Lohardaga में बड़ा हादसा टल गया! बॉक्साइट से भरी ट्रॉली गिरने से बची कई जिंदगियाँ!

लोहरदगा में रविवार को बॉक्साइट से भरी ट्रॉली गिरने से बड़ा हादसा टल गया, जिससे इलाके में अफरा-तफरी मच गई। इस घटना को 15 साल पहले हुए हादसे से जोड़ते हुए जानें, क्या हिंडाल्को कंपनी ने सुरक्षा को लेकर कोई सख्त कदम उठाया है या यह फिर से पुरानी आदतों की पुनरावृत्ति है।

Dec 22, 2024 - 17:16
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Lohardaga में बड़ा हादसा टल गया! बॉक्साइट से भरी ट्रॉली गिरने से बची कई जिंदगियाँ!
Lohardaga में बड़ा हादसा टल गया! बॉक्साइट से भरी ट्रॉली गिरने से बची कई जिंदगियाँ!

रविवार को लोहरदगा के रिहायशी इलाकों में एक बड़ा हादसा होते-होते रह गया। दरअसल, बॉक्साइट से भरी एक रोपवे ट्रॉली अचानक गिर गई, जिससे इलाके में अफरा-तफरी मच गई। गनीमत रही कि यह हादसा छुट्टी के दिन हुआ था, जिससे लोग ज्यादा नहीं थे और कोई बड़ी जानमाल की हानि नहीं हुई। लेकिन इस घटना ने एक बड़ा सवाल खड़ा किया है - क्या हिंडाल्को कंपनी ने 15 साल पहले हुए हादसे से कोई सबक लिया?

क्या हुआ था रविवार को?

हर दिन की तरह हिंडाल्को कंपनी की रोपवे ट्रॉली बॉक्साइट लेकर जा रही थी। अचानक, ट्रॉली के एक दर्जन से अधिक कंटेनर लोहरदगा शहर के रिहायशी इलाके में गिर गए। आस-पास के लोग तुरंत हड़बड़ी में आ गए। हालांकि, घटना के वक्त इलाके में कम लोग थे, लेकिन ये घटना कुछ और बुरा भी हो सकती थी। स्थानीय लोगों ने इस घटना का जिम्मेदार हिंडाल्को कंपनी को ठहराया और कहा कि यदि रोपवे के मेंटेनेंस का काम समय पर किया गया होता तो शायद यह हादसा टल सकता था।

15 साल पहले का हादसा: क्या कुछ बदला है?

यह पहली बार नहीं था जब लोहरदगा में रोपवे हादसा हुआ हो। 15 साल पहले भी इसी तरह की घटना घटी थी, जिसमें एक बच्चे की दर्दनाक मौत हो गई थी। तब भी ट्रॉली के गिरने से बड़े पैमाने पर नुकसान हुआ था, लेकिन बाद में कोई ठोस कदम नहीं उठाए गए। रोपवे की स्थापना ब्रिटिश काल में हुई थी, और उस वक्त बॉक्साइट ढुलाई के लिए छोटे ट्रॉली का इस्तेमाल होता था। यह ट्रॉली बेहद कम ऊंचाई पर चलती थी, जिससे हादसे की संभावना कम थी।

लेकिन विगत कुछ वर्षों में हिंडाल्को ने अपनी ट्रॉली का आकार बढ़ा दिया। ट्रॉली अब और भी भारी हो गईं, और इनका संचालन भी उसी पुराने तरीके से जारी रखा गया। स्थानीय लोगों का कहना है कि यह बदलाव कंपनी की लालच के कारण हुआ, जिसमें सुरक्षा के मुद्दे को नजरअंदाज किया गया।

क्या है ट्रॉली का पुराना इतिहास?

इंडाल कंपनी ने इस रोपवे की शुरुआत ब्रिटिश काल में की थी, और इसके बाद इसे हिंडाल्को ने अधिग्रहित किया। शुरुआत में रोपवे के छोटे ट्रॉली से बॉक्साइट की ढुलाई होती थी। लेकिन जैसे-जैसे ट्रॉली का आकार बढ़ा और ऊंचाई में भी वृद्धि हुई, वैसे-वैसे हादसे की संभावना भी बढ़ गई। यह एक चौंकाने वाली सच्चाई है कि हिंडाल्को ने 15 साल पहले हुए हादसे से कोई ठोस सबक नहीं लिया।

क्या अब भी वक्त है बदलाव का?

अब सवाल यह उठता है कि क्या हिंडाल्को इस बार इस हादसे से कोई सख्त कदम उठाएगा, या फिर वही पुरानी प्रक्रिया जारी रखी जाएगी? स्थानीय लोगों की आक्रोशित प्रतिक्रिया और उनकी चिंता सही है, क्योंकि यह हादसा बड़ी त्रासदी का रूप ले सकता था। कंपनी को चाहिए कि वह सुरक्षा के सभी पहलुओं को प्राथमिकता दे, और किसी भी तरह के खतरे को टालने के लिए उन्नत तकनीकी उपाय अपनाए।

क्या अब भी पुरानी आदतें बदलेंगी?

लोहरदगा में रविवार को हुए इस हादसे ने हमें यह सिखाया कि सुरक्षा और मेंटेनेंस में ढील देने का खामियाजा भारी पड़ सकता है। हिंडाल्को कंपनी के लिए यह एक चेतावनी है कि अगर समय रहते सुरक्षा मानकों में सुधार नहीं किया गया, तो भविष्य में कोई बड़ा हादसा हो सकता है।

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Nihal Ravidas निहाल रविदास, जिन्होंने बी.कॉम की पढ़ाई की है, तकनीकी विशेषज्ञता, समसामयिक मुद्दों और रचनात्मक लेखन में माहिर हैं।