Labor Law: झारखंड के मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन का बड़ा कदम, कैमरून में फंसे झारखंडी श्रमिकों के वेतन भुगतान की प्रक्रिया शुरू

झारखंड के मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन के निर्देश पर कैमरून में फंसे 47 श्रमिकों के लंबित वेतन का भुगतान शुरू, जानिए पूरी प्रक्रिया और सरकार की कार्रवाई के बारे में।

Dec 12, 2024 - 15:59
Dec 12, 2024 - 16:06
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Labor Law: झारखंड के मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन का बड़ा कदम, कैमरून में फंसे झारखंडी श्रमिकों के वेतन भुगतान की प्रक्रिया शुरू
Labor Law: झारखंड के मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन का बड़ा कदम, कैमरून में फंसे झारखंडी श्रमिकों के वेतन भुगतान की प्रक्रिया शुरू

Jharkhand Action: झारखंड के मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन ने कैमरून (मध्य अफ्रीका) में फंसे 47 झारखंडी श्रमिकों के लंबित वेतन के मुद्दे पर त्वरित कार्रवाई की है। मुख्यमंत्री के निर्देश के बाद श्रमायुक्त ने कार्रवाई करते हुए संबंधित नियोक्ताओं, मिडिलमैन और अन्य दोषियों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की है। यह कदम झारखंड सरकार की ओर से विदेशों में काम करने वाले श्रमिकों के हितों की रक्षा के लिए एक महत्वपूर्ण प्रयास माना जा रहा है।

कैमरून में श्रमिकों के साथ हुई धोखाधड़ी

झारखंड के 47 श्रमिक कैमरून में काम कर रहे थे, लेकिन उनके तीन माह के वेतन का भुगतान नहीं किया गया था। इन श्रमिकों ने भारत लौटने की मांग की थी और इस पर स्थानीय प्रशासन ने जांच शुरू की। श्रमिकों की शिकायत के बाद मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन ने इस मामले की गंभीरता को देखते हुए राज्य श्रम विभाग से त्वरित कार्रवाई करने को कहा था।

मुख्यमंत्री के निर्देश के बाद श्रमायुक्त ने हजारीबाग, बोकारो और गिरिडीह में नियोक्ताओं और मिडिलमैन के खिलाफ एफआइआर दर्ज कराई है। आरोप है कि इन व्यक्तियों ने झारखंडी श्रमिकों को बिना उचित लाइसेंस और निबंधन के कैमरून भेजा, जो अंतर्राज्यीय प्रवासी श्रमिक (नियोजन का विनियमन और सेवा शर्त) अधिनियम, 1979 का उल्लंघन है।

कैमरून में फंसे श्रमिकों की स्थिति

झारखंड के श्रमिकों ने बताया कि वे मेसर्स ट्रांसरेल लाइटनिंग लिमिटेड कंपनी में काम कर रहे थे, लेकिन उन्हें तीन माह से वेतन नहीं मिला था। इसके बाद वे भारत वापसी की मांग कर रहे थे। मुख्यमंत्री के निर्देश पर श्रमायुक्त ने राज्य प्रवासी नियंत्रण कक्ष को मामले में त्वरित कार्रवाई के लिए कहा।

कंपनी से संपर्क करने पर यह जानकारी मिली कि श्रमिकों को प्रति माह 100 डॉलर का भुगतान किया गया था, लेकिन बाकी की बकाया राशि उनके भारतीय खातों में ट्रांसफर की जाएगी। श्रमिकों ने इस भुगतान को स्वीकार किया है।

प्रारंभिक कार्रवाई और भविष्य के कदम

श्रमायुक्त के निर्देश पर राज्य प्रवासी नियंत्रण कक्ष ने कंपनी से वेतन भुगतान और अन्य दस्तावेजों की जानकारी मांगी है। इसके बाद, संबंधित विभागों को पत्र भेजकर आवश्यक कार्रवाई का अनुरोध किया गया। कंट्रोल रूम ने फिर से कंपनी से संपर्क किया और शीघ्र समाधान का आश्वासन प्राप्त किया है।

कंपनी ने बताया कि उप-कॉन्ट्रैक्टर से बातचीत करके श्रमिकों के बकाया वेतन का भुगतान किया जाएगा। इसके अलावा, भारत सरकार के उच्चायोग और विदेश मंत्रालय ने भी मामले में हस्तक्षेप करते हुए श्रमिकों की सुरक्षित वापसी की प्रक्रिया पर ध्यान केंद्रित किया है।

वेतन भुगतान न करने वाले ठेकेदारों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई

यदि कोई ठेकेदार श्रमिकों का वेतन भुगतान करने में विफल रहता है, तो झारखंड सरकार ने साफ संकेत दिए हैं कि उनके साथ किया गया समझौता रद्द कर दिया जाएगा। इसके अलावा, ऐसे ठेकेदारों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी। राज्य सरकार ने यह सुनिश्चित किया है कि किसी भी प्रकार का श्रमिक शोषण बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।

श्रमिकों के लिए सुरक्षित वापसी की प्रक्रिया

श्रमिकों की सुरक्षित वापसी के लिए सभी आवश्यक कदम उठाए जा रहे हैं। कंट्रोल रूम टीम ई-मेल और फोन के माध्यम से अधिकारियों और श्रमिकों से लगातार संपर्क बनाए हुए है। इसके साथ ही, सरकार यह सुनिश्चित कर रही है कि श्रमिकों को उनका लंबित वेतन समय पर मिल सके।

मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन की पहल और राज्य सरकार की तत्परता से यह उम्मीद की जा रही है कि झारखंड के श्रमिकों को जल्द ही उनका बकाया वेतन मिल जाएगा और वे सुरक्षित भारत लौट सकेंगे।

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Nihal Ravidas निहाल रविदास, जिन्होंने बी.कॉम की पढ़ाई की है, तकनीकी विशेषज्ञता, समसामयिक मुद्दों और रचनात्मक लेखन में माहिर हैं।