Jamtara Fight: पत्रकार दिवेश कुमार और परिवार के साथ घर में घुसकर मारपीट, जानिए क्या है पूरा मामला

जामताड़ा में एक पत्रकार और उसके परिवार पर पड़ोसी द्वारा घर में घुसकर की गई मारपीट का मामला सामने आया है। जानिए पूरी घटना और इस अपराध के बाद प्रशासन की चुप्पी पर क्या कहना है दिवेश कुमार का।

Jan 5, 2025 - 16:47
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Jamtara Fight: पत्रकार दिवेश कुमार और परिवार के साथ घर में घुसकर मारपीट, जानिए क्या है पूरा मामला
Jamtara Fight: पत्रकार दिवेश कुमार और परिवार के साथ घर में घुसकर मारपीट, जानिए क्या है पूरा मामला

झारखंड के जामताड़ा जिले से एक चौंकाने वाली खबर आई है, जहां एक पत्रकार और उसके परिवार को उसके ही घर में घुसकर मारपीट का शिकार बनाया गया। मामला थाना क्षेत्र के न्यूटन गांव का है, जहां पत्रकार दिवेश कुमार पर आरोप है कि उनके पड़ोसी रामकुमार पंडित और उसके परिजनों ने उनके घर में घुसकर न सिर्फ उनके साथ मारपीट की, बल्कि उनके परिवार के अन्य सदस्य, जिनमें उनकी पत्नी, पिता, भाई और 5 साल का बच्चा शामिल हैं, उन सभी को भी लाठी-डंडे से पीटा।

यह घटना इतनी गंभीर है कि यह केवल एक सामान्य मारपीट का मामला नहीं, बल्कि एक बड़े सवाल का रूप ले चुकी है—क्या प्रशासन किसी पत्रकार की सुरक्षा नहीं कर सकता?

क्या है मामला?

यह घटना रविवार सुबह 11 बजे की है, जब रामकुमार पंडित और उनके परिवार ने रास्ते पर एक रास्ता घेरने का प्रयास किया। जब दिवेश कुमार ने इसका विरोध किया, तो उन्होंने ना केवल उनका विरोध किया, बल्कि उनके परिवार के अन्य सदस्यों पर भी हमला कर दिया। इस हमले में दिवेश कुमार के पिता, पत्नी, छोटे बच्चे और भाई को गंभीर चोटें आईं।

यह कोई पहली बार नहीं था, जब रामकुमार पंडित और उनके परिवार द्वारा इस प्रकार की हिंसा की गई हो। इससे पहले भी देवेश कुमार महतो के घर में इसी परिवार द्वारा मारपीट की घटना घटित हो चुकी थी। इसके बावजूद, जब दिवेश कुमार ने थाने में इसकी शिकायत की, तो कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई, जिससे उनकी सुरक्षा को लेकर प्रशासन के रवैये पर गंभीर सवाल उठने लगे हैं।

राजनीतिक और सामाजिक संदर्भ में हिंसा का बढ़ता मामला

इस घटना ने एक बार फिर से यह सवाल खड़ा किया है कि क्या राज्य में पत्रकारों की सुरक्षा की कोई गारंटी नहीं है? कई ऐसे मामले सामने आए हैं जहां पत्रकारों ने अपनी रिपोर्टिंग के कारण प्रताड़ना झेली है, लेकिन प्रशासन की ओर से कार्रवाई की बजाय उन्हें और उनके परिवारों को दबाव का सामना करना पड़ा है। जामताड़ा की घटना भी इसी तरह का एक कड़वा उदाहरण है।

इतिहास में कई ऐसे उदाहरण हैं जब पत्रकारों को अपनी रिपोर्टिंग के कारण प्रताड़ित किया गया। 1990 के दशक में भारत में कई पत्रकारों पर हमले किए गए, खासकर उन पत्रकारों पर जिन्होंने भ्रष्टाचार और प्रशासनिक कुप्रबंधन के मामलों को उजागर किया। इन घटनाओं के बाद ही पत्रकारों की सुरक्षा को लेकर आवाज उठाई गई थी, लेकिन जामताड़ा में हुई यह ताजा घटना यह दिखाती है कि पत्रकारों के खिलाफ हिंसा अभी भी जारी है।

अब तक क्या हुआ?

दिवेश कुमार ने कई बार जामताड़ा एसपी से न्याय की गुहार लगाई, लेकिन उन्हें कभी मुलाकात का समय नहीं दिया गया। इसके अलावा, इस मामले में अभी तक किसी की गिरफ्तारी नहीं हो पाई है। क्या यह प्रशासन की नाकामी नहीं है कि एक पत्रकार को अपने ही घर में सुरक्षित महसूस नहीं होता?

क्या हो सकता है अगला कदम?

इस मामले के बाद, यह सवाल उठता है कि क्या प्रशासन अब जागेगा और आरोपी पक्ष के खिलाफ ठोस कदम उठाएगा? या फिर पत्रकारों के साथ इस प्रकार के हमलों को नजरअंदाज करने का सिलसिला जारी रहेगा? दिवेश कुमार और उनके परिवार को अब तक न्याय नहीं मिल पाया है, लेकिन अगर जनता और मीडिया का दबाव बढ़ता है तो शायद प्रशासन को इस मामले में कार्रवाई करनी ही पड़े।

जामताड़ा की यह घटना एक गंभीर संकेत है कि पत्रकारों और उनके परिवारों को खतरे में डालने वाली हिंसा को किसी भी हालत में बर्दाश्त नहीं किया जा सकता। यह घटना न केवल जामताड़ा, बल्कि पूरे झारखंड और देशभर के पत्रकारों के लिए एक चेतावनी है कि जब तक प्रशासन अपनी जिम्मेदारी नहीं निभाएगा, तब तक यह हिंसा रुकने वाली नहीं है। अब यह देखने वाली बात होगी कि इस मामले में न्याय मिल पाएगा या नहीं, और क्या प्रशासन इस पर ठोस कदम उठाता है।

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Nihal Ravidas निहाल रविदास, जिन्होंने बी.कॉम की पढ़ाई की है, तकनीकी विशेषज्ञता, समसामयिक मुद्दों और रचनात्मक लेखन में माहिर हैं।