Jamshedpur Negligence: उलीडीह में बिजली विभाग की लापरवाही से गई मासूम गाय की जान, बस्ती में गूंजा विरोध का स्वर

जमशेदपुर के उलीडीह में बिजली विभाग की लापरवाही से करंट लगने से एक गाय की मौत हो गई। स्थानीय नेताओं और बस्तीवासियों के विरोध के बाद मृत पशु के रखवाले को मिला 30 हजार का मुआवज़ा। पढ़िए पूरा घटनाक्रम।

Apr 12, 2025 - 15:06
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Jamshedpur Negligence: उलीडीह में बिजली विभाग की लापरवाही से गई मासूम गाय की जान, बस्ती में गूंजा विरोध का स्वर
Jamshedpur Negligence: उलीडीह में बिजली विभाग की लापरवाही से गई मासूम गाय की जान, बस्ती में गूंजा विरोध का स्वर

जमशेदपुर, उलीडीह: शनिवार की सुबह, रामकृष्ण कॉलोनी में एक दर्दनाक हादसा हुआ जिसने बिजली विभाग की घोर लापरवाही को एक बार फिर उजागर कर दिया। पायल सिनेमा के पास लगे ट्रांसफार्मर से निकले अर्थिंग वायर में करंट दौड़ रहा था, और उसी के संपर्क में आकर एक मासूम गाय की मौके पर ही मौत हो गई।

घटना के बाद इलाके में आक्रोश की लहर दौड़ गई, स्थानीय लोगों ने इसे "सरकारी लापरवाही से हुई हत्या" करार दिया।

कैसे हुआ हादसा? जानिए पूरा घटनाक्रम

प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, गाय सुबह कॉलोनी में घूम रही थी और जैसे ही वह ट्रांसफार्मर के पास पहुंची, अर्थिंग के खुले तार से सटते ही वह तड़पने लगी और कुछ ही सेकंड में उसकी मौत हो गई।

यह कोई प्राकृतिक मौत नहीं थी, बल्कि बिजली विभाग के लापरवाह रवैये का नतीजा था, जो अक्सर देखरेख के अभाव में जानलेवा हो जाता है।

स्थानीय नेताओं की सक्रियता से शुरू हुआ मुआवजे का संघर्ष

घटना की सूचना मिलते ही जनता दल (यूनाइटेड) के स्थानीय मंडल अध्यक्ष प्रवीण सिंह, जिला प्रवक्ता आकाश शाह, बिजेंद्र सिंह, संजय सिंह और मनोज गुप्ता मौके पर पहुंचे।

उन्होंने जमशेदपुर पश्चिम के विधायक सरयू राय को इसकी जानकारी दी, जिन्होंने तुरंत बिजली विभाग के अधिकारियों से संपर्क साधा और जवाबदेही तय करने की बात कही।

"एक गाय नहीं, पूरे सिस्टम की लापरवाही मरी है" - स्थानीय लोग

रामकृष्ण कॉलोनी और दाईगुट्टू के लोगों ने बिजली विभाग के खिलाफ कड़ा विरोध जताया।
स्थानीय निवासी विश्वजीत दास का कहना था, "अगर आज ये गाय थी, कल को कोई बच्चा या इंसान होता तो कौन जिम्मेदार होता?"

बस्तीवासियों की यही नाराजगी थी कि सरकारी तंत्र की उदासीनता आज किसी जानवर की मौत का कारण बनी, कल इंसान भी हो सकता है।

मुआवज़े पर बनी सहमति, फिर उठाया गया शव

जदयू नेताओं के दबाव और स्थानीय जनता की नाराज़गी के बाद बिजली विभाग ने मृत पशु के देखभालकर्ता को 30 हजार रुपये मुआवज़ा देने पर सहमति जताई।

इसके बाद जेसीबी मशीन की सहायता से मृत गाय के शव को हटाया गया।
घटनास्थल पर सैकड़ों लोग मौजूद थे, जिनमें सोमनाथ गोस्वामी, मनोज कुमार, सोनू सिंह, सुमित दास जैसे प्रमुख नाम शामिल हैं।

इतिहास गवाह है, ये पहली घटना नहीं है

झारखंड में इससे पहले भी बिजली विभाग की लापरवाही से हादसे होते रहे हैं।
कभी खुले तारों से करंट लगकर मौतें होती हैं, तो कभी ट्रांसफार्मर फटने से जान-माल की क्षति होती है।

सवाल ये है कि कब तक ऐसी घटनाओं को "दुर्घटना" कहकर टालते रहेंगे?

क्या होगी आगे की कार्रवाई?

हालांकि बिजली विभाग ने फिलहाल तार को ठीक कर दिया है, लेकिन स्थानीय जनता अब स्थायी समाधान की मांग कर रही है।

बिजली के तारों की नियमित जांच, ट्रांसफार्मर की मरम्मत और खुली अर्थिंग जैसी जानलेवा खामियों को जल्द दुरुस्त करने की मांग उठ रही है।

इस हादसे ने एक बार फिर यह दिखा दिया कि सरकारी लापरवाही सिर्फ आंकड़ों की बात नहीं होती, वो जिंदगियों पर सीधा असर डालती है।
उम्मीद है कि इस बार की चेतावनी को नजरअंदाज नहीं किया जाएगा, वरना अगली बार नुकसान कहीं बड़ा हो सकता है — और अपूरणीय भी।

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Nihal Ravidas निहाल रविदास, जिन्होंने बी.कॉम की पढ़ाई की है, तकनीकी विशेषज्ञता, समसामयिक मुद्दों और रचनात्मक लेखन में माहिर हैं।