्थानीय दुकानदारों के लिए एक बड़ा आर्थिक झटका बनकर सामने आई है।
आग की शुरुआत और बढ़ता दायरा
घटना पचंबा थाना से कुछ ही दूरी पर स्थित क्षेत्र की है, जहां तीन गुमटियां — जो उस वक्त बंद थीं — देखते ही देखते आग की चपेट में आ गईं। प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक पहले हल्का धुआं दिखाई दिया, लेकिन कुछ ही मिनटों में लपटों ने विकराल रूप धारण कर लिया।
स्थानीय दुकानदार और राहगीर दौड़ते हुए मौके पर पहुंचे और अपनी ओर से आग बुझाने की हरसंभव कोशिश करने लगे। बोरियों में पानी, बाल्टी, यहां तक कि गीले कपड़ों से भी लपटों को रोकने की जुगत की गई, लेकिन आग इतनी तेज थी कि उस पर काबू नहीं पाया जा सका।
फायर ब्रिगेड भी नहीं रोक सकी तबाही
घटना की सूचना मिलते ही अग्निशमन विभाग की टीम मौके पर पहुंची। पर तब तक बहुत देर हो चुकी थी। तीनों गुमटियां पूरी तरह राख में तब्दील हो चुकी थीं। जलते हुए टीन के टुकड़े और राख में बदल चुका सामान इलाके के भयावह हालात को बयां कर रहा था।
कौन थे गुमटी मालिक और कितना हुआ नुकसान?
तीनों गुमटियों के मालिक क्रमशः श्यामसुंदर साह, मदन यादव और रवि मंडल हैं। उनके अनुसार, हर गुमटी में हजारों रुपये का सामान मौजूद था — कुछ खाने-पीने का, कुछ किराना और कुछ इलेक्ट्रॉनिक एक्सेसरीज़ से जुड़ा हुआ।
संभावित नुकसान का आंकलन:
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हर गुमटी में औसतन ₹80,000 से ₹1,00,000 का माल मौजूद था।
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तीनों को मिलाकर कुल अनुमानित क्षति ₹2.5 लाख से अधिक की बताई जा रही है।
रहस्य बनी आग की वजह
अभी तक यह स्पष्ट नहीं हो सका है कि आग कैसे लगी। गुमटियां बंद थीं, किसी तरह की बिजली की आपूर्ति नहीं थी, और पास में कोई ज्वलनशील पदार्थ भी नहीं था — ऐसे में आग का लगना कई सवाल खड़े कर रहा है। स्थानीय प्रशासन द्वारा जांच की प्रक्रिया शुरू की गई है, और अग्निशमन विभाग भी अपनी रिपोर्ट तैयार कर रहा है।
गुमटी मालिकों ने की मुआवज़े की मांग
आर्थिक नुकसान से टूट चुके तीनों दुकानदारों ने जिला प्रशासन से मुआवज़े की मांग की है। उनका कहना है कि यह उनका एकमात्र आजीविका का साधन था और आग ने उनकी मेहनत को मिनटों में राख में बदल दिया। अब वे चाह रहे हैं कि प्रशासन उन्हें पुनः खड़े होने में मदद करे।
क्या इतिहास दोहरा रहा है?
गौर करने वाली बात यह है कि गिरिडीह के इसी क्षेत्र में पूर्व में भी इस तरह की आग लगने की घटनाएं सामने आ चुकी हैं। वर्ष 2019 में भी इसी तरह एक बंद दुकान में रात के समय आग लग गई थी, जिसका कारण कभी सामने नहीं आ सका।
पचंबा में हुई यह रहस्यमयी अगलगी की घटना स्थानीय व्यापारियों के लिए एक कड़ा झटका है। अब जब सवाल उठ रहे हैं कि बंद गुमटियों में आग आखिर लगी कैसे, तो प्रशासन पर जिम्मेदारी है कि जांच कर सच्चाई सामने लाए और पीड़ितों को आर्थिक सहारा प्रदान करे।
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