Jamshedpur Rural: 10 महीने से अटका पोटका के ट्रेनरों का इंक्रीमेंट, सरकार से एरियर की बकाया राशि की मांग
पोटका के सीआरपी और बीआरपी ट्रेनरों का इंक्रीमेंट 10 महीने से लंबित, बकाया एरियर की राशि के लिए ट्रेनरों ने सरकार से की अपील। जानें पूरी कहानी!
पोटका क्षेत्र के सीआरपी और बीआरपी ट्रेनरों का इंक्रीमेंट पिछले 10 महीने से अटका हुआ है, जिससे इन कर्मचारियों में सरकार के प्रति नाराजगी बढ़ गई है। मंगलवार को आयोजित बैठक में इन ट्रेनरों ने सरकार से जल्द बकाया एरियर का भुगतान करने की मांग की। अगर सरकार ने इस दिशा में जल्द कोई कदम नहीं उठाया, तो इन कर्मचारियों के पास उनके बकाए एरियर का पैसा वापस लौटाने का विकल्प रहेगा। यह मामला न केवल इन कर्मचारियों की आय का मुद्दा है, बल्कि राज्य सरकार की प्रशासनिक दक्षता पर भी सवाल खड़ा करता है।
इंक्रीमेंट क्यों अटका हुआ है?
पोटका के 130 सीआरपी और बीआरपी ट्रेनरों का इंक्रीमेंट मार्च से पहले का बकाया अभी तक सरकार से नहीं मिल पाया है। ट्रेनरों ने बताया कि अप्रैल से शुरू हुए एरियर का भुगतान पिछले 10 महीनों से लंबित है। यह बकाया राशि प्रति ट्रेनर लगभग 80,000 रुपये है। ट्रेनरों ने सरकार से तत्काल भुगतान की मांग की है और चेतावनी दी है कि अगर मार्च से पहले उनका बकाया एरियर नहीं मिला, तो उन्हें फंड वापस लौटाना पड़ेगा।
क्या है पूरा मामला?
पोटका के सीआरपी और बीआरपी ट्रेनर जो राज्य के शिक्षा क्षेत्र में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, लंबे समय से अपनी बकाया राशि का भुगतान नहीं मिलने से परेशान हैं। इस भुगतान में देरी ने इन कर्मचारियों को आर्थिक रूप से संकट में डाल दिया है। यह मुद्दा न केवल उनके जीवनयापन पर असर डाल रहा है, बल्कि उनके मानसिक तनाव का कारण भी बन गया है। ट्रेनरों ने बताया कि उनका एरियर पिछले कई महीनों से अटका हुआ है, और अब यह स्थिति इतनी गंभीर हो चुकी है कि अगर भुगतान नहीं हुआ तो उन्हें अपने फंड को वापस लौटाना पड़ेगा।
संबंधित अधिकारियों से मुलाकात
सीआरपी और बीआरपी ट्रेनरों ने अपनी समस्या के समाधान के लिए संबंधित अधिकारियों से मुलाकात की और इस मुद्दे को उठाया। हिमाद्रि शंकर भक्त और मुकुंद मुंडा ने बैठक के बाद मीडिया से बात करते हुए कहा कि अगर मार्च से पहले बकाया एरियर का भुगतान नहीं हुआ, तो उनके पास यह फंड वापस लौटाने के अलावा कोई विकल्प नहीं रहेगा। साथ ही, उन्होंने यह भी बताया कि उनका एरियर करीब 80,000 रुपये प्रति ट्रेनर का है, जोकि किसी भी कर्मचारी के लिए एक बड़ी राशि है।
मूल कारण: यूनिवर्सिटी में अटकी फाइलें
ट्रेनरों ने यह भी बताया कि उनके मैट्रिक, इंटर और स्नातक डिग्री की फाइलें बिहार राज्य से झारखंड वापस लौट आई हैं, लेकिन रांची विश्वविद्यालय में अब तक अटकी हुई हैं। इसके कारण उनके प्रमोशन और इंक्रीमेंट में देरी हो रही है। यह मुद्दा न केवल ट्रेनरों के लिए परेशानी का कारण बना है, बल्कि यह राज्य सरकार की शिक्षा प्रणाली की धीमी गति को भी उजागर करता है।
केंद्र और राज्य सरकार की जिम्मेदारी
यह मामला सिर्फ एक कर्मचारी के भुगतान का नहीं है, बल्कि यह पूरे राज्य के शिक्षा विभाग की प्रशासनिक व्यवस्था पर सवाल खड़ा करता है। राज्य सरकार को चाहिए कि वह इस मुद्दे को प्राथमिकता दे और जल्द से जल्द ट्रेनरों का बकाया एरियर का भुगतान करें। साथ ही, रांची विश्वविद्यालय में अटकी फाइलों को शीघ्र निपटाया जाए ताकि ट्रेनरों को उनका सही हक मिल सके।
पोटका के सीआरपी और बीआरपी ट्रेनरों का इंक्रीमेंट और बकाया एरियर की राशि एक गंभीर समस्या बन चुकी है, जिसे तत्काल सुलझाने की जरूरत है। ट्रेनरों ने सरकार से अपील की है कि इस मुद्दे को जल्द से जल्द हल किया जाए ताकि उनकी वित्तीय स्थिति स्थिर हो सके। यह मामला एक उदाहरण है कि कैसे प्रशासनिक लापरवाही और देरी कर्मचारियों की जिंदगी पर असर डाल सकती है। राज्य सरकार को इस पर सख्त कदम उठाने की जरूरत है ताकि इस प्रकार के मुद्दे भविष्य में न उत्पन्न हों।
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