Jharkhand Politics : झारखंड विधानसभा में गरजा विपक्ष, कानून व्यवस्था पर घमासान!
झारखंड विधानसभा में कानून व्यवस्था को लेकर बड़ा हंगामा! भाजपा ने हेमंत सरकार पर साधा निशाना, अपराधियों के बढ़ते हौसले पर उठे सवाल। जानें पूरी खबर।

रांची: झारखंड विधानसभा के बजट सत्र में कानून व्यवस्था को लेकर विपक्ष ने जबरदस्त हंगामा किया। सदन के 10वें दिन भाजपा विधायक वेल में उतरकर नारेबाजी करने लगे, जिससे कार्यवाही को दोपहर 12 बजे तक स्थगित करना पड़ा।
क्या है मामला?
नेता प्रतिपक्ष बाबूलाल मरांडी ने झारखंड में लगातार बढ़ती हत्या और अपराध की घटनाओं पर सरकार को घेरा। उन्होंने सीएम हेमंत सोरेन पर तंज कसते हुए कहा कि "हेमंत है तो हिम्मत है" का नारा अब अपराधियों के लिए सच साबित हो रहा है।"
मरांडी ने सदन में रांची के कोयला कारोबारी बिपिन मिश्रा पर फायरिंग, चान्हो में साधुओं की हत्या और हजारीबाग के डीजीएम कुमार गौरव की हत्या का जिक्र करते हुए कानून व्यवस्था को राज्य का सबसे गंभीर मुद्दा बताया और इस पर विस्तृत चर्चा की मांग की।
झारखंड में बढ़ता अपराध – आंकड़े क्या कहते हैं?
अगर बीते कुछ सालों पर नजर डालें तो झारखंड में अपराध दर में लगातार बढ़ोतरी देखी गई है। नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) के अनुसार, झारखंड में हत्या और लूटपाट के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं।
- रांची, जमशेदपुर और धनबाद जैसे बड़े शहरों में गैंगवार और माफियाओं की सक्रियता बढ़ी है।
- खनन माफिया, कोयला माफिया और अवैध उगाही गिरोह पुलिस के लिए चुनौती बने हुए हैं।
- 2023 में राज्य में हत्या के 1,500 से ज्यादा मामले दर्ज हुए, जो राष्ट्रीय औसत से अधिक है।
हेमंत सरकार पर सवालों की बौछार
भाजपा ने हेमंत सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि राज्य में अपराधियों के हौसले बुलंद हैं और सरकार इस पर लगाम लगाने में नाकाम रही है। विपक्ष ने झारखंड पुलिस की निष्क्रियता पर भी सवाल उठाए और कहा कि गुंडाराज खत्म करने के लिए ठोस कदम उठाने की जरूरत है।
कैसे बदली झारखंड की कानून व्यवस्था?
झारखंड, जो कभी खनिज संपदा और प्राकृतिक सौंदर्य के लिए जाना जाता था, अब अपराध की बढ़ती घटनाओं से बदनाम हो रहा है।
- 2000 में राज्य गठन के बाद से अब तक झारखंड में नक्सलवाद, संगठित अपराध और भ्रष्टाचार तीन सबसे बड़े मुद्दे रहे हैं।
- 2010 के बाद नक्सल गतिविधियों में गिरावट आई, लेकिन अपराधों का ग्राफ बढ़ता गया।
- 2020-2024 के दौरान हत्या, लूट और अपहरण के मामलों में उछाल आया।
क्या वाकई सरकार असफल है?
सरकार का दावा है कि कानून व्यवस्था पर लगातार काम किया जा रहा है और पुलिस को अपराधियों पर नकेल कसने के निर्देश दिए गए हैं। हाल ही में 100 से ज्यादा अपराधियों को गिरफ्तार किया गया है, लेकिन विपक्ष इसे नाकाफी बता रहा है।
अब आगे क्या?
भाजपा ने साफ कर दिया है कि अगर सरकार ने अपराध नियंत्रण पर कोई ठोस कदम नहीं उठाया तो विधानसभा के भीतर और बाहर दोनों जगह आंदोलन होगा। वहीं, झामुमो का कहना है कि विपक्ष बजट सत्र को बाधित करने के लिए बेवजह मुद्दों को तूल दे रहा है।
झारखंड में कानून व्यवस्था एक गंभीर समस्या बनती जा रही है। जहां एक ओर राजनीतिक दल इसे चुनावी मुद्दा बना रहे हैं, वहीं आम जनता हर दिन बढ़ते अपराधों से त्रस्त है। अब देखना यह होगा कि हेमंत सरकार इस चुनौती से कैसे निपटती है?
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