Kurukshetra Wisdom : वरिष्ठ जनों ने साझा की अनुभवों की अनमोल बातें, गीता पाठ से हुई शुरुआत
कुरुक्षेत्र में 'स्त्री की शक्ति संगठन न्यास' द्वारा आयोजित तीन दिवसीय अधिवेशन में वृद्ध आश्रम में वरिष्ठ नागरिकों के साथ मन की बातें साझा की गईं, गीता पाठ हुआ और उनके सम्मान में गीत प्रस्तुत किए गए।
कुरुक्षेत्र में स्त्री शक्ति संगठन न्यास के तीन दिवसीय वार्षिक अधिवेशन ने प्रेरणा वृद्ध आश्रम के अनुभवी और विद्वान वरिष्ठ नागरिकों के साथ एक अद्भुत अनुभव साझा किया। इस आयोजन ने न केवल उनके जीवन की झलक प्रस्तुत की, बल्कि उनके अनुभवों और भावनाओं को भी आवाज़ दी।
आध्यात्मिक शुरुआत: गीता पाठ और शहीदों को नमन
कार्यक्रम की शुरुआत आश्रम के मंदिर में प्रभु अर्चना और वीर शहीदों को नमन के साथ हुई। इसके बाद, स्त्री शक्ति संगठन की अध्यक्ष ममता शर्मा ने गीता पाठ का आरंभ किया। आश्रम के संचालक डॉ. जय भगवान सिंह ने गीता के श्लोकों का सरल अनुवाद किया, जिसे सभी ने बड़ी रुचि से सुना। मुख्य अतिथि के रूप में बिहार के मुजफ्फरपुर से आईं डॉ. मिंटू शर्मा ने गीता की सुंदर व्याख्या प्रस्तुत की और असमिया, बंगाली, और मारवाड़ी में प्रेरक गीत गाए।
वरिष्ठ जनों से मन की बात
गीता पाठ के उपरांत आश्रम में रह रहे वरिष्ठ नागरिकों ने अपने अनुभव साझा किए। उनकी कहानियों ने उपस्थित लोगों को भावुक कर दिया। हर बात में उनकी जीवन यात्रा, संघर्ष और समाज के बदलते स्वरूप की झलक दिखी। साहित्यकार पवन गहलोत ने इस मौके पर कहा, "यहां रह रहे विद्वान जनों के अनुभवों पर एक पूरा ग्रंथ लिखा जा सकता है।"
उन्होंने कहा कि बदलते सामाजिक ढांचे और पारिवारिक व्यवस्थाओं के कारण वृद्धाश्रमों की संख्या में बढ़ोतरी हो रही है, जो गंभीर चिंता का विषय है। वरिष्ठ नागरिकों की समस्याओं और उनकी सुरक्षा के लिए ठोस कदम उठाने की जरूरत है।
साहित्य, संस्कृति, और सामाजिक मुद्दों पर चर्चा
कार्यक्रम का एक अन्य महत्वपूर्ण हिस्सा वरिष्ठ नागरिकों के साथ साहित्य और समाज के ज्वलंत मुद्दों पर चर्चा रहा। उनकी राय में वर्तमान समाज को युवा पीढ़ी और बुजुर्गों के बीच संवाद की कमी को दूर करने की आवश्यकता है। बुजुर्गों ने इस बात पर जोर दिया कि उनका अनुभव और ज्ञान समाज को सही दिशा दे सकता है।
समाज में वरिष्ठ नागरिकों की भूमिका का महत्व
ऐतिहासिक दृष्टिकोण से देखा जाए तो भारत में बुजुर्गों को हमेशा समाज का मार्गदर्शक माना गया है। महाभारत के भीष्म पितामह से लेकर रामायण के दशरथ तक, हमारे शास्त्रों में बुजुर्गों की भूमिका को सम्मानित किया गया है। आज के समय में इस परंपरा को बनाए रखना चुनौतीपूर्ण है। वृद्ध आश्रमों की बढ़ती संख्या इस बात का संकेत है कि हमें अपने पारिवारिक मूल्यों को पुनः स्थापित करने की आवश्यकता है।
सकारात्मक पहल की आवश्यकता
कार्यक्रम के अंत में, स्त्री शक्ति संगठन की अध्यक्ष ने वरिष्ठ नागरिकों के लिए विभिन्न योजनाओं पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि समाज में बुजुर्गों की भूमिका को पुनर्जीवित करना बेहद जरूरी है। आश्रम के संचालक ने यह भी बताया कि सरकार और समाज के सामूहिक प्रयास से वरिष्ठ नागरिकों के लिए बेहतर जीवन सुनिश्चित किया जा सकता है।
संवेदनशीलता और संवाद का संदेश
यह कार्यक्रम न केवल बुजुर्गों के अनुभवों को सुनने का मौका था, बल्कि यह भी समझने का अवसर था कि उनके ज्ञान और अनुभव का समाज में कितना महत्व है। गीता पाठ से लेकर उनके अनुभवों तक, हर पहलू ने इस बात पर जोर दिया कि हम सभी को अपने बुजुर्गों की बातों को गंभीरता से सुनना और समझना चाहिए।
कुरुक्षेत्र में आयोजित यह कार्यक्रम एक संदेश था – वरिष्ठ नागरिकों की बातों को सुनना और उन्हें सम्मान देना समाज का कर्तव्य है। उनकी कहानियां हमें अतीत से जोड़ती हैं और भविष्य की दिशा दिखाती हैं। इस तरह के आयोजन समाज में सकारात्मकता और सह-अस्तित्व का संदेश फैलाते हैं।
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