जमशेदपुर ग्रामीण में विकलांग पेंशन का मामला: पांच साल से बैंक के चक्कर काट रहा लाभुक, सरकारी योजनाओं की वास्तविकता

जमशेदपुर ग्रामीण में 17 वर्षीय विकलांग हचाई बास्के की कहानी। पांच साल से पेंशन के लिए संघर्ष कर रहे हचाई को मदद नहीं मिल रही। पढ़ें पूरी खबर।

Dec 10, 2024 - 13:08
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जमशेदपुर ग्रामीण में विकलांग पेंशन का मामला: पांच साल से बैंक के चक्कर काट रहा लाभुक, सरकारी योजनाओं की वास्तविकता
जमशेदपुर ग्रामीण में विकलांग पेंशन का मामला: पांच साल से बैंक के चक्कर काट रहा लाभुक, सरकारी योजनाओं की वास्तविकता

झारखंड की हेमंत सोरेन सरकार ने कमजोर और विकलांग लोगों के उत्थान के लिए कई योजनाएं चलाई हैं, लेकिन क्या ये योजनाएं सही मायनों में उनके हक तक पहुंच रही हैं? जमशेदपुर के पोटका प्रखंड में रहने वाले 17 वर्षीय विकलांग हचाई बास्के की कहानी एक उदाहरण पेश करती है कि कैसे सरकारी योजनाएं लाभुकों तक नहीं पहुंच पा रही हैं।

विकलांगता पेंशन की मार:

डोमजुड़ी पंचायत के राजदोहा गांव के बाड़ेघुट्टू टोला निवासी हचाई बास्के पिछले पांच वर्षों से अपनी विकलांगता पेंशन के लिए बैंक के चक्कर काट रहे हैं। हचाई पूरी तरह से चलने में असमर्थ हैं और पेंशन की राशि प्राप्त करने के लिए बैंक ऑफ इंडिया की मेचुआ शाखा के चक्कर लगा रहे हैं। हालांकि, उन्हें अब तक अपनी पेंशन का भुगतान नहीं मिल पाया है।

माँ का संघर्ष:

हचाई की मां, धानी बास्के, ने बताया कि पहले उनके बेटे को कोरोना से पहले पेंशन मिलती थी, लेकिन अचानक वह बंद हो गई। वह पोटका प्रखंड कार्यालय जाती हैं, लेकिन वहां से उन्हें यही बताया जाता है कि राशि बैंक ऑफ इंडिया की मेचुआ शाखा (जादूगोड़ा) के खाते में भेजी जा रही है। हालांकि, बैंक से उन्हें उल्टा जवाब मिलता है कि पैसे किस खाते में भेजे जा रहे हैं, इसका पता प्रखंड कार्यालय से करें। इस जटिल प्रक्रिया में फंसकर हचाई की मां और उनका परिवार परेशान हो गया है।

सरकारी योजनाओं की असली तस्वीर:

हचाई बास्के ने दो बार केवाईसी भी जमा किया, फिर भी पेंशन की राशि प्राप्त नहीं हो रही। यह सवाल खड़ा होता है कि क्या सरकार की योजनाएं उन लोगों तक पहुंच रही हैं, जिनके लिए ये बनाई गई हैं? कई बार अधिकारियों के बीच खींचतान और उपेक्षा से लोगों को सिर्फ निराशा ही हाथ लगती है।

समाज की नजरें:

यह मामला समाज के लिए एक बड़ा सबक है कि जब तक सरकारी योजनाओं का सही क्रियान्वयन नहीं होगा, तब तक समाज के जरूरतमंद वर्ग को इसका कोई फायदा नहीं मिलेगा। हेमंत सरकार को इस मामले में गंभीरता से कदम उठाने की आवश्यकता है, ताकि योजनाओं का लाभ उनके असली हकदार तक पहुंचे।

सवाल आपके लिए: क्या आपके आसपास भी ऐसी कोई कहानी है, जिसमें सरकारी योजनाओं की पहुंच न हो पाई हो? अपने अनुभव साझा करें।

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Manish Tamsoy मनीष तामसोय कॉमर्स में मास्टर डिग्री कर रहे हैं और खेलों के प्रति गहरी रुचि रखते हैं। क्रिकेट, फुटबॉल और शतरंज जैसे खेलों में उनकी गहरी समझ और विश्लेषणात्मक क्षमता उन्हें एक कुशल खेल विश्लेषक बनाती है। इसके अलावा, मनीष वीडियो एडिटिंग में भी एक्सपर्ट हैं। उनका क्रिएटिव अप्रोच और टेक्निकल नॉलेज उन्हें खेल विश्लेषण से जुड़े वीडियो कंटेंट को आकर्षक और प्रभावी बनाने में मदद करता है। खेलों की दुनिया में हो रहे नए बदलावों और रोमांचक मुकाबलों पर उनकी गहरी पकड़ उन्हें एक बेहतरीन कंटेंट क्रिएटर और पत्रकार के रूप में स्थापित करती है।